उत्तराखंड टनल हादसाः विदेशी मीडिया ने माना भारत का लोहा, लिखी दिल जीतने वाली बात

समाचार पत्र ‘द गार्जियन’ ने लिखा, ‘‘अंतत: यह मशीनों पर मानव श्रम की जीत थी क्योंकि मशीनों के जरिये इस अभियान में सफलता नहीं मिलने पर ‘‘रैट होल माइनिंग’’ विशेषज्ञ हाथों से खुदाई करके 12 मीटर मलबे को हटाने में कामयाब रहे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 29, 2023, 05:13 PM IST
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उत्तराखंड टनल हादसाः विदेशी मीडिया ने माना भारत का लोहा, लिखी दिल जीतने वाली बात

नई दिल्लीः उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के एक अविश्वसनीय और जोखिमभरे सफल अभियान के बारे में विश्व मीडिया ने कहा कि मानव श्रम मशीनों पर भारी पड़ा है. सिलक्यारा सुरंग में लगभग 17 दिन तक फंसे रहे सभी 41 श्रमिकों को विभिन्न एजेंसियों के संयुक्त बचाव अभियान के तहत मंगलवार की शाम सकुशल बाहर निकाल लिया गया. 

गार्जियन ने क्या लिखा
समाचार पत्र ‘द गार्जियन’ ने लिखा, ‘‘अंतत: यह मशीनों पर मानव श्रम की जीत थी क्योंकि मशीनों के जरिये इस अभियान में सफलता नहीं मिलने पर ‘‘रैट होल माइनिंग’’ विशेषज्ञ हाथों से खुदाई करके 12 मीटर मलबे को हटाने में कामयाब रहे.’’ ब्रिटिश समाचार पत्र ने एक विस्तृत खबर में कहा कि 400 घंटे से अधिक समय बाद सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग से श्रमिकों को स्ट्रेचर के जरिये निकाला गया और इस दौरान बचाव अभियान में कई बाधाएं आई लेकिन बचावकर्मियों ने हिम्मत नहीं हारी और सफलतापूर्वक इस अभियान को पूरा किया. 

बीबीसी ने भी माना भारत का लोहा
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) ने बचाव अभियान पर नियमित रूप से अद्यतन जानकारी दी. बीबीसी की खबर में कहा गया, ‘‘सुरंग से पहले व्यक्ति के बाहर आने की खबर आते ही सुरंग के बाहर जश्न मनाया जाने लगा.’’ इसमें कहा गया कि एक जबरदस्त बचाव अभियान में कई बाधाओं को पार करते हुए उन्हें सुरंग से बाहर निकाला गया. 

टेलीग्राफ ने भी सराहा
लंदन के समाचार पत्र ‘द टेलीग्राफ’ ने अपनी खबर में कहा कि सैन्य इंजीनियरों और खनिकों ने इस मिशन को पूरा करने के लिए मलबे में ‘रैट होल ड्रिल’ किया. चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन साढ़े चार किलोमीटर लंबी सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह जाने से उसमें 41 श्रमिक फंस गये थे और श्रमिकों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर अभियान चलाया गया. मलबे के रास्ते छह इंच का पाइप डालकर उन्हें भोजन, दवाएं और अन्य आवश्यक चीजें भेजी गईं.

‘फ्रांस 24’ की खबर के अनुसार, ‘रैट होल माइनिंग’’ विशेषज्ञों ने चट्टानों, बजरी और धातु की बाधाओं को दूर करते हुए हाथों से खुदाई कर अभियान को सफल बनाने में मदद की. ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपनी खबर में कहा कि अतिरिक्त मलबा गिरने से शुरुआती ‘ड्रिलिंग’ प्रयासों में बाधा आई. इसमें कहा गया कि 13वें दिन बचाव प्रयासों में उस समय बाधाओं का सामना करना पड़ा जब अमेरिका निर्मित ऑगर मशीन ‘ड्रिलिंग’ के दौरान टूट गई. 

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