नई दिल्ली: राजस्थान के पेट्रोल पंप संचालक 15 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. अपनी मांगों को लेकर संचालकों ने प्रदेश के 6712 पेट्रोल पंप बंद कर दिए हैं. इसका नतीजा यह रहा कि प्रदेश के कई इलाकों में लोगों एक दिन पहले ही अपने वाहनों के टैंक फुल करवा लिए. 14 सितंबर की देर रात तक भी पेट्रोल-डीजल भरवाने के लिए पंपों पर गाड़ियों की लंबी कतार देखी गई. 


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क्या है मांग?
पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह भाटी ने बताया कि पड़ोसी राज्यों के मुकाबले राजस्थान में पेट्रोल 10-12 रुपये  महंगा है. जबकि डीजल 5-7 रुपये महंगा है. इसकी वजह है राज्य सरकार की ओर से लिए जाने वाला अधिक वैट. जनता और संचालकों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. प्रदेश सरकार ने कोरोना के समय पर पेट्रोल पर जो वैट बढाया था, वह अब तक चला आ रहा है. इसे कम करने की जरूरत है. कुछ लोग दूसरे राज्य से डीजल लाकर अवैध रूप से यहां बेच रहे हैं. इससे स्थानीय संचालकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. संगठन की मांग है कि सरकार वैट कम करे, जिससे हमें आर्थिक घाटा न झेलना पड़े. 


पहले भी हुई हड़ताल 
इससे पहले भी पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर पेट्रोल पंप संचालको ने 13 सितंबर से सांकेतिक हड़ताल की थी. सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक दो दिन हड़ताल रखी गई. लेकिन प्रदेश की गहलोत सरकार ने पंप संचालकों की मांगों पर गौर नहीं किया. संचालकों का कहना है कि सरकार मांग नहीं मान रही इसलिए मजबूरन अनिश्चितकालीन हड़ताल का कदम उठाना पड़ा. 


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