नई दिल्ली: Vasundhara Raje News: राजस्थान की राजनीति में मंगलवार का दिन सियासी रूप से हंसी-ठिठोली और इशारों-इशारों में बातें कहने का रहा. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से लेकर राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी तक सियासी संदेश देते नजर आए. ये मौका सिक्किम के नए राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर के समान में आयोजित नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम का था. ओमप्रकाश माथुर बीते 52 सालों से राजनीतिक जीवन में हैं. वे भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं. माथुर मुख्यमंत्री के रेस में भी रहे, लेकिन इसमें अव्वल न आ सके. बहरहाल, प्रदेश की राजनीति में माथुर को 'ओम जी भाईसाहब' के नाम से जाना जाता है. फिर चाहे पूर्व CM राजे हों या BJP के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, सब ओपी माथुर को अपने से वरिष्ठ के तौर पर देखते हैं.
राजे ने मंच बताया राज्यपाल का पद कितना अहम?
नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम के मंच से पूर्व CM और वर्तमान में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने कई ऐसे बयान दिए, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. लेकिन गौर करने लायक बात ये थी कि राजे ने मंच से राज्यपाल पद की महत्ता को बताया. इसके बाद उन्होंने आधिकारी एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर भी ये बात लिखी. राजे ने लिखा- राज्यपाल शक्ति रहित नहीं, शक्ति सहित होता है. संविधान बनाते वक्त यह तय हुआ कि देश में जैसे राष्ट्रपति हैं, वैसे ही राज्य को गवर्न करने के लिए गवर्नर होंगे. इसलिए राज्य में गवर्नर ही सबसे शक्तिशाली होता है.सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि राज्यपाल किसी भी विधेयक को रोक सकता है. वह मंत्री परिषद की सलाह से काम तो करता हैं, लेकिन अनुच्छेद 166(2) के अनुसार उसका निर्णय ही अंतिम होता है. ऐसा कहा जाता रहा है कि भाजपा का आलाकमान वसुंधरा राजे को गवर्नर बनाने की इच्छा रखता है, लेकिन वे इस पद के लिए हामी नहीं भर रही हैं. लेकिन अब वसुंधरा राजे के इस बयान के तरह-तरह के मतलब निकाले जा रहे हैं.
आदरणीय श्री ओम माथुर जी चाहे कितनी ही बुलंदियों पर पहुँचें, इनके पैर सदा ज़मीन पर रहें हैं। इसीलिए इनके चाहने वाले भी असंख्य हैं। ओम माथुर जी ऊपर से गरम, भीतर से नरम है, जिन्होंने छत्तीसगढ़ में कमल खिला कर असंभव को संभव किया।
राज्यपाल शक्ति रहित नहीं, शक्ति सहित होता है। संविधान… pic.twitter.com/GH5isTZQnH
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) September 3, 2024
राठौड़ से पूछा- साथ छोड़ते नहीं हैं ना?
वसुंधरा राजे ने मंच से अपने पुराने वफादार और सिपहसालार राजेंद्र राठौड़ की भी चुटकी ली. वसुंधरा ने भरे मंच पर राठौड़ की ओर देखते हुए पूछा- जब साथ देते हैं तो फिर साथ छोड़ते नहीं हैं ना? इस पर राठौड़ ने गर्दन हिलाते हुए इशारा दिया नहीं. लेकिन फिर कार्यकर्ता जोर-जोर से हंसने लगे और राजेंद्र राठौड़ भी ठहाके लगाने लगे. बता दें कि एक समय पर राठौड़ राजे के करीबी हुआ करते थे. साल 2009 में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने वसुंधरा राजे को नेता प्रतिपक्ष के पद से हटने के लिए कहा था. तब राठौड़ विधानसभा में मुख्य सचेतक हुआ करते थे. उन्होंने कहा था- हम उन्हें (केंद्रीय नेतृत्व को) चेतावनी देना चाहते हैं कि वसुंधरा राजे के बिना राजस्थान के लोग और पार्टी इकाई कुछ भी नहीं है. हम नेतृत्व में बदलाव नहीं चाहते हैं.
“साथ देते है तो छोड़ते नहीं है” pic.twitter.com/qBSrTtnyks
— राजस्थानी ट्वीट (@8PMnoCM) September 3, 2024
घनश्याम तिवाड़ी बोले- मेरा राजे के साथ आमरस जैसा रिश्ता
राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने मंच से कहा कि मैं माननीय बन गया, लेकिन महामहिम नहीं, क्योंकि बीच में मैंने पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद उन्होंने कहा कि मेरा और वसुंधरा राजे का रिश्ता आमरस जैसा है. कुछ खट्टा और कुछ मीठा, लेकिन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है. इस पर वसुंधरा ने कहा, भला आमरस का उदाहरण भी कोई देने जैसा है.
राजे का विरोधियों पर तंज
वसुंधरा राजे ने इशोरों ही इशारों में अपने विरोधियों पर भी तंज कसने का मौका नहीं छोड़ा. उन्होंने कहा- लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह अपने आप को सर्राफ समझ बैठते हैं. ये सुनते ही मंच पर बैठे नेता हंसने लगे. लेकिन इसके सियासी मायने काफी गहरे माने जा रहे हैं.
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