अग्निकांड की लपटों से झुलसता रहा है देश, हमने सबक कभी नहीं लिया

राजधानी के सब्जी मंडी में लगी आग की लपटें 23 साल पहले मचे ऐसे ही चीख-पुकार की ओर ले जा रही है. जून की उस भीषण गर्मी में दिल्ली का उपहार सिनेमा हॉल जीते जी लोगों की चिता बन गया था और 59 लोग जो उस दिन फिल्म देखने पहुंचे थे, मौत के आगोश में चले गए थे. देश ऐसे कई बड़े अग्नि कांड झेल चुका है, लेकिन सुधार की गुंजाइश कहीं नजर नहीं आ रही है. 

Written by - Vikas Porwal | Last Updated : Dec 8, 2019, 05:03 PM IST
    • पुराने हुए हादसों ने प्रशासन ले रहा है सबक, न जागरूक हो रहे हैं लोग
    • संकरे इलाकों में चल रहे होटल, ढाबे ऐसे हादसों में और मुश्किल खड़ी कर देते हैं
अग्निकांड की लपटों से झुलसता रहा है देश, हमने सबक कभी नहीं लिया

नई दिल्लीः यह सच है कि जीवन का कोई भरोसा नहीं. लेकिन यह इतना भी वीभत्स नहीं होना चाहिए कि सुबह नींद खुले और पता चले कि 43 लोग एक साथ जलकर मर गए हैं. वह भी कहां.. उस शहर में जो देश की राजधानी है. जहां की जिम्मेदारी देखने के लिए प्रधानमंत्री भी हैं और एक मुख्यमंत्री भी हैं. शासन-प्रशासन की बड़ी फौज है. यह वह दिल्ली है कि कभी वह रेप सिटी कहलाती है, कभी हादसों का शहर बन जाती है. कभी आतंक की काली साया में रहती है तो कभी जिंदा लोगों के लिए श्मशान बन जाती है. दिल्ली का यह हाल है तो निश्चित ही देश भर के हालात और बुरे ही होंगे.. बल्कि हैं हीं. उपहार सिनेमा अग्नि कांड, हरियाणा में सिरसा का अग्निकांड, मेरठ का विक्टोरिया पार्क अग्निकांड. सूरत का अग्निकांड. कैलेंडर को उलटा पलटते जाइए और इस निष्कर्ष को पुख्ता करते जाइए कि हादसों के बाद न हमने कुछ सीखा न सरकारों, सीखा है तो केवल इतना कि भूल जाना और अगले हादसे पर पिछले को याद रखना.

सिरसा का डबवाली अग्निकांड, 23 दिसंबर 1995
1995 की ठंड थी. 23 दिसंबर को सिरसा (हरियाणा) डबवाली के डीएवी स्कूल में वार्षिक उत्सव हो रहा था. कार्यक्रम एक मैरिज हॉल में था. शाम को पंडाल के गेट के पास शॉर्ट सर्किट हुआ और देखते -देखते पूरे पंडाल में आग लग गई. इस अग्निकांड में स्कूली बच्चों समेत 442 लोगों की मौत हो गई थी. हादसा इतना वीभत्स था कि शवों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान छोटा पड़ गया था. इस हादसे में तब डीएसपी रहे अनिल राव की बेटी की भी मौत हो गई थी.

आग बढ़ती गई और इसने जनरेटर, घरेलू सिलेंडर और बिजली के तारों को अपनी चपेट में ले लिया था. इससे यह अग्निकांड संभालना मुश्किल हो गया था. 

दिल्ली का उपहार सिनेमा कांड, 13 जून 1997
राजधानी दिल्ली अलग-अलग इलाके में आग की कई घटनाएं झेल चुकी है. उस साल जून की भीषण गर्मी का तेरहवां दिन था. जेपी दत्ता की बॉर्डर रिलीज हुई थी और फिल्म के जबरदस्त क्रेज के चलते बहुत से लोग देखने पहुंचे थे. हॉल के बाहर अच्छी-खासी भीड़ जुटी थी. इतनी भीड़ को देखते हुए हॉल मालिकों (अंसल ब्रदर्स) ज्यादा कमाई के लिए 3 से 6 बजे के शो में एक्स्ट्रा कुर्सियां लगवा दीं. शो के दौरान आग लग गई. लोगों को निकलने का मौका ही नहीं मिला. दरवाजे कुर्सियों की वजह से ब्लॉक हो गए थे.

इस हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई. अंसल ब्रदर्स पर मुकदमा चला, लेकिन इस वीभत्स हादसे के बाद भी हमने कोई सबक नहीं लिया. 

मेरठ, विक्टोरिया पार्क अग्निकांड. 10 अप्रैल 2006
दस अप्रैल 2006 को विक्टोरिया पार्क में लगाए गए कंज्यूमर मेले में भीषण आग लगी थी. देखते ही देखते पूरा पंडाल आग में घिर गया था. यह अग्निकांड इतना वीभत्स था कि देखने और सुनने वालों की भी रुह कांप गई थी. कई परिवारों का तो इस अग्निकांड में सब कुछ चला गया. इस आग में 65 लोगों की मौत हो गई थी. 81 लोग गंभीर रूप से तो 85 लोग सामान्य रूप से झुलसे थे. इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूर्व जस्टिस एसबी सिन्हा की अध्क्षता में एक न्यायिक कमेटी गठित की थी.

