नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक टीचर को पीटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि किसी बच्चे को उसके धर्म की वजह से पीटने का आदेश दिया गया? ये कैसी शिक्षा दी जा रही है? कोर्ट ने कहा कि मामले में दर्ज की गई एफआईआर पर भी हमें आपत्ति है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बच्चे के पिता ने अपने बयान में आरोप लगाया है कि उनके बच्चे को धर्म की वजह से पीटा गया लेकिन एफआईआर में इसका जिक्र नहीं है. कोर्ट ने कहा कि वीडियो का ट्रांसक्रिप्ट कहां है?
सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी स्टूडेंट को सिर्फ इस आधार पर दंडित करने की मांग की जाती है कि वह एक विशेष समुदाय से है तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं हो सकती है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में संवेदनशीलता भी शामिल है. कोर्ट ने कहा कि बच्चे से उसी स्कूल में पढ़ाई जारी रखने की उम्मीद राज्य नहीं कर सकता है.
सीनियर आईपीएस से जांच कराने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस प्रकार से यह हुआ है उससे राज्य की अंतरात्मा को झकझोर देना चाहिए. जस्टिस केएम नटराज ने कहा कि सांप्रदायिक पहलू को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है. कोर्ट ने मामले की जांच सीनियर आईपीएस अधिकारी से कराने की बात कही. कोर्ट ने पूछा कि मामले में चार्जशीट कब दाखिल होगी? और बच्चे व गवाहों को सुरक्षा दी जाएगी?
कोर्ट ने कहा कि यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के मौलिक अधिकारों और आरटीई एक्ट का उल्लंघन है. साथ ही यह किसी बच्चे को शारीरिक दंड देने पर लगी रोक का भी उल्लंघन है. मामले में कोर्ट ने पीड़ित बच्चे की शिक्षा की जिम्मेदारी लेने का निर्देश दिया.
रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट मुजफ्फरनगर में एक शिक्षिका की ओर से छात्र को उसी के सहपाठियों से थप्पड़ मरवाने के मामले की सुनवाई कर रहा था.
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