PM मोदी का किसानों को संदेश, 'लोकतंत्र में संवाद होते रहना चाहिए'

प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के नए भवन की आधारशिला रखी दी है. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित किया. आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन की 11 बड़ी बातों से रूबरू करवाते हैं..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 10, 2020, 03:17 PM IST
  • नए संसद भवन शिलान्यास समारोह में पीएम का बड़ा बयान
  • गुरु नानक की सीख से प्रधानमंत्री का किसानों को संदेश
  • संसद के भीतर या बाहर संवाद होना चाहिए: PM मोदी
  • 'नीतियों में बदलाव हो सकता है लेकिन संवाद होना चाहिए'
PM मोदी का किसानों को संदेश, 'लोकतंत्र में संवाद होते रहना चाहिए'

नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का शिलान्यास कर दिया है. भूमि पूजन के जरिए उन्होंने  संसद के नए भवन की आधारशिला रखी. इस दौरान पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर नई संसद का निर्माण करेंगे. नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत का गवाह बनेगा.

किसानों को पीएम मोदी का संदेश

नए संसद भवन शिलान्यास समारोह में पीएम ने बड़ा बयान दिया और गुरु नानक की सीख से किसानों को संदेश दिया. संसद के नए भवन के शिलान्यास पर प्रधानमंत्री मोदी ने संवाद की अहमियत बताई. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि संसद के भीतर या बाहर संवाद होना चाहिए. नीतियों में बदलाव हो सकता है लेकिन संवाद होना चाहिए.

PM मोदी के संबोधन की 11 बड़ी बातें

1). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि "आज का दिन बहुत ही ऐतिहासिक है. आज का दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर की तरह है. हम भारत के लोग मिलकर अपनी संसद के इस नए भवन को बनाएंगे. और इससे सुंदर क्या होगा, इससे पवित्र क्या होगा कि जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मनाए, तो उस पर्व की साक्षात प्रेरणा, हमारी संसद की नई इमारत बने."

2). पीएम मोदी ने कहा कि "मैं अपने जीवन में वो क्षण कभी नहीं भूल सकता जब 2014 में पहली बार एक सांसद के तौर पर मुझे संसद भवन में आने का अवसर मिला था. तब लोकतंत्र के इस मंदिर में कदम रखने से पहले, मैंने सिर झुकाकर, माथा टेककर, लोकतंत्र के इस मंदिर को नमन किया था."

3). PM मोदी ने बताया कि "हमारे वर्तमान संसद भवन ने आजादी के आंदोलन और फिर स्वतंत्र भारत को घड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाई है. आजाद भारत की पहली सरकार का गठन भी यहीं हुआ और पहली संसद भी यहीं बैठी. संसद के शक्तिशाली इतिहास के साथ ही यर्थाथ को स्वीकारना उतना ही आवश्यक है. ये इमारत अब करीब 100 साल की हो रही है. बीते वर्षों में इसे जरूरत के हिसाब से अपग्रेड किया गया. कई नए सुधारों के बाद संसद का ये भवन अब विश्राम मांग रहा है."

4). उन्होंने कहा कि "वर्षों से नए संसद भवन की जरूरत महसूस की गई है. ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि 21वीं सदी के भारत को एक नया संसद भवन मिले. इसी कड़ी में ये शुभारंभ हो रहा है. पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा. पुराने भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, तो नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी."

5). पीएम ने बताया कि "जैसे आज इंडिया गेट से आगे नेशनल वॉर मेमोरियल ने नई पहचान बनाई है, वैसे ही संसद का नया भवन अपनी पहचान स्थापित करेगा. आने वाली पीढ़ियां नए संसद भवन को देखकर गर्व करेंगी कि ये स्वतंत्र भारत में बना है. आजादी के 75 वर्ष का स्मरण करके इसका निर्माण हुआ है."

6). प्रधानमंत्री ने कहा कि "भारत के लिए लोकतंत्र जीवन मूल्य है, जीवन पद्धति है, राष्ट्र जीवन की आत्मा है. भारत का लोकतंत्र, सदियों के अनुभव से विकसित हुई व्यवस्था है. भारत के लिए लोकतंत्र में, जीवन मंत्र भी है, जीवन तत्व भी है और साथ ही व्यवस्था का तंत्र भी है. आजादी के समय किस तरह से एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत के अस्तित्व पर संदेह जताया गया था. अशिक्षा, गरीबी, सामाजिक विविधता सहित कई तर्कों के साथ ये भविष्यवाणी कर दी गई थी कि भारत में लोकतंत्र असफल हो जाएगा."

7). उन्होंने कहा, "हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे देश ने उन आशंकाओं को न सिर्फ गलत साबित किया, बल्कि 21वीं सदी की दुनिया भारत को अहम लोकतांत्रिक ताकत के रूप में आगे बढ़ते देख रही है. भारत में लोकतंत्र, हमेशा से ही गवर्नेंस के साथ ही मतभेदों को सुलझाने का माध्यम भी रहा है. Differences के लिए हमेशा जगह हो लेकिन disconnect कभी न हो, इसी लक्ष्य को लेकर हमारा लोकतंत्र आगे बढ़ा है."

8). पीएम मोदी ने किसानों को संदेश देते हुए कहा, "Policies में अंतर हो सकता है, भिन्नता हो सकती है. लेकिन हम Public की सेवा के लिए हैं, इस अंतिम लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए. वाद-संवाद संसद के भीतर हों या संसद के बाहर, राष्ट्रसेवा का संकल्प, राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए."

9). पीएम मोदी बोले, "हमारा हर फैसला राष्ट्र प्रथम की भावना से ही होना चाहिए. हमारे हर फैसले में राष्ट्रहित सर्वोपरि रहना चाहिए. राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि के लिए हम एक स्वर में खड़े हों , ये बहुत जरूरी है."

10). उन्होंने कहा कि "भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए उनके प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे. जब एक-एक जनप्रतिनिधि, अपना ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपना अनुभव पूर्ण रूप से यहां निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नए संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी."

11). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोला कि "राष्ट्र के विकास के लिए राज्य का विकास, राष्ट्र की मजबूती के लिए राज्य की मजबूती, राष्ट्र के कल्याण के लिए राज्य का कल्याण. इस मूलभूत सिद्धांत के साथ काम करने का हमें प्रण लेना है. हमें संकल्प लेना है.. ये संकल्प हो India First का. हम सिर्फ और सिर्फ भारत की उन्नति, भारत के विकास को ही अपनी आराधना बना लें. हमारा हर फैसला देश की ताकत बढ़ाए. हमारा हर निर्णय, हर फैसला, एक ही तराजू में तौला जाए. और वो है- देश का हित सर्वोपरि. हम भारत के लोग, ये प्रण करें- हमारे लिए देश के संविधान की मान-मर्यादा और उसकी अपेक्षाओं की पूर्ति, जीवन का सबसे बड़ा ध्येय होगी."

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