नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) की ओर से नियुक्त वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने आज सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद कवर में रिपोर्ट सौंपी. जिसके बाद सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हमें रिपोर्ट देखने दीजिए फिर बुधवार को सुनवाई करेंगे.


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याचिकाकर्ताओं ने मांगी थी रिपोर्ट
शाहीनबाग के याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) से वार्ताकारों द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट की कॉपी देने को कहा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट की कॉपी देने से मना कर दिया. अदालत ने कहा कि ये रिपोर्ट सिर्फ हमारे रिकॉर्ड के लिए है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समाज का एक हिस्सा किसी कानून से सहमत नहीं है लेकिन यह मामला अभी कोर्ट में लंबित है. हम धरने पर कुछ नहीं कह रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि विरोध प्रदर्शन कहां किया जाए. आज प्रोटेस्ट यहां हो रहा है कल कहीं और होगा, अगर ऐसे जारी रहा तो शहर के विभिन्न इलाके ब्लॉक हो जाएंगे. हम यह नहीं कह रहे हैं कि उनको प्रदर्शन का अधिकार नहीं है लेकिन सवाल यह है कि क्या पब्लिक एरिया धरने के लिए इस्तेमाल हो सकता है या नहीं?



आम जनता की मुश्किल को सुप्रीम कोर्ट ने दी आवाज
सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के मुताबिक 'प्रदर्शन इस तरह से होना चाहिए कि सड़क को ब्लॉक न किया जाए. हमारी चिंता इस बात को लेकर कि अगर इस तरह सड़क या सार्वजनिक स्थान को ब्लॉक किया जाना लगा तो दिक्कत होगी. विरोध प्रदर्शन की वजह कितनी भी वाजिब क्यों न हो लेकिन सड़क को ऐसे ब्लॉक करना ठीक नहीं है. लोकतंत्र लोगों की अभिव्यक्ति से ही चलता है लेकिन इसकी एक सीमा है अगर सभी सड़क बंद करने लगे तो परेशानी खड़ी हो जाएगी. यातायात नहीं बंद होना चाहिए. हमारी चिंता यह है कि यहां से आईडिया लेकर कल लोग कहीं और किसी मामले में सड़क पर प्रदर्शन करेंगे'.



सुप्रीम कोर्ट ने सड़क पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि 'हमारी चिंता इस बात पर है कि प्रदर्शन सड़क पर किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा हमारा मानना है कि इस केस या दूसरे केस में सड़क को ब्लॉक नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल इस मामले में नही अगर दूसरे मामले में भी रोड को ब्लॉक करके इस तरह से प्रदर्शन होगा तो अफरातफरी मचेगी'.


बच्चों और महिलाओं को ढाल बना रहे हैं प्रदर्शनकारी- केन्द्र सरकार
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, 'प्रदर्शनकारियों का इस तरह से शहर को बंधक बनाकर रख देना कहीं से भी जायज़ नहीं है, रास्ते को पूरी तरह से ब्लाक किया है. बच्चों और महिलाओं को प्रदर्शनकारी ढाल बना रहे हैं, हमने उनसे मीटिंग भी की, समझाने की कोशिश की कि वो पूरे शहर को ऐसे बंधक नहीं बना सकते हैं. ऐसा सन्देश नही जाना चाहिए कि संस्थान (कोर्ट) उनके सामने झुक रहा है.'



अदालत ने पुलिस से समाधान बताने के लिए कहा
सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आप हमें इस समस्या के हल के बारे में बताइए. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट रूम में मौजूद वार्ताकार और वकील संजय हेगड़े से कहा कि वो प्रदर्शनकारियों से बात कर उन्हें समझाने की कोशिश करें. सुप्रीम कोर्ट ने वकील संजय हेगड़े से पूछा कि आप वहां क्यों नहीं जा रहे हैं? लोगों को समझा रहे हैं. वार्ताकार और वकील संजय हेगड़े ने सुप्रीम कोर्ट के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "मैं किसी पार्टी के लिए पेश नहीं हो रहा हूं."
जब सुप्रीम कोर्ट ने वकील संजय हेगड़े से पूछा कि आप चुप क्यों बैठ हैं? आप प्रदर्शनकारियों से बात करके उनको समझाइए तो वकील संजय हेगड़े ने कहा कि मामले में रिटायर्ड जज को इसके लिए नियुक्त किया जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने संजय हेगड़े को वार्ताकार नियुक्त करते हुए कहा था कि अगर वो चाहे तो किसी और की मदद ले सकते हैं.  इस मामले में वार्ताकारों की मदद के लिए नियुक्त और मामले में याचिकाकर्ता वजाहत हबीबुल्लाह सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफ़नामा दाखिल कर चुके हैं.



हालात नहीं सुधरे तो एक्शन के लिए स्वतंत्र
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हुई सुनवाई के आखिर में कहा कि "हमने अपनी इच्छा को जाहिर कर दिया है उम्मीद है कि चीजें बदलेंगी लेकिन अगर ऐसा न हुआ तो ऑथोरिटी अपने हिसाब से एक्शन लेने के लिए स्वतंत्र होगी."
पिछली सुनवाई में 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने शाहीनबाग में सड़क जाम की समस्या के समाधान के लिए वकील संजय हेगड़े और साधना रामचन्द्रन को वार्ताकार के रूप नियुक्त किया था. कोर्ट ने कहा था कि सड़क रोक कर बैठे लोगों से बात करके उन्हें किसी दूसरी जगह पर धरना देने के लिए समझाएंगे.


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