फ्रैक्चर के इलाज में स्टेंट‌‌ लगाकर हुआ इलाज, पहले सुना‌ क्या?

दिल के इलाज के स्टेंट‌ से इलाज सभी ने सुना होगा, लेकिन अब फ्रैक्चर के इलाज में स्टेंट लगाया गया. सर्जरी को पूरा होने में केवल 25 मिनट का समय लगा. उत्तर भारत में ये सर्जरी पहली बार की गई.

Written by - Pooja Makkar | Last Updated : Jun 1, 2023, 03:24 PM IST
  • स्टेंट‌ लगाकर हुआ फ्रैक्चर का इलाज
  • उत्तर भारत में पहली बार की गई ये सर्जरी
फ्रैक्चर के इलाज में स्टेंट‌‌ लगाकर हुआ इलाज, पहले सुना‌ क्या?

नई दिल्ली: आपने दिल में स्टेंट‌ लगाए जाने के बारे में तो सुना होगा. दिल में खून पहुंचाने वाली नलियां या आर्टरी जब फैट या कैल्शियम जम जाने से ब्लॉक होने लगती हैं तो रुकावट को खोलने के लिए स्टेंट डाले जाते हैं,  लेकिन आपने रीढ़ की हड्डी में स्टेंट डाले जाने के बारे में शायद ही सुना हो. एक महिला के फ्रैक्चर के इलाज के लिए स्टें‌ट‌ लगाया गया है.

पहली बार की गई उत्तर भारत में ये सर्जरी
दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ और ऑर्थोपेडिक विभाग के डायरेक्टर डॉ कौशल कांत मिश्रा ने इस सर्जरी को अंजाम दिया. सर्जरी को पूरा होने में केवल 25 मिनट का समय लगा. उत्तर भारत में ये सर्जरी पहली बार की गई. रीढ़ की हड्डी में स्टेंट लगाने का तरीका दिल के स्टेंट से अलग है. फ्रैक्चर के इलाज में स्टेंट के साथ सीमेंट‌ लगाया जाता है. जिसके बाद स्टेंट शरीर का हिस्सा हो जाता है.

67 साल की सुधा देवी  घर में गिर गई थी. रीढ़ की हड्डी में चोट लगने की वजह से चलना और उठना मुश्किल हो गया था. एक महीने तक दर्द रहा. टेस्ट में फ्रैक्चर दिखने पर मुश्किलें और बढ गई. 4 मई को अस्पताल में एडमिट हुई. 5 मई को सर्जरी हुई और 6 मई को अस्पताल से छुट्टी मिल गई. रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर के इलाज में स्टेंट‌ लगाने के नतीजे काफी असरदार रहे हैं.

कैसे किया जाता है इस तरह का ट्रीटमेंट?
मरीज को दिल की बीमारी, हाई बीपी और डायबिटीज़ की बीमारी भी है. ऐसे में सर्जरी के अपने खतरे रहते हैं. ऐसे में पारंपरिक तरीके से ऑपरेशन किया जाता तो रिकवरी उतनी अच्छी नहीं होती. क्योंकि पारंपरिक तरीके से सीमेंट लगाए जाने में उस जगह पर फिर से गैप आने का खतरा रहता है, जबकि टाइटेनियम स्टेंट लगने से रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है. या फिर मरीज को महीनों बेड रेस्ट पर रहना होता है.

लेकिन ये प्रोसीजर मरीज को बिना बेहोश किए किया जा सकता है. पहले फ्रैक्चर वाली जगह पर बैलून डालकर वहां जगह बनाई जाती है. फिर वहां टाइटेनियम स्टेंट लगाकर उसे सीमेंट भर दिया जाता है. ऐसे मरीज जो बड़ी सर्जरी नहीं‌ झेल सकते, और रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर के शिकार हो जाते हैं, उनके‌ लिए ये ऑपरेशन कराने में ही फायदा होता है.

जिन लोगों की हड्डियां कमजोर होती हैं उन्हें ऐसे फ्रैक्चर होने का खतरा रहता है. इलाज का ये नया तरीका पारंपरिक सर्जरी को बदल सकता है हालांकि स्टेंट‌ की लागत की वजह से ये ऑपरेशन 5-7 लाख रुपए में हो पाता है.

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