औरत की वफादारी पर हमेशा शक करता रहा है पुरुष, इतिहास में दर्ज हैं कई मिसालें

अमेरिका के जनरल सोशल सर्वे के मुताबिक महिलाओं से कम वफादार होते हैं पुरुष, फिर भी चरित्रशंका के चलते पुरुष उन पर अत्याचार करता है. ज्यादातर हत्याओं का कारण भी यही है. इस खास रिपोर्ट में पढ़िए अहम बातें..

Written by - Amandeep | Last Updated : Sep 13, 2022, 11:11 PM IST
  • पुरुषों से ज्यादा वफादार होती हैं महिलाएं
  • ज्यादातर हत्या की वजह, "चरित्रशंका"
औरत की वफादारी पर हमेशा शक करता रहा है पुरुष, इतिहास में दर्ज हैं कई मिसालें

नई दिल्ली: 1536 में ब्रिटेन के राजा हेनरी ने अपनी दूसरी पत्नी रानी एने बोलिन को सिर कलम की सजा सुना दी. सजा का कारण था चरित्रशंका, रानी को महल में नहीं बल्कि लंदन टॉवर पर सिर कलम की सजा सुनाई गई ताकि ब्रिटेन की महिलाए देख सके और समय रहते संभल जाएं. गौर कीजिएगा ये सजा सिर्फ शक के आधार पर दी गई थी जिसका कोई सबूत नहीं था.

चरित्र का सर्टिफिकेट देते आए हैं पुरुष
महिलाओं के चरित्र का सर्टिफिकेट अक्सर पुरुष जारी करते आए हैं. वो हर किसी से हंस हंस कर बातें करती हैं, छोटे कपड़े पहनती हैं, लेट नाईट पार्टी करती हैं, कुल मिलाकर स्त्री जो करे, उसे चरित्र से जोड़ दिया जाता है और यह काम कॉर्पोरेट में काम करने वाले से लेकर दिहाड़ी मजदूर, यह तक की गद्दी पर बैठा नेता भी बड़ी आसानी से कर लेता है.

बीते दिनों रायपुर में पति ने पत्नी पर कुल्हाड़ी से वार किया उसके बाद गला दबाकर हत्या कर दी, क्योंकि पति पत्नी के चरित्र पर शक करता था और इस वारदात को जब अंजाम दिया गया. उस वक्त पत्नी सो रही थी. पुलिस ने मामला दर्ज कर पति को गिरफ्तार कर लिया.

'चरित्रशंका' के चलते होती हैं हत्याएं
ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्हें मौत के घाट उतार दिया गया, क्योंकि पति या प्रेमी को महिला के चरित्र पर संदेह था. नाम और जगह हर रोज बदल जाती है, लेकिन हत्या की वजह एक ही रहती है "चरित्रशंका"

महिलाओं के धोखे के होती है हिंसा
अमेरिका के जनरल सोशल सर्वे (GSS) के अनुसार रिश्ते निभाने में महिलाए पुरुषों से ज्यादा भरोसेमंद होती हैं. इसका मतलब पुरुष महिलाओं से कम वफादार होते हैं, सर्वे 18 से 80 आयु वर्ग के अलग अलग श्रेणियों में किया गया, जहां ज्यादातर पुरुषों ने माना कि वह अपनी पत्नी या प्रेमिका में अलावा, एक से ज्यादा महिलाओं से जुड़े हुए हैं. वहीं महिलाओं का धोखा ज्यादातर उन मामलों में दिखा जहा पार्टनर उनपर हिंसा करता था.

एक नहीं ऐसे हजारी शोध हैं, लेकिन इससे फर्क नहीं पड़ता. फर्क पड़ता है महिला कितना हंसती है, कितना बोलती है, कितने अच्छे से तर्क कर पाती है या कितना गुमसुम रहती है.

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