नई दिल्ली: कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से घाटी के हालातों में उतार-चढ़ाव देखा ही जा रहा है. पांच अगस्त को कश्मीर को दो अलग- अलग केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद से भारतीय जवान मोर्चे पर हैं ताकि घाटी में शांति बहाल की जा सके. देखा जाए तो सेना बहुत हद तक इसमें सफल भी हुई है. लेकिन उग्रवादियों के लिए गढ़ बन चुका दक्षिण कश्मीर का क्षेत्र लगातार मुश्किलें खड़ी करता रहता है. दरअसल, दक्षिण कश्मीर के चार जिलों अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां और कुलगाम में आए दिन हिंसक घटनाएं होती रहती हैं.
नियंत्रण रेखा से लगे इलाकों में हिंसा ज्यादा
क्योंकि यह क्षेत्र पीओके (Pakistan Occupied Kashmir)से सटा हुआ है. बुधवार की सुबह अनंतनाग जिले के फजलपुरा में फिर से जवानों से उग्रवादियों की मुठभेड़ हुई जिसमें 3 आतंकियों को ढेर कर दिया गया. सेना द्वारा चलाए जा रहे सर्च ऑपरेशन में रोजाना ही कोई न कोई मुठभेड़ की खबरें आती रहती हैं. अक्टूबर के महीने के पहले 2 सप्ताह में जहां एक ओर सरकार सामान्य हालात करने के लिए पाबंदियों को हल्का बना रही है, वहीं दूसरी ओर इन हमलों से आम जनजीवन को पटरी पर लाने में मुश्किलें हो रही हैं. 5 अगस्त के बाद से अब तक पत्थर फेंकने के 300 से भी अधिक केस दर्ज किए जा चुके हैं. इसके अलावा अब तक जवाबी कारवाई में लगभग 10 उग्रवादियों को मार गिराया गया है.
16 जवान हुए हैं शहीद
घाटी के हालात में लगातार बदलाव की उम्मीदों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अक्टूबर को ये इशारा दिया कि कश्मीर के हालात 4 महीनों के भीतर सामान्य हो जाएंगे. इसके बावजूद कुछ आंकड़े ऐसे हैं जो चिंता का सबब बन सकते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से अब तक 16 जवान शहीद हुए हैं और 100 से भी अधिक जवान आहत हुए हैं जिसमें से 90 सीआरपीएफ के जवान हैं. शहीदों में सेना के दो उच्च अधिकारी भी हैं.
पिछले 15 दिनों में कश्मीर में लिए गए कुछ अहम फैसले
- 7 अक्टूबर को राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कश्मीर में भारतीय सैलानियों की आवाजाही को चालू करने के आदेश दिए.
- 8 अक्टूबर को दक्षिण कश्मीर में 2 लश्कर-ए-तैयबा के 2 आतंकी मार गिराए गए.
- 10 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी ने 4 महीनों के भीतर कश्मीर के हालात ठीक होने का आश्वासन दिया.
- 12 अक्टूबर को भारत सरकार ने घाटी में लंबे समय से बाधित फोन सेवा के जल्द शुरू करने के संकेत दिए.
- 14 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के 32 अलगाववादियों ने एलओसी के नजदीक भूख हड़ताल शुरू कर दिया
- 15 अक्टूबर को सेना के ट्रक ड्राइवर की हत्या के बाद एसएमएस सेवा को फिर से बंद कर दिया गया.
इन तमाम हिंसक घटनाओं के बावजूद घाटी के हालातों में सुधार के लिए कूटनीतिक, राजनीतिक और सैनिक स्तरों पर काम किया जा रहा है. मंगलवार को दिल्ली में आयोजित 41वें डीआरडीओ सम्मेलन में भारतीय थलसेना चीफ लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने सेना के कमांडर-इन-चार्जों को रनिंग ऑपरेशन को बखूबी चलाने और इसके बेहतर परिणाम के लिए आगाह किया. अब कश्मीर के हालात कब देश के अन्य राज्यों के समान होते हैं, ये तो आने वाला वक्त बताएगा.