कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को एक बार फिर से धक्का मुक्की और बदसलूकी का सामना करना पड़ा है. उन्हें राज्य की राजधानी कोलकाता के प्रमुख विश्वविद्यालय में मंच पर जाने से रोक दिया गया और उनके साथ हाथापाई की गई.
राज्यपाल के खिलाफ छात्रों को भड़काया गया
पश्चिम बंगाल में राज्यपाल के खिलाफ इतना जहर भरा गया है कि वहां कोलकाता विश्वविद्यालय के छात्रों ने उन्हें दीक्षांत समारोह में भी हिस्सा नहीं लेने दिया. उन्हें मंच पर जाने से रोक दिया गया. बताया जा रहा है कि कथित नजरुल मंच के छात्रों ने राज्यपाल को देखते ही उनका विरोध करने लगे और उनकी इर्द-गिर्द एकत्र होकर 'वापस जाओ' के नारे लगाने लगे. इस वजह से महज 10 मिनट के बाद ही राज्यपाल अपनी कार में लौट गए. विरोध कर रहे छात्रों ने ऑडिटोरियम के मुख्य दरवाजे पर खड़े हो गए और राज्यपाल को अंदर जाने नहीं दिया.
तिरंगे का भी हुआ अपमान
कोलकाता विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी को डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया जाना था. जब छात्र राज्यपाल का विरोध कर रहे थे, उस दौरान अभिजीत बनर्जी भी दीक्षांत समारोह में मौजूद थे. छात्रों के विरोध के चलते राज्यपाल दीक्षांत समारोह में शामिल हुए बिना वहां से लौट गए. विरोध के दौरान छात्रों ने राज्यपाल की गाड़ी पर लगे तिरंगे को भी तोड़ दिया.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से रिश्ते हैं खराब
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से राज्यपाल जगदीप धनखड़ के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं. कई मौकों पर सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के छात्र संगठन के लोग राज्यपाल के प्रति विरोध जता चुके हैं.
दरअसल राज्यपाल जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल की ममता सरकार की ओर से सीएए का विरोध करने को लेकर भी निंदा कर चुके हैं. हाल ही में राज्यपाल धनखड़ ने ट्वीट कर ममता सरकार पर सवाल उठाए थे. धनखड़ ने ट्वीट किया था, 'मैं बेहद दुखी हूं कि मुख्यमंत्री और मंत्री नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ रैली का नेतृत्व कर रहे हैं. यह असंवैधानिक है. मैं ऐसे समय में मुख्यमंत्री से असंवैधानिक एवं भड़काऊ गतिविधि से बचने और राज्य में स्थिति बेहतर करने पर ध्यान देने की अपील करता हूं.'
एक अन्य ट्वीट में धनखड़ ने उन बौद्धिक और सांस्कृतिक हस्तियों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों से हिंसा से बचने की अपील की है.
'बुद्धिजीवियों, फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं और मंच के कलाकारों का आभार, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया. आशा है कि इस तरह अन्य लोग भी आगे आएंगे.' उन्होंने कहा, 'हम संवैधानिक रूप से कानून का पालन करने के लिए बाध्य हैं.'
राज्यपाल के यही विचार राज्य सरकार को रास नहीं आते. जिसकी वजह से उनके खिलाफ जगह जगह लोगों को भड़काया जा रहा है.
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