आर्य समाज में विवाह मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें शादी से पहले नोटिस जारी कर आपत्ति मांगने के प्रावधान को लागू करने की बात कही गई है. 

Written by - Nizam Kantaliya | Last Updated : Apr 5, 2022, 06:24 PM IST
  • मप्र सरकार के आदेश को कोर्ट में दी गई थी चुनौती
  • याची के वकील बोले- सरकार नहीं दे सकती ये आदेश
आर्य समाज में विवाह मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें शादी से पहले नोटिस जारी कर आपत्ति मांगने के प्रावधान को लागू करने की बात कही गई है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली आर्य समाज संस्था की याचिका पर मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है.

सरकार के आदेश को कोर्ट में दी थी चुनौती
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर पीठ ने 17 दिसंबर 2021 को एक आदेश जारी कर राज्य सरकार के उस आदेश पर मुहर लगाई थी, जिसके जरिए शादी का प्रमाण पत्र सिर्फ कानून द्वारा अधिकृत सक्षम अधिकारी ही जारी कर सकता है. 9 दिसंबर 2020 के मध्य प्रदेश सरकार के आदेश को आर्य समाज संस्था और मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी.

विशेष विवाह अधिनियम 1954 की धारा 5 से 8 के अनुसार शादी से पहले नोटिस देकर आपत्ति मांगना जरूरी है. मध्य प्रदेश सरकार ने इस आदेश के जरिए आर्य समाज से जारी किए जाने वाले विवाह प्रमाण पत्र पर रोक लगा दी थी.

'सरकार नहीं दे सकती ये आदेश'
याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता श्याम दीवान ने अदालत को बताया कि सरकार ऐसा आदेश जारी नहीं कर सकती. क्योंकि कानून के मुताबिक आर्य समाज शादी में आर्य मैरिज वैलिडेशन एक्ट 1937 और हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधान लागू होते हैं उसमें विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं हो सकते. 

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, आर्य समाज मंदिर में होने वाला विवाह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा पांच और सात के मुताबिक दो हिंदुओं की शादी कराता है.

याचिकाकर्ताओं की ओर से आर्य मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट को लेकर तर्क दिया गया कि इन दोनों एक्ट में विशेष विवाह अधिनियम की धारा 5 से 8 तक के प्रावधानों के पालन की बात नहीं कही गई है. इसलिए हाई कोर्ट का इसका पालन करने का आदेश देना गलत है.

याचिका में कहा गया कि हाई कोर्ट की ओर से अतिरिक्त शर्तें लगाने से संविधान के अनुच्छेद 26, 25 और 14 में मिले अधिकारों का उल्लंघन हुआ है जो धार्मिक स्वतंत्रता और समानता के अधिकारों की रक्षा करते हैं.  

बहस सुनने के बाद जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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