मुंबई. देश के एक पूर्व लोकसभा अध्यक्ष का कहना है कि अन्य धर्म धारण करने वाले आदिवासी लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. दरअसल लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष करिया मुंडा ने रविवार को कहा कि इस्लाम या ईसाई धर्म अपनाने वाले अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में कोई आरक्षण लाभ नहीं मिलना चाहिए .
क्या है मुंडा का तर्क
मुंडा का तर्क है कि उन्होंने (आदिवासियों ने) अपना धर्म, संस्कृति, परंपराएं और पूजा के तरीके छोड़ दिए हैं, इसलिए उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. बीजेपी नेता मुंबई में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा आयोजित एक रैली को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा-देश में जनजातीय लोगों का धर्म परिवर्तन करने की आड़ में बहुत बड़ी साजिश चल रही है. हमारी मांग है कि जो जनजातीय लोग इस्लाम या ईसाई धर्म अपना लेते हैं, उन्हें एसटी वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलना चाहिए.
आंकड़े भी बताए
करिया मुंडा ने कहा- जिन लोगों ने धर्म परिवर्तन किया है, उन्होंने अपनी जीवनशैली, संस्कृति, विवाह परंपराएं और भगवान की पूजा करने के तरीके बदल लिये हैं. जिस तरह से अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के धर्मांतरित लोगों को आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलता है, उसी तरह का कानून एसटी वर्ग के लोगों पर भी लागू होना चाहिए. मुंडा ने दावा किया कि देश में जनजातीय लोगों की आबादी साढ़े आठ करोड़ है जिनमें से 80 लाख लोग ईसाई और 12 लाख लोग मुस्लिम हैं.
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