नई दिल्ली: महाराष्ट्र में जब कांग्रेस ने अपनी विचारधारा विरोधी पार्टी के साथ गंठबंधन किया तो उन्होंने तर्क दिया कि वो ऐसा इसलिए कर रहे हैं जिससे कि महाराष्ट्र का भला हो सके. लेकिन कांग्रेस की ये दलील उस समय फीकी पड़ गई जब महाराष्ट्र में कांग्रेस वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने नांदेड़ में नागरिकता कानून के विरोध में आयोजित एक रैली में कहा कि मुस्लिम भाइयों की अपील पर ही कांग्रेस महाराष्ट्र सरकार में शामिल हुई है. तो क्या उद्धव ठाकरे महज कांग्रेस की कटपुतली हैं? एक वक्त में हिंदुत्व की दुहाई देने वाले ठाकरे राज में खुलेआम मजहबी तुष्टिकरण हो रहा है और वो सिर्फ आंख-कान मूंदे बैठे हैं.
महाराष्ट्र नहीं, मुस्लिम हित के लिए उद्धव के साथ कांग्रेस?
अशोक चव्हाण ने कहा कि जब तक हमारी सरकार है तब तक राज्य में इसे लागू नहीं होने देंगे. जाहिर है मुसलमानों को खुश करने के लिए दिया गया ये बयान कांग्रेस की तुष्टिकरण रणनीति का बड़ा हिस्सा है. और यही वजह है कि शाहीन बाग में 38 दिनों से नागरिकता कानून के विरोध में चल रहे प्रदर्शन में कांग्रेस के कई नेता लगातार शिरकर कर रहे हैं. शशि थरुर, सलमान खुर्शीद, मणिशंकर अय्यर के बाद कल दिग्विजय सिंह भी शाहीन बाग पहुंचे और प्रदर्शनकारियों का हौसला बढ़ाया. ऐसे में ये माना जा सकता है कि कांग्रेस मुसलमानों के गुस्से को भड़काने और मुस्लिम वोट बैंक पर अधिकार करने के लिए नागरिकता कानून के विरोध कर रही है.
'धर्मनिरपेक्षता' पर चव्हाण ने उतारा कांग्रेस का नकाब!
संसद में नागरिकता संशोधन कानून की जंग हार चुकी कांग्रेस अब सड़कों और रैलियों में इसे जीतने की कोशिश कर रही है. इसके लिए वो मुसलमानों को भड़काने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही. सोमवार को महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक रैली को संबोधित करते हुए अशोक चव्हाण ने जो कहा वो कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति और रणनीति की ओर इशारा करती है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आयोजित रैली में अशोक चव्हाण ने साफ-साफ ऐलान कर दिया कि वो महाराष्ट्र में नागरिकता कानून लागू नहीं होने देंगे. इतनी ही नहीं चव्हाण ने कहा कि मुस्लिम भाइयों के कहने पर कांग्रेस उद्धव सरकार में शामिल ही इसलिए हुई है, ताकि बीजेपी को सत्ता से दूर रखा जा सके.
आखिर क्यों चव्हाण की बात को दिया जा रहा तवज्जो
अशोक चव्हाण की बात इसलिए महत्वपूर्ण है कि कि चव्हाण न केवल अभी महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं बल्कि वो महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. पंजाब और केरल की सरकारों के नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव के बाद अब इस कड़ी में जुड़ने वाला अगला राज्य महाराष्ट्र हो सकता है. वैसे इसका संकेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने पहले ही दे दिया था.
हालांकि महाराष्ट्र सरकार में शामिल एनसीपी का कहना है कि सरकार में शामिल तीनों दल बैठकर चर्चा करेंगे उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा.
कपिल सिब्बल ने दिखाया था कांग्रेस को 'आईना'
कांग्रेस के नेता भले ही कांग्रेस शासित राज्यों में इस कानून को लागू न करने देने की बात कह रहे हों लेकिन इस मामले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल पिछले हफ्ते ही सच्चाई बयान कर चुके हैं. सिब्बल ने कहा था कि संवैधानिक रूप से कोई भी राज्य सरकार इस कानून को लागू करने से मना नहीं कर सकता....बीजेपी का भी मानना है कि कपिल सिब्बल भी संविधान के मुताबिक ही बात कर रहे हैं
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कांग्रेस नागरिकता कानून के विरोध को अपने पक्ष में भुनाने के हरसंभव कोशिश कर रही है. इसके लिए वो मुसलमानों को हर तरह से लुभाने की कोशिश कर रही है क्योंकि उसका मानना है कि अगर उसे केंद्र की सत्ता में वापसी करनी है तो उसे मुसलमानों को बहलाना ही होगा.
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