नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि दो अलग-अलग फैसले दिए गए हैं. एक उन्होंने लिखा है जबकि दूसरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने दिया है लेकिन दोनों फैसले सर्वसम्मत हैं. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन और असंवैधानिक माना है और इस पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इस पर रोक लगानी होगी.
चुनावी बांड जारी करने पर लगाई रोक
उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि बैंक तत्काल चुनावी बांड जारी करना बंद कर दें. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एसबीआई राजनीतिक दलों की ओर से भुनाए गए चुनावी बांड का ब्योरा पेश करेगा. एसबीआई भारत के चुनाव आयोग को विवरण प्रस्तुत करेगा और चुनाव आयोग इन विवरणों को वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा.
Supreme Court says it has delivered a unanimous verdict on a batch of pleas challenging the legal validity of the Central government’s Electoral Bond scheme which allows for anonymous funding to political parties. pic.twitter.com/HkBIrDJr9O
— ANI (@ANI) February 15, 2024
'राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी जरूरी है'
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं और चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी जरूरी है. कोर्ट का मानना है कि गुमनाम चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है.
सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं हैः शीर्ष अदालत
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि चुनावी बांड के माध्यम से कॉरपोरेट योगदानकर्ताओं के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनियों की ओर से किया गया दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्य से है.
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