5 ऐतिहासिक फैसले जिसके लिये हमेशा याद किये जायेंगे रामनाथ कोविंद

Ramnath Kovind: सोमवार 25 जुलाई 2022 को संसद के सेंट्रल भवन में जब 15वें राष्ट्रपति के पद ग्रहण समारोह का आगाज हुआ तो रामनाथ कोविंद ने बतौर राष्ट्रपति कार्यक्रम की शुरुआत करने का आदेश दिया, हालांकि कार्यक्रम खत्म होने के साथ ही उनका कार्यकाल समाप्त हो गया और उनकी जगह द्रौपदी मुर्मू ने पदभार संभाला.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 25, 2022, 04:24 PM IST
  • कोविंद ने अपने कार्यकाल में पास किये 159 बिल
  • कोविंद के कार्यकाल में लगी कई ऐतिहासिक बिल पर मुहर
5 ऐतिहासिक फैसले जिसके लिये हमेशा याद किये जायेंगे रामनाथ कोविंद

Ramnath Kovind: सोमवार 25 जुलाई 2022 को संसद के सेंट्रल भवन में जब 15वें राष्ट्रपति के पद ग्रहण समारोह का आगाज हुआ तो रामनाथ कोविंद ने बतौर राष्ट्रपति कार्यक्रम की शुरुआत करने का आदेश दिया, हालांकि कार्यक्रम खत्म होने के साथ ही उनका कार्यकाल समाप्त हो गया और उनकी जगह द्रौपदी मुर्मू ने पदभार संभाला जिन्होंने कार्यक्रम को समाप्त करने का आदेश दिया. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमन्ना ने उन्हें राष्ट्रपति पद के लिये शपथ दिलाई. 

राष्ट्रपति बनने से पहले रामनाथ कोविंद सुप्रीम कोर्ट में वकील, राज्यसभा सदस्य, बिहार के राज्यपाल के पद पर भी काम कर चुके हैं. ऐसे में जब राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल खत्म हुआ है तो आइये एक नजर उन ऐतिहासिक फैसलों पर डालें जिसके लिये उन्हें हमेशा याद किया जायेगा.

ऑर्टिकल 370 को रद्द करने पर लगाई मुहर

आजादी के बाद से जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले आर्टिकल 370 को भी रद्द करने का श्रेय भी रामनाथ कोविंद के कार्यकाल को ही जाता है. अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार मिल रहे थे जिसके चलते वहीं की सरकार भारत के साथ होने के बावजूद अलग स्वायत्तता के साथ काम कर रही थी. इसे केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 लाकर निरस्त कर दिया. 

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) कानून का समर्थन

रामनाथ कोविंद ने अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान 159 स्टेट बिलों को मंजूरी दी तो वहीं पर सरकार की ओर से कुछ ऐसे कानून का भी समर्थन किया जिसको लेकर देश भर में काफी विरोध देखने को मिला. ऐसा ही एक कानून जिसे रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दी वो है नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) कानून, जिसके तहत 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत में आकर रहने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता लेने का विकल्प दिया जायेगा.

नाबालिग के साथ रेप करने वालों को फांसी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल में कई ऐसे फैसले हुए जिन पर लोगों के बीच न सिर्फ समर्थन देखने को मिला बल्कि भारी संख्या में विरोध भी हुआ, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने सरकार का समर्थन करते हुए इसे मंजूरी दी. इस लिस्ट में पहला बिल जिसे रामनाथ कोविंद के ऐतिहासिक फैसलों में गिना जायेगा वो है नाबालिग से रेप करने वाले दोषियों के लिये फांसी की सजा की मंजूरी. रामनाथ कोविंद ने 22 अप्रैल 2018 को उस बिल को मंजूरी दी थी जिसमें 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ बलात्कर करने वाले दोषियों को फांसी देने का प्रावधान है.

16 साल से पेंडिंग पड़े बिल पर भी लगाई मुहर

राष्ट्रपति कोविंद ने अपने कार्यकाल में इसमें गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण से जुड़े विधेयक 2005 को भी पास किया जो कि 16 सालों से लंबित पड़ा हुआ थ. पूर्ववर्ती सरकारों ने इस बिल को मंजूरी नहीं दी थी लेकिन मौजूदा सरकार ने कोविंद के कार्यकाल में इसे भी पास करा लिया. इस बिल के तहत पुलिस आतंकवाद और अपराध पर लगाम लगाने के लिये किसी भी नागरिक का फोन टैप कर सकती है और इसे बाद में कानूनी सबूत के रूप में पेश कर सकती है.

रामनाथ कोविंद ने इन बिलों को भी दी थी मंजूरी

रामनाथ कोविंद ने अपने कार्यकाल में जिन बिलों को मंजूरी दी उनमें क्रिमिनल लॉ (मध्य प्रदेश अमेंडमेंट) बिल 2019 भी शामिल है, इसके तहत विचाराधीन कैदियों को शारीरिक रूप से मौजूद होने की जरूरत नहीं है. वो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकते हैं. इसके अलावा यूपी के मिनिमिम वेज (अमेंडमेंट) बिल 2017 (बैंकों के जरिए वेतन भुगतान), इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स (वेस्ट बंगाल अमेंडमेंट) बिल 2016, दि इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स (झारखंड अमेंडमेंट) बिल 2016, दि इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स (केरल अमेंडमेंट) बिल 2016 को भी मंजूरी दी. इसका मुख्य उद्देश्य निजी सेक्टर को ढांचागत परिवेश में बदलना और कर्मचारियों के प्रति जवाबदेही को मजबूत करना था.

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