UP: अटकलों से घिरी नौकरशाही, एक हफ्ते के भीतर 3 IAS अधिकारियों ने वीआरएस मांगा

उत्तर प्रदेश कैडर के तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा एक सप्ताह के भीतर सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) की मांग के बाद नौकरशाही अटकलों से घिर गई है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 3, 2022, 11:07 AM IST
  • इन तीन अधिकारियों ने मांगा वीआरएस
  • तीनों अधिकारियों ने मुख्य सचिव को भेजा पत्र
UP: अटकलों से घिरी नौकरशाही, एक हफ्ते के भीतर 3 IAS अधिकारियों ने वीआरएस मांगा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश कैडर के तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा एक सप्ताह के भीतर सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) की मांग के बाद नौकरशाही अटकलों से घिर गई है.

इन तीन अधिकारियों ने मांगा वीआरएस

यह शायद पहली बार है कि कुछ दिनों के भीतर एक के बाद एक तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों ने वीआरएस की मांग की है. ये तीन अधिकारी हैं- रेणुका कुमार (1987 बैच), जुथिका पाटनकर (1988) और विकास गोथलवाल (2003). रेणुका कुमार 30 जून, 2023 को सेवा से सेवानिवृत्त होने वाली थीं और उन्हें 28 जुलाई को उनके मूल कैडर यूपी में वापस कर दिया गया था. उन्होंने नब्बे के दशक में राज्य कैडर में तीन सबसे भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों की पहचान करने के लिए यूपी आईएएस एसोसिएशन के अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

जानकार सूत्रों ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश लौटने को तैयार नहीं थी और उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया.

केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर रहीं जुथिका पाटनकर ने राम नाईक के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के प्रधान सचिव के रूप में काम किया था. उन्होंने वीआरएस मांगा, हालांकि वह जनवरी 2024 में सेवानिवृत्त होने वाली थीं. ब्रिटेन में अध्ययन अवकाश पर चल रहे विकास गोथलवाल ने कथित तौर पर स्वास्थ्य के आधार पर वीआरएस की मांग की थी.

तीनों अधिकारियों ने मुख्य सचिव को भेजा पत्र

पता चला है कि तीनों अधिकारियों ने वीआरएस मांगने वाले अपने पत्र की प्रतियां मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा और राज्य नियुक्ति विभाग को भेजी हैं.

इस बीच, आईएएस अधिकारियों के आंतरिक व्हाट्सएप ग्रुप विकास के संभावित कारणों से भरे पड़े हैं. अधिकारी सेवा शर्तो पर बहस कर रहे हैं जो नौकरशाहों को उत्तर प्रदेश से दूर कर रहे हैं और राज्य में नौकरशाही का तीव्र राजनीतिकरण भी कर रहे हैं. कुछ शीर्ष नौकरशाहों को भी स्थिति के लिए दोषी ठहराया जा रहा है.

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