भींगी पलके, शायराना अंदाज.. गुलाम नबी की विदाई पर ऐसा रहा सदन का मिजाज

राज्यसभा सांसदों के विदाई भाषण में पीएम मोदी भावुक हो गए. उन्होंने गुलाम नबी आजाद की जमकर तारीफ की. इस मौके पर विदाई भाषण में गुलाम नबी भी भावुक हुए. भावुक होने के बाद गुलाम नबी आजाद ने सदन में शायराना अंदाज अपनाते हुए क्या कहा इस खास रिपोर्ट में पढ़िए..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 9, 2021, 05:02 PM IST
  • राज्यसभा में गमगीन हो गया माहौल, जानिए कैसे?
  • गुलाम नबी आजाद ने शायरी से दिया सदन को जवाब
  • पीएम मोदी और गुलाम नबी के आंसू छलक गए
भींगी पलके, शायराना अंदाज.. गुलाम नबी की विदाई पर ऐसा रहा सदन का मिजाज

नई दिल्ली: राज्यसभा में मंगलवार का दिन काफी गमगीन रहा, राज्यसभा के 4 सांसदों की विदाई हो गई. आतंकी घटना का जिक्र करके पीएम मोदी भावुक हो गए. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रो-रोकर गुलाम नबी आजाद की तारीफ में कसीदे गढ़े और अपने आंसू पोंछे.

राज्यसभा में सांसदों के विदाई भाषण में पीएम मोदी ने गुलाम नबी आजाद को मित्र बताया. प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने हमेशा विपक्ष को परिवार की तरह माना.

गुलाम नबी का भावुक और शायराना अंदाज

राज्यसभा से कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) की विदाई पर पीएम मोदी रो पड़े, जिसके बाद गुलाम नबी भी अपने संबोधन में भावुक हो गए और उनकी आंखें छलक गईं. इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक शायरी पढ़कर अपनी भावना को व्यक्त किया.

गुलाम नबी आजाद कश्मीरी पंडित भाई-बहनों के लिए एक शेर कहना चाहता हूं. मैं जब यूनिवर्सिटी में जीतकर आता था, तब कश्मीरी पंडित मुझे सबसे ज्यादा वोट देते थे. मुझे अफसोस होता है, जब मैं अपने क्लासमेट्स से मिलता हूं. क्योंकि वे कश्मीरी पंडित हैं, जो घर से बेघर हो गए.

उनके लिए शेर- गुजर गया वो छोटा सा जो फसाना था, फूल थे, चमन था, आशियाना था. न पूछ उजड़े नशेमन की दास्तां, न पूछ कि चार तिनके मगर आशियाना तो था.

आप दोनों (मोदी और शाह) यहां बैठे हैं, आप फिर उसे आशियाना बनाएं. हम सभी को प्रयास करना है. दिल नाउम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है, लंबी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है. बदलेगा न मेरे बाद भी मौजूं-ए-गुफ्तगू, मैं जा चुका होऊंगा, फिर भी तेरी महफिल में रहूंगा.

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पीएम जी कभी आपने बुरा नहीं माना, लंबी तकरीरें होती थी. हमेशा भी आपने पर्सनल, पार्टी की जिम्मेदारी अलग रखीं. दो लोगों के फोन हमेशा आते थे, चाहे ईद हो, दीवाली हो.

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मेरी हमेशा ये सोच रही है कि 'हम बहुत खुशकिस्मत है कि हम जन्नत यानि हिंदुस्तान में रह रहे हैं. मैं तो आजादी के बाद पैदा हुआ. लेकिन आज गुगल के जरिए और यूट्यूब के जरिए मैं पढ़ता हूं और देखता हूं.

उन खुशकिस्मत लोगों में से हूं जो कभी पाकिस्तान नहीं गया. लेकिन जब मैं देखता हूं कि पाकिस्तान में किस तरह के हालात हैं तो मुझे हिंदुस्तानी होने पर फख्र होता है कि हम हिंदुस्तानी मुसलमान हैं.' उन्होंने कहा, आज विश्व में किसी मुसलमान को फख्र होना चाहिए तो वो हिंदुस्तान के मुसलमान को होना चाहिए.

गुलाम नबी आजाद ने बताया कि मैं जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े कॉलेज एसपी कॉलेज में पढ़ता था. वहां 14 अगस्त भी मनाया जाता था और 15 अगस्त भी.  वहां ज्यादातर वो लोग थे, जो 14 अगस्त मनाते थे और जो लोग 15 अगस्त मनाते थे, उनमें मैं था और मेरे दोस्त थे. हम प्रिंसिपल और स्टॉफ के साथ रहते थे. इसके बाद हम दस दिन तक स्कूल नहीं जाते थे क्योंकि पिटाई होती थी. मैं उस स्थिति से निकलकर आया हूं.

अंत में उन्होंने एक शानदार शायरी कहा कि 'नहीं आएगी याद तो नहीं आएगी. मगर याद आओगे तो बहुत याद आओगे.'

इसके साथ ही शायरी में एक और तड़का केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने लगा दिया. उन्होंने तो अपनी बातों में गुलाम नहीं आजाद के लिए ये तक कह दिया कि अगर कांग्रेस उन्हें दोबारा राज्यसभा नहीं लाती है तो हम उन्हें लेकर आएंगे.

गुलाम नबी पर आठवले ने पढ़ी ये कविता

राज्य सभा छोड़कर जा रहे गुलाम नबी
राज्य सभा छोड़कर जा रहे गुलाम नबी... 
हम मिलते रहेंगे आपको कभी कभी
आपका नाम है गुलाम, इसलिए मैं करता हूं आपको सलाम,
आपका नाम है गुलाम, लेकिन आप हमेशा रहे आजाद....
आप हम सभी को रहेंगे याद,
15 अगस्त को देश हुआ आजाद, लेकिन राज्य सभा से आप आज हो रहे आजाद
आप हमेशा रहो आजाद, हम रहेंगे आपके साथ, ये अंदर की है बात,
मोदी जी जम्मू-कश्मीर का मजबूत करेंगे हाथ और आपका देते रहेंगे साथ

इसी के साथ गुलाम नबी का ये शायराना मिजाज सदन के लिए इस पारी में खत्म हो गया. पीएम मोदी भावुक हुए और गुलाम नबी की पलकें भींग गई. शायरी से गुलाम नबी आजाद ने सदन को विदा कहा, साथ ही कविता से अठावले ने उन्हें विदाई दी.

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