पटना: बिहार की राजनीति का बवाल आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अब धीरे-धीरे लाइमलाइट में आने लगा है. सबसे पहले इसकी शुरुआत हुई है महागठबंधन के अंदर. महागठबंधन के साथी दलों में चुनाव के पहले सीट समीकरण को लेकर घमासान होने वाला है, इसकी तस्वीर अब साफ नजर आने लगी है.
यह कयास इसलिए लगाए जा रहे हैं कि पहले शुक्रवार को हिंदुस्तान आवाम मोर्चा प्रमुख जीतनराम मांझी का विधानसभा में 85 सीटों पर दांव ठोंकने का बयान और अब राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिहं का विधानसभा चुनाव को लेकर क्या होगा राजद का रोल इसपर ऐलान.
राजद ने कहा 2015 वाली गलती नहीं दोहराएंगे
राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने आज कुछ बयान दिए जिससे लगा कि लोकसभा में भले राजद या यूं कहें कि महागठबंधन का जो हस्र हुआ हो, वह विधानसभा में उसे भुला चुकी है. राजद प्रदेश अध्यक्ष ने यह कहा कि पार्टी और महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने जा रही है यह बात बिल्कुल तय है. राजद किसी भी तरह से इस बार किसी छोटे दल को वरीयता नहीं देने जा रही है. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 2015 में जदयू जैसी पार्टी को नेतृत्व सौंपकर गलती कर चुके हैं. इस बार वो गलती दोबारा नहीं दोहराएंगे.
जरूरत पड़ी तो 243 सीटों पर अकेले ठोंक सकते हैं दावा- राजद
महागठबंधन और विपक्ष के चेहरे के एकमात्र चेहरे के रूप में तेजस्वी को बताते हुए यहां तक कह गए कि जिन्हें यह स्वीकार नहीं, वह महागठबंधन में रहेंगे या नहीं इसके फैसले को लेकर स्वतंत्र हैं. जगदानंद सिंह ने कहा कि राजद बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर पूरी तैयारी कर रही है.
उनके कहने का मतलब था कि राजद अकेले भी लड़ने को तैयार है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राजद 150 सीट अपने पास रखेगी महागठबंधन के अन्य पार्टियों से मांडवाली इन सीटों के अलावा ही की जाएगी.
खिचड़ी दल बन गई है महागठबंधन
पार्टी अध्यक्ष जगदानंद सिंह का यह स्टैंड हम प्रमुख जीतनराम मांझी और कांग्रेस के ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के बयानों के बाद एक जवाब के रूप में आया है. ऐसे कयास पहले भी लगाए जा रहे थे कि बिहार में महागठबंधन की तमाम पार्टियों में सामंजस्य की भारी कमी दिख रही है. असल में महागठबंधन खिचड़ी दल बन कर रह गई है.
तमाम घटक दलों में पहले तो नेतृत्व को लेकर फिर सीट समीकरण को लेकर भारी असंतोष बिना बातचीत के ही दिख रहा है. ऐसा इसलिए कि साथ आ कर वे एक बार लोकसभा में मुंह की खा चुके हैं. दोबारा अपनी शर्तों से समझौता कर पाने की स्थिति नहीं बनने देना चाहते.
तेजस्वी के खिलाफ घटक दल कर रहे हैं Lobbying
राजद की ओर से पार्टी अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने यह बयान दे कर साफ कर दिया कि बिहार में उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने और झारखंड में सरकार का हिस्सा बनने वाली राजद किसी भी कीमत पर घटक दलों का दबाव बर्दाश्त नहीं करने वाली. राजद का यह प्लान इसलिए भी है कि महागठबंधन के अन्य घटक दलों में तेजस्वी के नेतृत्व को लेकर Lobbying बढ़ चुका है.
रालोसपा के अलावा हम और कुछ हद तक कांग्रेस भी अलग राह चुनने की तैयारी में है. कांग्रेस की जदयू से नजदीकी बढ़ी तो राजद ने सभी को एक साथ सबक सिखाने के फॉर्मूले पर काम करना शुरू कर दिया है.