LAC वाले बयान पर वीके सिंह को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

 केंद्रीय मंत्री वीके सिंह की टिप्पणी कि भारत ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की तुलना में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार अधिक बार उल्लंघन किया है, उसने न केवल चीन को एक दुर्लभ अवसर दिया है, बल्कि इस विषय पर भारत की लंबे समय से आधिकारिक स्थिति का खंडन किया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 2, 2021, 02:04 PM IST
  • वीके सिंह कैसे मंत्री हैं यह देखना पीएम का कामः सुप्रीम कोर्ट
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह को राहत दे दी
LAC वाले बयान पर वीके सिंह को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है, वहीं उनके खिलाफ दी गई याचिका पर सुनवाई करते हुए एक जरूरी टिप्पणी भी की. सीजेआई एनवी रमना ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर आपको किसी मंत्री का बयान पसंद नहीं है तो क्या आप याचिका दाखिल करके उसे हटाने के लिए कहेंगे? इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि अगर कोई मंत्री अच्छा नहीं है तो यह देखना पीएम का काम है, कोर्ट का नहीं. 

यह थी याचिका
याचिका के अनुसार, केंद्रीय मंत्री वीके सिंह की टिप्पणी कि भारत ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की तुलना में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार अधिक बार उल्लंघन किया है, उसने न केवल चीन को एक दुर्लभ अवसर दिया है, बल्कि इस विषय पर भारत की लंबे समय से आधिकारिक स्थिति का खंडन किया है.
याचिका सामाजिक कार्यकर्ता, चंद्रशेखरन रामास्वामी द्वारा दायर की गई थी, उन्होंने विभिन्न घटनाओं का हवाला दिया जहां सिंह ने विवादास्पद बयान दिए.

वकील के तर्क पर कोर्ट की दू टूक
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह (रिटायर्ड) को राहत दे दी. वीके सिंह (VK Singh) इस वक्त सड़क परिवहन और राज्य राजमार्ग के राज्य मंत्री हैं. कोर्ट की इस टिप्पणी पर वकील ने तर्क दिया कि उन्होंने सेना के खिलाफ बयान दिया है, जिस पर सीजेआई ने कहा कि क्या आप वैज्ञानिक हैं, समाधान खोजने के लिए अपनी ऊर्जा का सही जगह इस्तेमाल करें. 

यह लगाए थे आरोप
अगर वो एक अच्छे मंत्री नहीं है तो प्रधानमंत्री इस बात पर गौर करेंगे. याचिका में आरोप लगाया गया था कि जनरल वीके सिंह (रिटायर्ड) ने अपनी शपथ का उल्लंघन किया. याचिका में वीके सिंह पर राष्ट्र के खिलाफ नफरत, अवमानना और असंतोष फैलाने का आरोप लगाया गया था.

चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि अगर सिंह ने कुछ किया है तो यह प्रधानमंत्री को देखना है और शीर्ष अदालत कोई आदेश पारित नहीं कर सकती. यह कहते हुए पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखरन रामास्वामी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता ने विभिन्न घटनाओं का हवाला दिया था जब सिंह ने विवादास्पद बयान दिए.

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