Mulayam Singh Yadav: मुलायम के वो राजनीतिक गुरु, जिन्होंने उनपर किया था सबसे बड़ा एहसान

Mulayam Singh Yadav Political Career: सपा संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली. उत्तर प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी छाप छोड़ने वाले मुलायम की राजनीति में एंट्री भी बड़ी फिल्मी थी. साल 1967 में मुलायम ने उत्तर प्रदेश में विधायक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 10, 2022, 03:12 PM IST
  • पढ़ाई के दौरान ही जेल गए थे मुलायम
  • जब गुरु ने अपनी सीट से लड़ाया मुलायम को चुनाव
Mulayam Singh Yadav: मुलायम के वो राजनीतिक गुरु, जिन्होंने उनपर किया था सबसे बड़ा एहसान

नई दिल्ली: सपा संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली. उत्तर प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी छाप छोड़ने वाले मुलायम की राजनीति में एंट्री भी बड़ी फिल्मी थी. साल 1967 में मुलायम ने उत्तर प्रदेश में विधायक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. 

पढ़ाई के दौरान ही जेल गए थे मुलायम

अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत से काफी पहले ही मुलायम को पढ़ाई के दौरान ही जेल जाना पड़ा था. ये बात है साल 1954 की, जब देशभर में कांग्रेस के खिलाफ सिंचाई का रेट बढ़ाने को लेकर नहर रेट आंदोलन चल रहा था. इस आंदोलन में मुलायम भी हिस्सा ले रहे थे, उस समय उनकी उम्र महज 15 साल थी और उन्हें आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल जाना पड़ा था. लगभग 28 घंटे जेल में बिताने के बाद जब मुलायम बाहर आए, तब उनकी छवि एक स्कूल के बच्चे से एक छात्र नेता में बदल चुकी थी.

मुलायम के जीवन में आया ये बड़ा मोड़

राजनीति में कदम रखने से पहले मुलायम की पहली ख्वाहिश पहलवान बनने की थी. एक बार मुलायम दंगल में पहलवानी कर रहे थे. ये दंगल उस समय के संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के विधायक नाथू सिंह भी देखने पहुंचे थे. उस दंगल में उनकी नजर मुलायम पर पड़ी और वहीं से उन्होंने मुलायम को अपना शागिर्द बना लिया. 

फिर आया साल 1967 का, जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने थे. इस चुनाव में नाथू सिंह ने समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया से मुलायम सिंह को विधायक का टिकट देने की पैरवी की. इसी समय नाथू सिंह लोहिया की पुरानी बनाई पार्टी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को छोड़कर वो लोहिया की नई पार्टी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो चुके थे. 

जब गुरु ने अपनी सीट से लड़ाया मुलायम को चुनाव

इस विधानसभा चुनाव में नाथू सिंह जसवंतनगर से चुनाव लड़ने वाले थे, लेकिन उन्होंने इस सीट से मुलायम को चुनाव लड़वाने की पैरवी की और वे खुद करहल सीट से चुनाव लड़े. इस विधानसभा चुनाव में मुलायम और नाथू सिंह दोनों ही चुनाव जीत गए. 

मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु के रूप में नाथू सिंह का वो एहसान कभी चुकाया नहीं जासका, जो उन्होंने अपनी सीट से मुलायम को चुनाव लड़वाकर मुलायम पर किया था. वह चुनाव जीतने के बाद मुलायम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे चलकर वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री तक बने.  

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