नई दिल्ली: दिल्ली में पिछले तीन दिनों से जामिया मिलिया इस्लामिया संस्थान चर्चा में बना हुआ है. प्रदर्शनकारी छात्रों को हर तरफ से यह सीख दी जा रही है कि वे शांति के साथ और अहिंसक तरीके से अपनी बात रखें. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद घयोरूल हसन रिजवी ने सभी से अपील की है.


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उन्होंने कहा कि "मैं प्रदर्शनकारियों से अपील करता हूं कि विरोध प्रदर्शन इतने उग्र तरीके से न किए जाएं. इसके साथ ही पुलिस से भी अपील करता हूं कि वे जरा संयमता से और शांति से मामले से निपटें."



अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष: यह कानूनी भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ नहीं


उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून  के विषय में  बात करते हुए कहा कि "यह कानून किसी भी तरह से भारतीय मुसलमानों के खिलाफ नहीं है. इसके प्रावधान यहां के मुस्लिमों के ऊपर लागू ही नहीं होते." इसलिए इसका विरोध भी करना चाहते हैं तो अवश्य करें लेकिन शांति बनी रहे. 


वीसी ने कहा पुलिस बिना पूछे घुसी अंदर घुसी 


नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अब तक काफई बवाल मच चुका है. छात्रों का प्रदर्शन काफी नुकसान करा चुका है. पिछले दिनों बसें भी जलाई गईं. इसके अलावा कल शाम पुलिस संस्थान के अंदर घुसकर लाइब्रेरी में बैठे छात्रों पर लाठियां और डंडे बरसाने लगी. पुलिस के इस हमले में कुछ छात्र जो चुपचाप लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ रहे थे, उन्हें भी मार पड़ी है.



विश्वविद्यालय की वीसी नजमा अख्तर ने कहा कि पुलिस बिना अनुमति अंदर घुसी थी. हिंसक विद्रोह को भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. 


दिल्ली पुलिस ने कहा प्रदर्शनकारियों का पीछा करते हुए अंदर हुए दाखिल


इस मामले पर दिल्ली पुलिस की ओर से भी एक बयान जारी किया गया है. दिल्ली पुलिस पीआरओ एम एस रंधावा ने कहा कि पुलिस दबंग छात्रों का पीछा करते हुए अंदर तक घुस गई. पुलिस पीआरओ ने  बताया कि कुछ छात्र पत्थरबाजी कर रहे थे, उन्हीं को खदेड़ने के क्रम में लाइब्रेरी की तरफ चली गई.



लेकिन अगर किसी भी तरह से निर्दोश छात्रों को मारा गया है तो हम उसकी जांच करेंगे और इसके बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. 


उधर विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि उनपर आंसू गैस के गोले दागे गए. पुलिस ने मार-मार कर तितर-बितर कर दिया. लेकिन बसों को किसने जलाया इस पर छात्र पुलिस को दोष दे रहे हैं और पुलिस प्रदर्शनकारी छात्रों को. सच कौन कह रहा है यह अ ब बी सस्पेंस है.