बेंगलूरू: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने संचार उपग्रह GSAT -3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इसरो का GSAT-30 को यूरोपियन हैवी रॉकेट एरियन-5 से शुक्रवार यानी 17 जनवरी को तड़के 2.35 मिनट पर दक्षिण अमेरिका के उत्तरपूर्वी तट पर कौरो के एरियर प्रक्षेपण तट से छोड़ा गया. यह उपग्रह दक्षिण अमेरिका के उत्तर-पूर्वी तट पर कौरो के एरियर प्रक्षेपण परिसर से एरियन-5 रॉकेट के जरिए अपनी यात्रा पर रवाना हुआ.


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15 सालों तक काम करेगा GSAT-30



 


GSAT-30 सैटेलाइट का वजन करीब 3100 किलोग्राम है. यह लॉन्चिंग से 15 सालों तक काम करता रहेगा. इसे जियो-इलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया गया है. इसमें दो सोलर पैनल और बैटरी है, जिससे इसे ऊर्जा मिलेगी. GSAT-30 सैटेलाइट इनसैट-4ए की जगह लेगा. इनसैट-4ए को साल 2005 में लॉन्च किया गया था. उम्मीद है कि इससे भारत की संचार सेवाएं बेहतर होंगी. 


इनसेट-4 A की जगह लेगा GSAT-30



ISRO ने जानकारी दी कि GSAT-30 एक संचार उपग्रह है. यह इनसैट-4ए सैटेलाइट की जगह काम करेगा. दरअसल, इनसैट सैटेलाइट-4 की उम्र अब पूरी हो रही है और इंटरनेट तकनीकी में तेजी से बदलाव आ रहा है. इस वजह से ज्यादा ताकतवर सैटेलाइट की जरूरत थी. इसी जरूरत को पूरा करने के लिए इसरो ने GSAT-30 लॉन्च किया.


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क्या है GSAT-30 की खासियत



इसका वजन करीब 3100 किलोग्राम है. यह लॉन्चिंग के बाद 15 सालों तक काम करता रहेगा. इसे जियो-इलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा. इसमें दो सोलर पैनल होंगे और बैटरी होगी जिससे इसे ऊर्जा मिलेगी. बता दें कि GSAT -30 इसरो द्वारा डिजाइन किया हुआ और बनाया गया एक दूरसंचार उपग्रह है. यह इनसेट सैटेलाइट की जगह काम करेगा. GSAT-30 लॉन्च होने से देश की संचार व्यवस्था और मजबूत हो जाएगी और इसकी सहायता से देश में नई इंटरनेट टेक्नोलॉजी आने की उम्मीद है.


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