जम्मू कश्मीर में नई सुबह, आज से धारा 370 पूरी तरह खत्म

जम्मू कश्मीर के लिए आज ऐतिहासिक दिन है. इसका विभाजन औपचारिक रुप से अस्तित्व में आ गया है. केन्द्र सरकार की अधिसूचना 31 अक्टूबर 2019 यानी आज से लागू हो गई है. इसके साथ ही इन दोनों राज्यों का मुस्कबिल पूरी तरह बदल गया है. 

Last Updated : Oct 31, 2019, 08:27 AM IST
    • जम्मू कश्मीर में आज से धारा 370 पूरी तरह खत्म
    • सरकार ने जारी किया राजपत्र
    • पटेल की जयंती के मौके पर रचा इतिहास
    • अब भारत के दूसरे राज्यों की तरह होगा जम्मू कश्मीर
जम्मू कश्मीर में नई सुबह, आज से धारा 370 पूरी तरह खत्म

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने बुधवार देर रात को जम्मू कश्मीर के विभाजन का राजपत्र जारी कर दिया है. इसपर देश के सर्वोच्च प्रशासक महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर हैं. इसके साथ ही धारा 370 का अस्तित्व भी विलुप्त हो गया है. आज 31 अक्टूबर को देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन के मौके पर जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन प्रभावी हो गया है. 5 अगस्त 2019 को भारतीय संसद ने इससे संबंधित बिल पास किया था. आईए आपको बताते हैं कि इसके साथ इस इलाके की प्रशासनिक व्यवस्था में क्या बदलाव आएगा. 

केन्द्र के शासन के अधीन आए दोनों राज्य
पहले के जम्मू कश्मीर को विभाजित करके लद्दाख को अलग कर दिया गया है. दोनों की प्रशासनिक व्यवस्था अलग होगी. जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए अलग अलग राज्यपाल नियुक्त किेए गए हैं. जम्मू कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू और लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को राज्यपाल बनाया गया है. यह दोनों हिस्से अब केन्द्र से प्रशासित होंगे. दोनों केन्द्र शासित राज्यों का हाईकोर्ट एक ही होगा. लेकिन इसके एडवोकेट जनरल अलग अलग होंगे. 

कानूनों में आएंगे बदलाव
जम्मू कश्मीर और लद्दाख में अब 106 केन्द्रीय कानून लागू होंगे. इसमें केंद्र सरकार की कई योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग का कानून, सूचना अधिकार कानून, शत्रु संपत्ति कानून और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाला कानून भी शामिल है. राज्य पुनर्गठन कानून के लागू होने के बाद राज्य स्तर पर पहले के बनाए हुए 153 कानून खत्म हो जाएंगे, हालांकि 166 कानून अब भी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू रहेंगे.

सरकारी नौकरी और जमीनों से संबंधित कानून में भी बदलाव
अभी तक राज्य में सरकारी नौकरियों और जमीनों पर राज्य के स्थायी निवासियो का एकाधिकार था. ऐसा 35-ए कानून की वजह से था. लेकिन इसके हटने के बाद स्थिति में बदलाव आएगा. इसके बाद राज्य में जमीन की खरीद से जुड़े लगभग 7 कानून बदल जाएंगे. 

राजनैतिक व्यवस्था में होगा बदलाव
केन्द्र शासित राज्य होने के बावजूद जम्मू कश्मीर में विधानसभा बरकरार रखी गई है. लेकिन इसका कार्यकाल अब 6 की बजाए पूरे देश की तरह 5 साल का होगा. विधानसभा में एससी एसटी आरक्षित सीटें बहाल की जाएंगी. राज्य कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या दूसरे राज्यों की ही तरह 10 फीसदी पर सिमट जाएगी. विधान परिषद् खत्म हो जाएगी.  जम्मू कश्मीर से 5 और लद्दाख से 1 लोकसभा सांसद चुना जाएगा. जबकि राज्यसभा के 4 सांसद सीटें बरकरार रहेंगी. 

परिसीमन भी है प्रस्तावित
बताया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में अब आबादी के अनुपात और सामाजिक आर्थिक बिंदुओं के आधार पर सीटों का परिसीमन किया जा सकता है. फिलहाल जम्मू कश्मीर में 83 और लद्दाख में 4 विधानसभा सीटें हैं. लेकिन अब सीटों का परिसीमन फिर से कराए जाने की योजना बन रही है. 
नए प्रस्ताव के मुताबिक जम्मू कश्मीर में 90 विधानसभा सीटें हो सकती हैं. जम्मू संभाग से आबादी के आधार पर सीटें बढ़ाई जा सकती हैं. क्योंकि वहां की 69 लाख आबादी के लिए 37 सीटे हैं. जबकि कश्मीर में मात्र 53 लाख आबादी है और वहां 43 सीटें हैं. 

 

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