नई दिल्ली: देश की शीर्ष अदालत ने सिख दंगों में सजा काट रहे पूर्व कांग्रेस नेता की जमानत याचिका खारिज कर दी है. पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार सिख दंगों में शामिल रहने के आरोप में आजीवन कारवास की सजा काट रहे हैं.
सिख दंगों के आरोप में दोषी साबित हो चुके हैं सज्जन
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने सज्जन कुमार के वकील से कहा कि उन पर जघन्य अपराधों का आरोप है. आप चाहते हैं कि उनके साथ किसी सुपर वीआईपी मरीज की तरह व्यवहार किया जाए.
सज्जन कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल की तबीयत बिगड़ रही है और उनका वजन भी काफी कम हो गया है. कुमार के वकील ने एक डॉक्टर द्वारा उनके स्वास्थ्य पर एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया.
खराब स्वास्थ्य के बहाने चाहते थे जमानत
हालाँकि, बेंच में जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने सज्जन कुमार की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के इलाज के लिए उन्हें मेदांता अस्पताल में स्थानांतरित करने की मांग की थी.
सज्जन कुमार के वकील द्वारा कहा गया कि वह स्वयं खर्च वहन करेंगे. उनके वकील ने आगे कहा कि उन्हें पेट से जुड़ी काफी गंभीर जटिलताएं हैं और उनका वजन भी काफी कम हो गया है.
शीर्ष अदालत ने मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर विचार किया, जिसमें बताया गया था कि उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है.
डॉक्टर इलाज करने के लिये स्वतंत्र
चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि वह कोई आदेश पारित करने के इच्छुक नहीं है और अगर चिकित्सा अधिकारियों को लगता है कि मेदांता में उसकी जांच की जरूरत है, तो वे इसके साथ आगे बढ़ सकते हैं.
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शीर्ष अदालत ने 24 अगस्त को सीबीआई को 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सज्जन कुमार की चिकित्सा स्थिति की पुष्टि करने का निर्देश दिया. जिन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत मांगी थी.
पीठ ने कुमार की याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा और जांच एजेंसी को एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है.
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