खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए क्या कहा

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में यह साबित किया जाना आवश्यक है कि आरोपी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी को ऐसा करने के लिए उकसाया था. न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 20, 2024, 07:20 PM IST
  • पति और ससुरालियों को बरी किया
  • जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए क्या कहा

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में यह साबित किया जाना आवश्यक है कि आरोपी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी को ऐसा करने के लिए उकसाया था. न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी.

पति और ससुरालियों को बरी किया

पीठ ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 306 को किसी मामले में कायम रखने के लिए यह साबित होना आवश्यक है कि आरोपी के उकसाने की वजह से किसी ने आत्महत्या की. अदालत ने 25 वर्षीय महिला को आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के मामले में उसके पति और ससुराल के सदस्यों को बरी करते हुए यह टिप्पणी की.

जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

न्यायालय ने कहा कि उकसावे और आत्महत्या के बीच काफी निकट संबंध होना चाहिए. न्यायालय ने कहा, 'अभियुक्त की मंशा साबित किए बिना उक्त धारा के तहत आरोप कायम नहीं रखा जा सकता.' शीर्ष अदालत ने महिला के पति, ससुर और देवर की ओर से दायर एक अपील पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें बंबई उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2022 के फैसले को चुनौती दी गई थी. 

आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 और धारा 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था. न्यायालय ने कहा कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 25 वर्षीय महिला की जान चली गई. 

सबूतों के अभाव में कोर्ट ने दिया ये निर्देश

पीठ ने कहा, 'हालांकि, यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि अपीलकर्ताओं ने जानबूझकर महिला को ऐसी स्थिति में डाल दिया था कि उसके पास आत्महत्या करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था. अपीलकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा. लिहाजा हम अपील को स्वीकार करते हैं.'

(Disclaimer: अगर आपके या आपके किसी जान-पहचान वाले के मन में खुदकुशी की बात आती है तो आपको तुरंत अलर्ट हो जाना चाहिए. ये मेडिकल इमरजेंसी है. आपकी एक छोटी सी कोशिश से एक जान बच सकती है. आप भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 पर कांटैक्ट करें.)

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