हिजाब पहनने वाली मुस्लिम लड़कियां किसी की भावनाओं को आहत नहीं कर सकतीं: SC में वकील की दलील

भारतीय सभ्यता के उदार पहलू के महत्व पर जोर देते हुए वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि देश उदार परंपरा पर बना है और विविधता में एकता है.

Edited by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 19, 2022, 11:25 PM IST
  • कोर्ट में बोले याचिककर्ता के वकील.
  • देश की उदार परंपरा का किया जिक्र.
हिजाब पहनने वाली मुस्लिम लड़कियां किसी की भावनाओं को आहत नहीं कर सकतीं: SC में वकील की दलील

नई दिल्ली. देश की सर्वोच्च अदाल में कर्नाटक हिजाब मामले को लेकर सुनवाई जारी है. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान कुछ याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हिजाब पहनने वाली मुस्लिम लड़कियां किसी की भावनाओं को आहत नहीं कर सकती हैं और हिजाब उनकी पहचान है. भारतीय सभ्यता के उदार पहलू के महत्व पर जोर देते हुए दवे ने कहा कि देश उदार परंपरा पर बना है और विविधता में एकता है. उन्होंने कहा कि अगर कोई हिंदू लड़की हिजाब पहने मुस्लिम लड़की से पूछती है कि उसने इसे क्यों पहना है? और, वह अपने धर्म के बारे में बात करती है तो यह वास्तव में सुंदर है.

आत्मघाती हमलों का जिक्र
दवे ने जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष बताया कि इस्लामिक दुनिया में 10,000 से अधिक आत्मघाती बम विस्फोट हुए हैं और इस देश को केवल पुलवामा में एक आत्मघाती बम विस्फोट का सामना करना पड़ा, जो देश में अल्पसंख्यक समुदायों के विश्वास को दर्शाता है.

लव जिहाद का भी किया जिक्र
दवे ने कहा कि लव जिहाद का पूरा मुद्दा और अब मुस्लिम लड़कियों को शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने से रोकना, अल्पसंख्यक समुदाय को हाशिए पर डालने के लिए एक पैटर्न को दर्शाता है. दवे ने कहा कि पश्चिम ने पहले ही हिजाब की अनुमति दी है और अमेरिकी सेना ने भी पगड़ी की अनुमति दी है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सदियों से मुस्लिम महिलाएं दुनिया भर के देशों में हिजाब पहनती आ रही हैं. उन्होंने तर्क दिया कि मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब महत्वपूर्ण है और यह उनका विश्वास है और कहा कि कोई तिलक लगाना चाहता है, कोई क्रॉस पहनना चाहता है, सभी का अधिकार है और यही सामाजिक जीवन की सुंदरता है.

हिजाब से अखंडता को कैसा खतरा?
उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि हिजाब पहनने से देश की एकता और अखंडता को कैसे खतरा होगा? इस पर पीठ ने जवाब दिया कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला भी ऐसा नहीं कहता है और कोई ऐसा नहीं कह रहा है. कर्नाटक हाईकोर्ट के 15 मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी.

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