नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर के आसपास के क्षेत्र में मंगलवार शाम को भूकंप के झटके महसूस किए गए. जानकारी के अनुसार शाम 7 बजकर 1 मिनट पर आए झटकों से कुछ देर डर का माहौल रहा, हालांकि तीव्रता अधिक न होने से सब सामान्य रहा. भूकंप का केंद्र नेपाल में धारचुला के पास बताया जा रहा है. इसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 5.1 मापी गई है. पिछले कुछ सालों से भूकंप आने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है. दिल्ली-एनसीआर में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं. ठीक 24 घंटे पहले यानी सोमवार को गुजरात में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.
उत्तर प्रदेश तक लगे झटके
जानकारी के अनुसार भूकंप के झटके लखनऊ, चंडीगढ़, नोएडा, गुरुग्राम सहित अन्य शहरों में भी महसूस किए गए. झटके महसूस होने के बाद लोग सहम गए. वे दफ्तर और घरों से बाहर निकलने लगे. हालांकि इस भूकंप की वजह से अब तक किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान होने की कोई सूचना सामने नहीं आई है. यूनाइटेड स्टेट जिओलॉजिकल सर्वे के मुताबिक भूकंप का एपिसेंटर नेपाल के खपताड़ नेशनल पार्क के करीब रहा. एपिसेंटर जमीन के 1.3 किलोमीटर नीचे रहा.
5.3 magnitude earthquake strikes Nepal
Read @ANI Story | https://t.co/cRhX1UJBWj pic.twitter.com/dHQNiuPbEV
— ANI Digital (@ani_digital) November 19, 2019
सोमवार को गुजरात में लगे थे झटके
भूकंप के झटके सोमवार को गुजरात में महसूस किए गए थे. भुज में आए इस भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.3 मापी गई. भचाऊ के पास इस भूकंप का केंद्र था. इसमें भी किसी के हताहत होने की सूचना नहीं आई है. गांधीनगर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ सिस्मोलॉजिकल रिसर्च (ISR) के एक अधिकारी ने बताया कि 4.3 तीव्रता का यह भूकंप कच्छ जिले के भचाऊ के 23 किमी एनएनई (उत्तर-उत्तर-पूर्व) में शाम 7:01 बजे दर्ज किया गया था. कच्छ के एक अन्य हिस्से में सोमवार सुबह 9:22 बजे 2.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था. गुजरात का भुज साल 2001 में भूकंप की भयंकर मार झेल चुका है.
क्या आर्थिक फायदे के लिए सबरीमाला विवाद को बढ़ावा दिया गया ?
नेपाल झेल चुका है भारी तबाही
मंगलवार शाम आए भूकंप का केंद्र नेपाल के पास बताया जा रहा है. यहां के धाराचुला के पास इसका केंद्र था. अगर भूकंप तेज होता तो नेपाल के लिए यह खतरनाक स्थिति होती. पड़ोसी देश नेपाल अभी उठकर संभल ही रहा है. 25 अप्रैल 2015 को नेपाल में आए भूकंप ने वहां भारी तबाही मचाई थी.
उस समय भूकंप का केंद्र लामजुंग में था और इसकी तीव्रता 8.1 मापी गई थी. इस भूकंप में करीब 8000 लोगों की मौत हुई थी. साथ ही कई ऐतिहासिक, धार्मिक विरासतों को भी नुकसान पहुंचा था. यहां पर बनी 18वीं सदी की धरहरा मीनार पूरी तरह नष्ट हो गई थी.