नई दिल्ली: निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे चाहते थे कि अयोध्या भूमि विवाद के समाधान की मध्यस्थता प्रक्रिया का बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान भी हिस्सा हों. इस रोचक तथ्य का खुलासा पहली बार सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम सिंह ने प्रधान न्यायधीश के विदाई समारोह के मौके पर अपने संबोधन में किया.
अयोध्या विवाद के समाधान के लिये मध्यस्थता समिति का गठन मार्च 2019 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने किया था. न्यायमूर्ति बोबडे के प्रयास की सराहना करते हुए सिंह ने कहा कि अभिनेता भी इसके लिये सहमत थे लेकिन यह प्रक्रिया फलीभूत नहीं हो सकी.
शाहरुख को बनाना चाहते थे मध्यस्थता समिति का हिस्सा
उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति बोबडे जब अयोध्या मामले की सुनवाई के शुरुआती चरण में थे तब उनका यह दृढ़ मत था कि समस्या का समाधान मध्यस्थता के जरिये हो सकता है. सिंह ने कहा, 'जहां तक अयोध्या विवाद की बात है, मैं आपको अपने और न्यायमूर्ति बोबडे का एक राज बताता हूं. जब वह सुनवाई के शुरुआती चरण में थे, उन्होंने मुझसे पूछा कि था कि क्या शाहरुख खान समिति का हिस्सा हो सकते हैं. उन्होंने मुझसे पूछा क्योंकि वह जानते थे कि मैं खान के परिवार को जानता हूं. मैंने खान से इस मामले पर चर्चा की और वह इसके लिये सहमत थे.'
शाहरुख का था सुझाव, हिंदू रखे मस्जिद की और मुसलमान मंदिर की नींव
सिंह ने कहा, “खान ने यहां तक कहा कि मंदिर की नींव मुसलमानों द्वारा रखी जाए, और मस्जिद की नींव हिंदुओं द्वारा. लेकिन मध्यस्थता प्रक्रिया विफल हो गई और इसलिये यह योजना छोड़ दी गई. लेकिन सांप्रदायिक तनाव को मध्यस्थता के जरिये सुलझाने की उनकी इच्छा उल्लेखनीय थी.' मध्यस्थता समिति में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला, ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू थे.
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