नई दिल्ली: दुनिया में सबसे अधिक सोना हर साल भारत में खरीदा जाता है. भारतीय महिलाएं सोने के आभूषण पहनने की बेहद शौकीन हैं साथ ही सोने के आभूषण पहनना पुरातन काल या कहें हड़प्पा काल से भारतीय परंपरा में शामिल रहा है. लेकिन सोने की शुद्धता को लेकर हमेशा से ही सवाल उठते रहे हैं.
इसी लिए पुरातन काल से ही सोने को कसौटी पर कसा जाता था. इसी वजह से सोने की शुद्धता की तरह इंसान के व्यक्तित्व को भी कसौटी पर कसा जाने लगा और इसने कहावत का रूप ले लिया.
अब 14, 18 और 22 कैरेट सोने के आभूषणों की होगी बिक्री
सोने के आभूषणों की शुद्धता पर उठने वाले सवालों को भारत सरकार ने हमेशा के लिए खत्म कर दिया है और देश में सोने के आभूषणों या कलाकृतियों की बिक्री के लिए नए नियम लागू कर दिए हैं. 16 जून, 2021 से केवल हॉलमार्क सोने के आभूषणों की बिक्री की अनुमति होगी.
नए नियमों के प्रभावी होने के बाद भारत में अब 14, 18 और 22 कैरेट सोने के आभूषणों की बिक्री हो सकेगी. इसके अलावा 20, 23 और 24 कैरेट के सोने के लिये भी हॉलमार्किंग की अनुमति होगी.
हॉलमार्किग से होंगे उपभोक्ता को फायदे
हॉलमार्किंग से उपभोक्ताओं को कई फायदे होंगे. पहला उन्हें ये साफ तौर पर पता होगा कि वो जो आभूषण खरीद रहे हैं उसमें सोने की कितनी मात्रा है. अब जौहरी उनके साथ धोखा नहीं कर सकेगा. साथ ही जरूरत के समय उन्हें गोल्ड लोन लेने में भी आसानी होगी. क्योंकि ज्वैलरी में कितना सोना है इसकी जांच में लगने वाला समय मानकीकृत किए जाने से बच सकेगा.
ऐसे में उपभोक्ताओं के लिए ये जानना जरूरी है कि हॉलमार्किंग कैसे होती है और ज्वैलरी में बने हॉलमार्क के निशान को देखकर कैसे पता चलेगा कि ये कितने कैरेट सोने से बनी है.
24 कैरेट का होता है शुद्ध सोना
शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है इसे 100 प्रतिशत शुद्ध मानते हैं. सोना अपने आप में इतना मुलायम होता है कि उसमें पीतल या अन्य धातु मिलाए बिना उसके आभूषण बना पाना मुश्किल होता है. आभूषण में जो टांके लगाए जाते हैं वो भी पीतल जैसी अन्य धातु के होते हैं. ऐसे में कोई ये कहे ही आभूषण शत प्रतिशत सोने से बना है तो ये बात सरासर झूठ है.
ऐसे होती है कैरेट की गणना
24 कैरेट सोना 100 प्रतिशत खरा होता है. अगर 100 में 24 का भाग दिया जाए तो इसका मान 4.16 आता है. इसका मतलब एक कैरेट सोना 4.16 प्रतिशत खरा होता है. इसी तरह जैसे जैसे सोने की मात्रा आभूषण में बढ़ेगा और जिनते कैरेट का आभूषण होगा उसमें उतने का गुणा करते जाएं.
कैरेट बताने के लिए लिखे होते हैं अंक
14K(कैरेट) की ज्वैलरी में बीआईएस के त्रिकोण चिन्ह के साथ 58.5 या 585 लिखा होता है. वहीं 18K की ज्वैलरी में 75.0 या 750 और 22K कैरेट की ज्वैलरी में 91.6 या 916 लिखा होता है. इन दो निशानों के अलावा हॉलमार्क ज्वैलरी में आभूषण निर्माता की पहचान और आभूषण की शुद्धता को प्रमाणित करने वाले सेंटर का निशान बना होता है जो कि अपने आप में विशिष्ट होता है.
किस वर्ष बनी है ज्वैलरी इसकी भी मिलता है जानकारी
इसके अलावा मार्किंग से यह भी पता चल जाता है कि यह आभूषण किस वर्ष में बना या सर्टिफाइड हुआ था. इसके लिए A से लेकर Z तक अक्षर बने होते हैं. भारत में हॉलमार्किंग की शुरुआत अप्रैल 2000 में हुई थी. इसलिए इस साल बने आभूषण में A लिखा होता है. साल 2021 में बेची जाने वाली हॉलमार्क ज्वैलरी में U और 2026 में प्रमाणित की जाने वाली ज्वैलरी में Z लिखा होगा.
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