दिल्ली दंगे का 1 साल पुराना जख्म और दर्द अभी भी लोगों की आंखों में दिखता है

दिल्ली में 1 साल पहले जिन जगहों पर दंगे हुए थे, घर जलाए गए थे, दुकानों में लूटपाट हुई थी. वहां रहने वाले लोगों के लिए चाहकर भी इसे भूल पाना मुमकिन नहीं है. दंगे के जख्म अभी तक भर नहीं पाए हैं, क्योंकि 1 साल होने पर इसका दर्द लोगों के आंखों में दिखता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 24, 2021, 07:00 AM IST
  • 1 साल बाद भी डरती है दिल्ली!
  • अबतक नहीं भरे जख्म के निशान
  • दंगों ने दिया जिंदगीभर का जख्म
दिल्ली दंगे का 1 साल पुराना जख्म और दर्द अभी भी लोगों की आंखों में दिखता है

नई दिल्ली: आज से ठीक 1 साल पहले 23 फरवरी 2020 से शुरू हुई हिंसा 26 फरवरी तक चलती रही, जो कुछ सामने आया वो बर्बाद होता चला गया. दंगों की आग ने सैकड़ों घरों को बर्बाद कर दिया. सैकड़ों परिवारों को उजाड़ दिया.

एक साल पुराना जख्म अबतक नहीं भरा!

उन दंगों ने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे में ऐसी गांठ डाल दी, जिसे हटाने में बहुत वक्त लगेगा. अब एक साल बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली के उन दंगा प्रभावित इलाकों का दर्द समझने, वहां रहने वालों के हालात दिखाने पहुंचा है.

दिल्ली के चांद बाग इलाके में पिछले साल फरवरी में क्या हालात थे उसे याद करके हर किसी की रूह कांप उठती है. दिल्ली के शिव विहार, खजूरी खास और चांद बाग इलाके में दंगों के एक साल बाद हालात अब सामान्य दिख तो रहे हैं, लेकिन सामान्य हैं नहीं.

घर की दीवारों पर दंगों के जो काले दाग हैं. खजूरी इलाके के रहने वाले लोगों के दिल में भी वैसे ही काली यादें अभी भी मिटी नहीं हैं और साथ ही उनकी आंखों में अब भी वही डर समाया हुआ है, जैसे पिछले साल था.

जाफराबाद से हुई थी दंगों की शुरुआत

दिल्ली में पिछले साल CAA और NRC के विरोध में उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़के थे. दंगों की शुरुआत 23 फरवरी को दिल्ली के जाफराबाद से हुई थी, लेकिन अफवाहों की वजह से दंगे उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में फैल गए थे.

दिल्ली में कहां-कहां हुई थी हिंसा?

  • जाफराबाद
  • करावलनगर
  • भजनपुरा
  • चांदबाग
  • गोकुलपुरी
  • कर्दमपुरी
  • मौजपुर
  • बाबरपुर
  • यमुना विहार
  • खजूरी खास

दंगों का सबसे ज्यादा असर खजूरी खास, भजनपुरा, शिव विहार, चांद बाग और करावल नगर में देखने को मिला था.

दिल्ली के शिव विहार की कई लोगों के घरों को दंगाइयों ने जला दिया था. 25 फरवरी को इस इलाके में दंगे हुए थे. सिर्फ घर ही नहीं, बल्कि दुकानें भी दंगाइयों ने जला दी थी. लोगों के दिलों में दहशत की वो रात अब भी याद है.

दंगाई ताहिर हुसैन को कोई नहीं भूल सकता!

खजूरी खास के इलाके में उसी ताहिर हुसैन का घर है. उन दिनों उसका घर दंगाईयों का अड्डा बन गया था, जो दिल्ली दंगों का मास्टरमाइंड है और इस वक्त जेल की सलाखों के पीछे है.

आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने ही अपने घर की छत से दंगे भड़काए थे. जब दंगों के बाद पिछले साल ZEE मीडिया ताहिर हुसैन के घर में पहुंचा था, तो दंगों के खतरनाक हथियार मिले थे. जैसे पेट्रोल बम, बड़े-बड़े पत्थर, पत्थर फेंकने वाली बड़ी गुलेल वगैरह, वगैरह..

भजनपुरा में पेट्रोल पंप को दंगाइयों ने जलाया

दिल्ली दंगों में भजनपुरा के कई पेट्रोल पंपों को भी दंगाइयों ने जला दिया था. एक साल बाद पेट्रोल पंप फिर से शुरू हो चुका है और लोग यहां पर तेल भरवाने के लिए आ रहे हैं, लेकिन लोग जब पुरानी बातों को याद करते हैं तो वो सहम जाते हैं.

IB अधिकारी अंकित शर्मा हत्या कोई कैसे भूले?

IB में अधिकारी अंकित शर्मा की दिल्ली दंगों में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. चांद बाग के नाले से दंगों के दो दिन बाद अंकित का शव बरामद हुआ था. पिछले साल 2020 में अंकित शर्मा के घर के बाहर नेताओं का पुलिस का जमावड़ा था. एक साल बाद अंकित शर्मा की गली में सबकुछ सामान्य लगता है.

दंगों की वजह से अंकित शर्मा का परिवार अपने मकान को किराए पर देकर गाजियाबाद में किराए पर रहने के लिए चला गया है. ये पुलिस और प्रशासन की नाकामी ही है कि अंकित शर्मा जैसे कई परिवारों ने इन इलाकों को डर की वजह से अपना घर छोड़ना पड़ा.

ऐसा नहीं है कि दंगों ने किसी एक धर्म या पक्ष को ही नुकसान पहुंचाया था. नुकसान तो सभी का हुआ था, दर्द भी सभी को मिला. दिल्ली के दंगों ने दिलों की दूरियां भी बढ़ा दी. दिल्ली के मुस्तफाबाद में भी दंगे हुए थे, जहां दंगाइयों ने कई घर उजाड़े थे. यहां के लोगों की जेहन में आज भी डर बसा हुआ है.

1 साल बाद भी जख्म भरे नहीं

  • 53 लोगों की मौत
  • 400 से ज्यादा घायल 
  • 775 FIR दर्ज हुई
  • 1818 लोग गिरफ्तार हुए
  • दंगों से 25 हजार करोड़ का नुकसान

दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल दिल्ली दंगों में कुल 53 लोगों  की मौत हुई, जबकि 400 से ज्यादा लोग घायल हुए. इस मामले में 775 FIR दर्ज हुए और कुल 1818 लोग अब तक गिरफ्तार हो चुके हैं.

दिल्ली दंगों का जख्म

फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में CAA, NRC के विरोध में दंगे हुए थे. जाफराबाद से हिंसा शुरू हुई थी. राजधानी दिल्ली में दंगों का इतिहास बहुत दर्दनाक है. इसी दिल्ली ने वर्ष 1984 में सिखों के खिलाफ भी दंगा देखा था. 2020 में CAA और NRC के खिलाफ दंगे हुए और 2021 में लाल किला हिंसा किसी से नहीं छिपा है.

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दंगों के एक साल बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली में जिंदगी पटरी पर लौट रही है और कामकाज भी सामान्य दिनों की तरह चल रहा है, लेकिन इन इलाके के लोगों को जो जख्म 2020 में मिला था. उसे भरने में अभी लंबा वक्त लगेगा.

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