क्या अस्पतालों की गंदगी है ब्लैक फंगस फैलने का बड़ा कारण? जानिए एक्सपर्ट की राय

एक्सपर्ट ने बताया है कि ब्लैक फंगस के तेजी से फैलने की क्या है मुख्य वजह.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 30, 2021, 09:27 PM IST
  • अस्पताल की गंदगी है ब्लैक फंगस के तेजी से फैलने की वजह.
  • अस्पताल के तापमान पर भी करता है ये निर्भर.
क्या अस्पतालों की गंदगी है ब्लैक फंगस फैलने का बड़ा कारण? जानिए एक्सपर्ट की राय

भोपाल: कोरोना महामारी के बीच म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) की दस्तक ने सरकार से लेकर आमजन की चिंताएं बढ़ा दी हैं. यह बीमारी उन लोगों पर ज्यादा असर कर रही है, जो कोरोना से उबर आए हैं और दूसरी गंभीर बीमारी ब्लैक फंगस से ग्रसित हुए हैं. इस बीमारी के फैलने को लेकर फंगस विशेषज्ञ और तीन दर्जन से ज्यादा छात्रों का शोध (पीएचडी) में मार्गदर्शन कर चुके डॉ.एस.एम. सिंह का दावा है कि यह बीमारी गंदगी के कारण कोरोना से स्वस्थ हुए लोगों के शरीर में अपना घर बनाने में सफल हो जाती है.

ऑक्सीजन मास्क के जरिए फैल रही है ये बीमारी
डॉ. सिंह ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विषेषज्ञों के साथ मिलकर मायकोलॉजी के क्षेत्र में काम किया है. उनके म्यूकर माइकोसिस को स्प्रिंगर जनरल में भी पेपर प्रकाशित हुआ है. उनकी फंगस विशेषज्ञ के तौर पर पहचान है. उन्हें इस बात की हैरानी है कि ब्लैक फंगस भी महामारी की तरह फैल रहा है. उन्हें यह मानने में गुरेज नहीं है कि प्रदूषित चिकित्सकीय उपकरणों और ऑक्सीजन मास्क के द्वारा यह बीमारी फैल रही है.

उनका मानना है कि यह फंगस हवा, सड़ी-गली लकड़ी और मिटटी में पाया जाता है, इसलिए मरीज के उपचार के साथ आसपास के क्षेत्र में साफ-सफाई होना चाहिए, गंदगी हेाने पर यह बीमारी मरीज पर हमला कर देती है. इसलिए जरूरी है कि मरीज के उपचार के साथ साथ-साफ सफाई और उच्च सैनिटाइजर का उपयोग किया जाना चाहिए. साफ-सफाई के उचित मापदंडों को अपनाकर मरीज को स्वस्थ किया जा सकता है.

ब्लैक फंगस का फैलना अस्पताल के तापमान पर करता है निर्भर 
उन्होंने इस बीमारी के फैलने का कारण बताया कि यह उस जगह के वातावरण पर निर्भर करता है, जहां मरीज का इलाज चल रहा होता है. अगर लक्षण बढ़ गए तो सर्जरी करनी पड़ती है और उसके बाद एंटीफंगल से इलाज किया जाता है. इस बीमारी के उपचार में लिपोसोमल एमफोटेरेसिन बी-50 एमजी का उपयोग होता है, मगर जरूरी है कि उपचार करते समय सावधानी बरती जाना चाहिए, नहीं तो यह गुर्दे को प्रभावित कर देती है.

कोरोना बीमारी से उबर चुके कई लोगों पर ब्लैक फंगस ने अपना असर दिखाया है. जिन लोगों को इस बीमारी से लड़ना पड़ा है, वे पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित रहे हैं. डॉ. सिंह बताते हैं कि म्यूकोरमाइकोसिस मरीजों में अधिकतर नाक के माध्यम से प्रवेश करता है और वहां पर बढ़ता रहता है. नाक के अंदरूनी हिस्से को नष्ट करने के बाद मस्तिष्क में प्रवेश कर जाता है और मरीज के लिए खतरनाक हो जाता है. फंगस कई रंग के होते हैं और जिस रंग के होते हैं, उसी रंग की कॉलोनी वह मानव शरीर में बनाते हैं. अगर वह काले रंग की कॉलोनी बनाते हैं तो उन्हें काला फंगस कहते हैं, जिसमें म्यूकर राइजोपस प्रमुख है. इसी तरह से सफेद रंग का फंगस सफेद कॉलोनी बनाता है.

जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में मेडिकल माइकोलॉजी प्रयोगशाला की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ. सिंह का कहना है कि ब्लैक फंगस ऐसे लोगों पर असर करता है, जो पहले से गंभीर बीमारी से ग्रसित होते हैं, स्टेरॉइड ले रहे होते हैं और उस वजह से उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. वास्तव में, ब्लैक फंगस अवसरवादी संक्रामक जीवाणु है.

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