दिल्ली: विदेश मंत्रालय की ओर से स्पष्ट किया गया है कि शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) समिट के लिए आठों सदस्य देशों के प्रमुखों को न्योता भेजा जाएगा. इसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी शामिल हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि हम सबको बुलाएंगे और इस पर विस्तृत जानकारी समय आने दी जाएगी.
पिछले एक साल से दोनों देशों में बढ़ा तनाव
पिछले एक साल से पुलवामा हमला, सर्जिकल स्ट्राइक और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव बरकरार है और लगातार किसी न किसी कारण से इसमें बढ़ोत्तरी हो रही है. भारत की ओर से पाकिस्तान को साफ साफ कहा गया है कि उसे अपने यहां भारत के खिलाफ हो रही आतंकी साजिशों को रोकना होगा तभी बातचीत हो सकती है.
2017 में SCO का पूर्णकालिक सदस्य बना भारत
उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान को एससीओ के पूर्णकालिक सदस्यों के तौर पर एससीओ में 2017 में शामिल किया गया था. इसके बाद भारत में होने वाली ये पहली 8 सदस्यीय उच्चस्तरीय बैठक है. भारत और पाकिस्तान के अलावा एससीओ के सदस्य देशों में चीन, कजाखिस्तान, रूस, ताजकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं.
क्यों महत्वपूर्ण है शंघाई सहयोग संगठन की समिट
भू-रणनीतिक संतुलन की दृष्टि से भी देखें तो यह सम्मेलन बेहद महत्वपूर्ण है. अभी हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान पर दबाव बढ़ाने के लिए भारत को उससे कच्चा तेल खरीदने से मना कर दिया था. अमेरिका ने व्यापारिक तरजीह वाली देश की अपनी सूची से भारत को बाहर कर दिया. वैसे तो इस एससीओ पर पूरी तरह से चीन का कब्जा है, लेकिन जिस प्रकार विश्व का शक्ति संतुलन बदल रहा है, उसमें इस संगठन में अपनी पहुंच बढ़ाकर भारत कई प्रकार का लाभ उठा सकता है. शंघाई सहयोग संगठन के 6 सदस्य देशों का भू-भाग यूरेशिया का 60 प्रतिशत है.
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