दिल्ली: राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वे 2019-20 संसद में पेश किया. इसमें अनुमान व्यक्त किया जा रहा है कि आगामी वित्त वर्ष (2021) में जीडीपी 6-6.5% तक रह सकती है. ग्रोथ रेट को लेकर सरकार का ये अनुमान चालू वित्त वर्ष के मुकाबले 0.5 से 1 फीसदी तक अधिक है. सर्वे रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि अगले तीन साल में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 1.4 ट्रिलियन डॉलर यानी 100 लाख करोड़ के निवेश की जरुरत है ताकि इकोनॉमी की ग्रोथ में यह बाधा न बने.
राजकोषीय ग्रोथ 5 फीसदी रहने का अनुमान
CEA Krishnamurthy Subramanian: We have a slowdown in the Indian economy, part of it is because of the global economy slowing down in 2019. #EconomicSurvey pic.twitter.com/My1mA7aifR
— ANI (@ANI) January 31, 2020
वित्त मंत्री की आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक राजकोषीय ग्रोथ 5 फीसदी रहने का अनुमान है. सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को 5 फीसदी पर रखा है. सरकार की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही में आर्थिक विकास की गति तेज होने में 10 क्षेत्रों का प्रमुख योगदान रहा है.
क्यों पेश होता है आर्थिक सर्वे
आपको बता दें कि आर्थिक सर्वे के तहत देश की आर्थिक हालत का पूरा ब्यौरा पेश किया जाता है. साल भर में देश में विकास का ट्रेंड क्या रहा, किस क्षेत्र में कितना निवेश हुआ, किस क्षेत्र में कितना विकास हुआ, किन योजनाओं को किस तरह अमल में लाया गया इन सभी पहलुओं पर इस सर्वे में सूचना दी जाती है. अर्थव्यवस्था, पूर्वानुमान और नीतिगत स्तर पर चुनौती संबंधी विस्तृत सूचनाओं का भी इसमें समावेश होता है. इसमें क्षेत्रवार हालातों की रूपरेखा और सुधार के उपायों के बारे में बताया जाता है. सामान्य तौर पर, यह सर्वेक्षण भविष्य में बनाई जाने वाली नीतियों के लिए एक दृष्टिकोण का काम करता है.
2014 से लगातार घट रही महंगाई
वित्त मंत्री ने अपने आर्थिक सर्वे में उल्लेख किया कि साल 2014 से ही महंगाई निरंतर घट रही है. 2014-19 के दौरान अधिकतर आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों में उतार-चढ़ाव में उल्लेखनीय कमी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत की विशाल अर्थव्यवस्था की ग्रोथ के लिए एक कुशल बैंकिंग क्षेत्र की आवश्यकता है.
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में बढ़ोत्तरी
Chief Economic Advisor Krishnamurthy Subramanian: Firms that borrowed a lot during 2008-12 invested less during 2013-17 pic.twitter.com/TOTUV91Ud1
— ANI (@ANI) January 31, 2020
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में वर्ष 2017-18 में 4.4 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2018-19 में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. मौजूदा वर्ष 2019-20 (अप्रैल-नवम्बर) के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि में 5 फीसदी की तुलना में आईआईपी में महज 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
2019 के सर्वेक्षण से तुलना
साल 2019 की सर्वे रिपोर्ट में बताया गया था कि GDP की वृद्धि दर वर्ष 2017-18 में 7.2 फीसदी की जगह वर्ष 2018-19 में 6.8 फीसदी रही. वहीं अच्छी विनिर्माण और निर्माण गतिविधि के कारण 2018-19 में औद्योगिक वृद्धि में भी तेजी आई थी. साल 2017-18 में ये दर 5.9 फीसदी थी जो 2018-19 में 6.9 फीसदी बतायी गयी थी. राजकोषीय घाटा 2017-18 में जीडीपी के 3.5 फीसदी से घटकर 2018-19 में 3.4 फीसदी रह गया.
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