भोपाल: भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जबलपुर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट में सांसद के खिलाफ दर्ज याचिका में शिकायतकर्ता ने उनके खिलाफ धार्मिक और भड़काऊ भाषण देकर चुनाव जीतने का आरोप लगाया है. याचिकाकर्ता ने निर्वाचन आयोग के नियमों के खिलाफ चुनाव लड़ने को लेकर तमाम आरोप लगाए हैं. 


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सांसद प्रज्ञा ने आरोपों को किया था खारिज


सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने कोर्ट में इस बाबत आवेदन देकर अपने ऊपर लगाए गए आरोपों से इनकार किया था. साध्वी प्रज्ञा ने ये याचिका खारिज करने के लिये अदालत में आवेदन दिया था जिसे खारिज करके अदालत ने सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट में सांसद के खिलाफ दर्ज याचिका में शिकायतकर्ता ने उनके खिलाफ धार्मिक और भड़काऊ भाषण देकर चुनाव जीतने का आरोप लगाया है. याचिकाकर्ता ने निर्वाचन आयोग के नियमों के खिलाफ चुनाव लड़ने को लेकर तमाम आरोप लगाए हैं.


विवादों से है पुराना नाता


भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर पहले भी कई विवादों में रह चुकी हैं. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने नाथूराम गोडसे को देश भक्त बताया था जिस पर उनकी खूब आलोचना हुई थी. बाद में उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी थी. बता दें कि प्रज्ञा ठाकुर को हिन्दू आतंकवाद के नाम पर कांग्रेस की सरकार में आतंकवादी के रूप में प्रस्तुत किया गया था लेकिन अदालत में सारे तथ्य गलत और कूटरचित साबित हुए. अदालत ने मालेगांव केस में इनके जमानत दे दी. जांच एजेंसी ने कहा था कि इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है.



हाल ही में संसद में मांगनी पड़ी थी माफी


 प्रज्ञा ठाकुर को नाथूराम गोडसे से जुड़े एक मामले में संसद में माफी मांगनी पड़ी थी. विपक्ष आरोप लगा रहा था कि उन्होंने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया है. इस मुद्दे पर खूब हंगामा भी हुआ था. अंत में पार्टी के दबाव में उन्होंने माफी मांग ली थी. प्रज्ञा ठाकुर ने भोपाल में दिग्विजय सिंह को लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त दी थी.


6 जनवरी को होगी अगली सुनवाई


हाईकोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 6 जनवरी तय की है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा के आवेदन को खारिज कर दिया है. अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि चुनाव याचिका के इस दौर में उनका आवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता. चुनाव याचिका की सुनवाई और गवाही के दौरान साध्वी प्रज्ञा अपना तर्क रख सकती हैं. लेकिन याचिका के इस स्टेज पर यह आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा. 


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