KC Tyagi: केसी त्यागी नीतीश से बड़े नेता हुआ करते थे, फिर कहां अटका सियासी ग्राफ?

KC Tyagi Political Journey: केसी त्यागी एक जमाने में नीतीश कुमार से बड़े नेता हुआ करते थे. उनका राजनीतिक कद शरद यादव के बराबर माना जाता था. लेकिन मंडल पॉलिटिक्स ने उनके सियासी करियर पर ब्रेक लगा दिया था.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Sep 1, 2024, 01:15 PM IST
  • दो बार सदन पहुंचे केसी त्यागी
  • मुलायम के भी हुआ करते थे खास
KC Tyagi: केसी त्यागी नीतीश से बड़े नेता हुआ करते थे, फिर कहां अटका सियासी ग्राफ?

नई दिल्ली: KC Tyagi Political Journey: JDU के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से केसी त्यागी ने इस्तीफा दे दिया है. ऐसा कहा जा रहा है कि केसी त्यागी से JDU का नेतृत्व खुश नहीं था. त्यागी के पिछले कुछ बयान पार्टी लाइन से बाहर थे. SC-ST आरक्षण, लेटरल एंट्री और विदेश नीति के मुद्दे पर वे NDA के स्टैंड से सहमत नहीं थे. कुछ मुद्दों पर उन्होंने वह रुख अपनाया, जो INDIA गठबंधन का था. हालांकि, केसी त्यागी ने 'निजी कारणों' से इस्तीफा देने की बात कही थी. केसी त्यागी एक समय पर नीतीश कुमार से बड़े नेता हुआ करते थे. लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि उन्हें नीतीश के अंडर काम करना पड़ा?

नीतीश से बड़े नेता माने जाते थे केसी त्यागी?
केसी त्यागी ने समाजवाद की विचारधारा के साथ राजनीतिक पारी को आगे बढाया था. वे साल 1974 में चौधरी चरण सिंह की लोकदल पार्टी में ऊंचे पद पर रहे. साल 1989 में लोकसभा के सांसद बने, लेकिन 16 महीने में ही इसे भंग कर दिया गया था. इससे पहले उन्होंने इमरजेंसी के दौर में समाजवादी नेता ज़ॉर्ज फर्नांडिस के साथ इमरजेंसी की मुखालिफत की थी. तब वे युवा तुर्क कहलाते थे. 1977 में इमरजेंसी हटने के बाद त्यागी का कद काफी बढ़ा. तब उन्हें नीतीश कुमार से भी बड़े नेताओं में गिना जाने लगा था. उस दौर में त्यागी और शरद यादव एक कद के ही नेता हुआ करते थे. 

केसी त्यागी का सियासी ग्राफ कहां अटका?
केसी त्यागी के सियासी करियर में उतार तब आया, जब 1989 में मंडल कमिशन लागू हुआ. त्यागी अगड़ी जाति से थे, जबकि शरद यादव पिछड़ी जाति से थे. मंडल पॉलिटिक्स में त्यागी का पॉलिटिकल ग्राफ नीचे गया और शरद यादव दिनों-दिन आगे बढ़ते रहे. फिर भी त्यागी और यादव के रिश्ते सहज रहे. एक बार दोनों किसी रेस्तरां में मिले. शरद यादव ने त्यागी की थाली को देखकर कहा- केसी, तुम्हारी थाली ज्यादा भरी हुई है, क्योंकि तुम अगड़ी जाति से हो. मेरी थाली में खाना कम है, क्योंकि मैं पिछड़ी जाति से हूं. दोनों की ऐसी हंसी-ठिठोली चलती रहती थी. केसी त्यागी अगड़ी जाति के नेता होकर भी बैकवर्ड कास्ट की पॉलिटिक्स करने वाली पार्टियों से जुड़े थे, इसी कारण उनका सियासी ग्राफ आगे नहीं बढ़ पाया. 

पिछड़ी जाति के नेताओं से रही दोस्ती
केसी त्यागी की दोस्ती भी उन्हीं नेताओं से थी, जो पिछड़ी जाति से आते हों. फिर चाहे पूर्व PM चौधरी चरण सिंह हों या सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव. मुलायम के पहले मुख्यमंत्री काल में त्यागी बेहद ताकतवर थे. वे सपा के सदस्य नहीं थे, फिर भी राजधानी में उनकी तूती बोलती थी. हालांकि, वे मुलायम के साथ ज्यादा दिन नहीं रहे. उन्होंने अपना सियासी भविष्य नीतीश कुमार और शरद यादव के साथ अधिक सुरक्षित पाया. 

केवल दो बार सदन पहुंचे
केसी त्यागी का सियासी रसूख और हो सकता था, लेकिन वे बैकवर्ड कास्ट की पॉलिटिक्स में अनफिट रहे. वे मात्र दो बार सदन में पहुंच पाए. पहली बार 1989 में लोकसभा पहुंचे और फिर साल 2013 में उन्हें तीन साल के लिए राज्यसभा पहुंचे. सरकार में उनके पास कभी बड़े पद नहीं रहे, लेकिन संगठन में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती थी.

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