दिग्गज कांग्रेसी नेता हरक सिंह रावत और उनकी बहू को ED का समन, जानें क्या है मामला

एजेंसी ने इससे पहले 7 फरवरी को हरक सिंह रावत के घर सहित उनके कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. हालांकि छापेमारी में उनके घर से फाइलों के अलावा और कुछ भी नहीं मिला था.

Last Updated : Feb 23, 2024, 10:42 PM IST
  • छापा मार चुकी है एजेंसी.
  • 29 फरवरी को होना पेश.
दिग्गज कांग्रेसी नेता हरक सिंह रावत और उनकी बहू को ED का समन, जानें क्या है मामला

देहरादून. उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे दिग्गज कांग्रेसी नेता हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. दरअसल प्रवर्तन विदेशालय ने हरक सिंह रावत और उनकी बहू अनुकृति गुसाईं को एक कथित घोटाले के संबंध में समन भेजा है. दोनों को आगामी 29 मई को एजेंसी के सामने पेश होने का कहा गया है. मामला राज्य के कथित वन भूमि घोटाले से जुड़ा हुआ है. 

दरअसल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हरक सिंह पर कसता ईडी का शिकंजा उनके राजनीतिक करियर के लिए नई मुश्किल लेकर आया है. रावत उत्तराखंड कांग्रेस के टॉप लीडर्स में शुमार किए जाते हैं.  ईडी के अधिकारी उनकी बहू और 2022 में लैंसडाउन सीट से चुनाव लड़ीं अनुकृति गुसाईं रावत से भी पूछताछ करेंगे. एजेंसी ने इससे पहले 7 फरवरी को हरक सिंह रावत के घर सहित उनके कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. हालांकि छापेमारी में उनके घर से फाइलों के अलावा और कुछ भी नहीं मिला था.

एजेंसी ने तलाशी के दौरान लगभग 1.20 करोड़ रुपये मूल्य की भारतीय और विदेशी मुद्रा, सोना और काफी संख्या में दस्तावेज जब्त किए थे. तलाशी के एक दिन बाद जारी एक अधिकारिक बयान में यह नहीं बताया गया था कि क्या-क्या बरामद किया गया. एजेंसी रावत के करीबी बीरेंद्र सिंह कंडारी, भारतीय वन सेवा के अधिकारी और पूर्व संभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) किशन चंद और पूर्व वन क्षेत्र अधिकारी बृज बिहारी शर्मा के खिलाफ जांच कर रही है.

पूर्व वन मंत्री हैं रावत
63 वर्षीय रावत राज्य के पूर्व वन मंत्री हैं और 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये थे. एजेंसी का आरोप है कि कंडारी और नरेन्द्र कुमार वालिया नाम के व्यक्ति ने रावत के साथ मिलकर एक साजिश रची और एक भूखंड की दो ‘पावर ऑफ अटार्नी’ का पंजीकरण कराया, जिसके लिए एक अदालत ने बैनामा रद्द कर दिया था. ईडी ने दावा किया कि तत्कालीन संभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) किशन चंद और तत्कालीन ‘फॉरेस्ट रेंजर’ शर्मा ने अन्य अधिकारियों तथा रावत के साथ आपराधिक साजिश कर अधिकृत वित्तीय शक्तियों से अधिक राशि की निविदा प्रकाशित की. निविदा नियमों/दिशानिर्देशों के अनुरूप भी नहीं थी. 

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