लखनऊ: अपने विवादित बयानों के कारण जेल की हवा खा चुके कमलेश तिवारी की हत्या कर दी गई है. वह लखनऊ के नाका इलाके में रहते थे. जहां पहुंचे हमलावरों ने पहले उनपर चाकुओं से वार किया, फिर गला रेत दिया और बाद में प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मार दी. इसके बाद हमलावर फरार हो गए. चश्मदीदों ने बताया कि हमलावर दो थे. जिसमें से एक ने भगवा कपड़ा पहना था.
मिठाई के डिब्बे में हथियार लेकर आए थे हमलावर
हमले के बाद बुरी तरह जख्मी कमलेश तिवारी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन ज्यादा खून बह जाने और गंभीर चोटों की वजह से उनकी मौत हो गई.
कमलेश तिवारी पर हमला उनके खुर्शीद बाग स्थित घर पर हुआ. हमलावर मिठाई के डिब्बे में हथियार लेकर कमलेश तिवारी के पास पहुंचे थे. जिसके आधार पर पुलिस यह शक जाहिर कर रही है कि इसके पीछे कमलेश तिवारी के किसी परिचित का ही हाथ है. कमलेश तिवारी के शरीर पर चाकू के 15 से भी ज्यादा वार किए गए.
Lucknow: Hindu Mahasabha leader Kamlesh Tiwari critically injured after being shot at in his office. More details awaited. pic.twitter.com/KoQifAZW8X
— ANI UP (@ANINewsUP) October 18, 2019
इलाके में फैल गया है तनाव
कमलेश तिवारी की हत्या के बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया है. उनके समर्थकों ने हत्या के खिलाफ प्रदर्शन शुरु कर दिया. दुकानें बंद करा दी गई हैं. किसी तरह के हिंसक प्रदर्शन से जूझने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल और पीएसी तैनात कर दी गई है.
तेजी से कार्रवाई मे जुटी हुई है पुलिस
कमलेश तिवारी की हत्या के बाद से सांप्रदायिक तनाव फैलने का खतरा है. जिसकी वजह से पुलिस अतिरिक्त सावधानी बरत रही है. बताया जा रहा है कि हमलावरों ने आने से पहले कमलेश तिवारी से फोन पर बात भी की थी. इसके बाद पुलिस फोन के कॉल रिकॉर्ड्स की छानबीन कर रही है. इलाके में लगे सभी सीसीटीवी कैमरे खंगाले जा रहे हैं. लोगों से पूछताछ भी की जा रही है. खुद एसएसपी मामले की जांच कर रहे हैं. फोरेंसिक टीम घटनास्थल पर से सबूत इकट्ठा कर रही है.
कमलेश तिवारी जता चुके थे अपनी हत्या की आशंका
कमलेश तिवारी ने तीन साल पहले यानी साल 2016 के नवंबर महीने में अपनी हत्या की आशंका जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि मजहबी कट्टरपंथी उनकी हत्या कर सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो उनकी मौत के जिम्मेदार सपा और भाजपा होंगे. तिवारी का कहना था कि उन्होंने अपनी हत्या की आशंका को देखते हुए दो बार राज्यपाल को चिट्ठी भी लिखी थी.
दरअसल कमलेश तिवारी ने इस्लाम धर्म के संस्थापक मोहम्मद साहब पर विवादास्पद टिप्पणी की थी. जिसके बाद उनके खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था. जिसके बाद उत्तर प्रदेश की तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने उनपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा दिया था. जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13 अक्टूबर 2017 को हटा दिया था.
साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कमलेश तिवारी ने अपनी अलग हिंदू समाज पार्टी बना ली थी.