जांच के आधार पर हादसे के लिए सरकारी तंत्र को 40 प्रतिशत और आयोजकों को 60 प्रतिशत जिम्मेदार माना गया था. विक्टोरिया पार्क में आज भी हादसे के मृतकों की याद में श्रद्धांजलि सभा की जाती है.

बुलंदशहर में बस हादसा, 22 सितंबर 2014
यूपी के जिला बुलंदशहर में एक तहसील है शिकारपुर. 22 सितंबर 2014 को एक प्राइवेट बस यहां से जहांगीराबाद के लिए जा रही थी. इस बस में कोई यात्री सिलेंडर लेकर चढ़ा था. बीच रास्ते सिलेंडर में ब्लास्ट हो गया और बस में आग लग गई थी. हादसे के दौरान ही 25 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि विभिन्न अस्पतालों भर्ती कई लोग भी नहीं बच पाए थे. हादसे के एक हफ्ते बाद तक मरने वालों की संख्या 40 पार कर गई थी.

इस बस में तकरीबन 80 लोग सवार थे. घायलों व मरने वालों में महिलाओं व बच्चों की संख्या अधिक थी. 

कोलकाता का एमआरआई अस्पताल, 9 दिसंबर 2011
कोलकाता के एमआरआई अस्पताल में 9 दिसंबर 2011 को आग लग गई थी. तड़के सुबह साढ़े तीन बजे लगी आग ने कईयों को नींद में ही अपने आगोश में ले लिया. आग अस्पताल के बेसमेंट से शुरू हुई. देखते ही देखते लपटों के बीच पूरे अस्पताल में धुआं भर गया. दमकल विभाग ने ऊंची सीढ़ियों पर चढ़कर और इमारत के शीशे तोड़कर लोगों को निकालने की कोशिश की. लेकिन जब तक आग पर काबू पाया गया तब तक 70 लोगों की मौत हो चुकी थी. मृतकों में ज्यादातर मरीज शामिल थे.

कई घंटों तक मरीजों के रिश्तेदार अस्पताल के बाहर सड़क पर लाचार नजरों से हादसे को देखते रहे थे. अगले दिन की शाम तक हादसे में मरने वालों की संख्या 89 हो गई थी. 

मुंबई के मोजो बिस्त्रों रेस्त्रां में आग, 29 दिसंबर 2017
मुंबई के कमला मिल्स इलाके में है मोजो बिस्त्रों रेस्त्रां. यहां 29 दिसंबर 2017 को आग लग गई थी और हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे की जांच हुई तो सामने आया कि मोजो बिस्त्रो में हुक्कों की वजह से आग लगी थी. रिपोर्ट के अनुसार हुक्का सिगड़ी में कोयले को आंच देने के लिए पंखे का इस्तेमाल किया जा रहा था. इससे चिंगारी उठकर पर्दों में लगी. मोजो से आग वन अबव रेस्त्रां में पहुंच गई थी. इसके अलावा इमरजेंसी एग्जिट को जाने वाले रास्ते पर सामान भरा था. 

बार टेंडर जो आग के खेल कर रहे थे वो भी अवैध था. आग को बुझाने में अग्निशामक यंत्र नाकाम रहे. चश्मदीदों के मुताबिक आग बड़ी तेजी से ऊपर चल रहे 1 अबव में पहुंच गई. वन अबव में भी रूफ के लिए जिस तिरपाल का इस्तेमाल हुआ था वो ज्वलनशील थी. अवैध शेड, बंबू लकड़ी का भी दोनों रेस्टोरेंट में इस्तेमाल किया गया था.

सूरत कोचिंग हादसा. 24 मई 2019
इसी साल मई में गुजरात के सूरत में भयानक अग्निकांड सामने आया था. एक कॉम्प्लेक्स में सबसे ऊपरी फ्लोर बने कोचिंग सेंटर में आग लग गई थी. आग लगने से कोचिंग के 20 स्टूडेंट्स की मौत हो गई थी. इस अग्निकांड की विडियो दिल दहलाने वाली थी, जिसमें बच्चे आग से बचने के लिए ऊंचाई से छलांग लगा रहे थे. आग लगने के स्पष्ट कारण सामने नहीं आए थे, लेकिन वजह शॉर्ट सर्किट ही बताई गई थी.

इसके बाद कुछ दिनों तक राज्य समेत देश भर की सरकारें शॉर्ट सर्किट से होने वाले हादसों को लेकर जागरूक हुई थी, लेकिन फिर दोबारा सो गई. आग की इन घटनाओं को हम बस आंकड़ों के तौर पर जोड़ते जा रहे हैं, कोई सबक नहीं ले रहे हैं. 

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