नई दिल्ली: लुटियन्स दिल्ली के सबसे बड़े बंगले में से एक- 12 जनपथ, जो अब तक रामविलास पासवान के बंगले के तौर पर जाना जाता था वो बहुत जल्द वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का नया आशियाना बनने जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति पद से रिटायर होने के बाद रामनाथ कोविंद अपने परिवार के साथ 12 जनपथ में शिफ्ट हो सकते हैं.
जानें इस बंगले के बारे में
दरअसल, 12 जनपथ के इस बंगले में लगभग 30 वर्षों तक पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान रहा करते थे. 2020 में उनकी मृत्यु के बाद भी उनका परिवार यहां निवास करता रहा , लेकिन हाल ही में उनके बेटे और लोकसभा सांसद चिराग पासवान से यह बंगला खाली करा लिया गया. पहले यह बंगला वर्तमान रेल मंत्री अश्विनी वैषणव को आवंटित किया गया था लेकिन अब बताया जा रहा है कि रिटायरमेंट के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 12 जनपथ के इसी बंगले में रहने के लिए आ सकते हैं.
हालांकि इस बंगले को अभी तक उनके लिए आधिकारिक तौर पर आवंटित नहीं किया गया है लेकिन बताया जा रहा है कि चिराग पासवान के 12 जनपथ के इस बंगले को खाली करने के बाद , इसे कोविंद के नए घर के रूप में तैयार करने को लेकर कामकाज शुरू कर दिया गया है. घर की मरम्मत और साज-सज्जा का काम तेजी से किया जा रहा है ताकि यह जुलाई से पहले पुरी तरह से तैयार हो जाए.
जुलाई में समाप्त होने जा रहा है कार्यकाल
आपको बता दें कि , 25 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति का पद संभालने वाले रामनाथ कोविंद को कार्यकाल इसी साल जुलाई में समाप्त होने जा रहा है और अगर भाजपा ने उन्हें दोबारा से राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़वाने का मन बना लिया तो नियमानुसार, रिटायर होने के बाद उनकी पसंद से उन्हें एक बंगला आवंटित किया जाएगा और इसी के मद्देनजर 12 जनपथ के इस बंगले को उनके लिए तैयार किया जा रहा है. देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को छोड़ कर अभी तक किसी भी अन्य राष्ट्रपति को दूसरा कार्यकाल नहीं मिला है.
रामनाथ कोविंद , भाजपा एससी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता , राज्य सभा सांसद और बिहार के राज्यपाल भी रह चुके हैं. कोविंद सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड और केंद्र सरकार के स्थायी वकील का दायित्व भी निभा चुके हैं. देश के राजनीतिक सर्किल में 12 जनपथ के इस बंगले को रामविलास पासवान के घर के तौर पर ही जाना जाता था.
इसी बंगले में रहते हुए पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया और इसी बंगले से लोजपा के संगठन का कामकाज भी चला करता था. 12 जनपथ का यह बंगला कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के बंगले 10 जनपथ से बिल्कुल पीछे है और यह बंगला उस समय काफी चर्चा में आया था, जब 2004 में सोनिया गांधी ने पैदल 12 जनपथ में आकर पासवान का समर्थन मांगा था.
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