क्या है कोरोना का डबल म्यूटेंट, जिसके संक्रमण से लोगों को हो रही गंभीर बीमारियां

डबल म्यूटेशन के नए स्ट्रेन की इंफेक्टिविटी और ट्रांसमिटी रेट बहुत ज्यादा है. इस स्ट्रेन में संक्रमण की दर इतनी तेज है कि अब संक्रमण एक व्यक्ति से पूरे परिवार को हो जा रहा है.  

Written by - Harsha Chandwani | Last Updated : Apr 19, 2021, 11:21 AM IST
  • जानिए क्यों खतरनाक है ये डबल म्यूटेशन
  • सबसे पहले महाराष्ट्र में पाया गया डबल म्यूटेशन
क्या है कोरोना का डबल म्यूटेंट, जिसके संक्रमण से लोगों को हो रही गंभीर बीमारियां

नई दिल्ली: देश में कोरोना की दूसरी लहर ने विकराल रूप धारण कर लिया है. कोरोना वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है और कोरोना वायरस के नए म्यूटेशंस से जुड़े कई गंभीर मामले सामने आ रहे है.

मेडजिनोम लैब्स लिमिटेड में संक्रामक रोगों की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ गुनिशा पसरिचा इस म्यूटेशन के बारे में विस्तार से बता रही हैं. आइए जानते हैं कि कोरोना वायरस का डबल म्यूटेशन क्या है और यह कितना खतरनाक है. 

इस वैरिएंट को वैज्ञानिक तौर पर B.1.617 नाम दिया गया है, जिसमें दो तरह के म्यूटेशंस हैं- E484Q और L452R म्यूटेशन. ये दो बेहद जरूरी म्यूटेशन हैं , पहला म्यूटेशन E484Q जैसा मिलता-जुलता स्ट्रेन यूके , ब्राजील और साउथ अफ्रीका में मिला है,

लेकिन वे थोड़े अलग हैं. वहीं दूसरा म्यूटेशन L452R जैसा मिलता-जुलता स्ट्रेन california में मिला हैं . ये सारे म्यूटेशन बाहर से आए हैं . अभी सिर्फ महाराष्ट्र के 361 मामलों में sequencing की गई है. जिनमें से 220 में ये डबल म्यूटेशन पाया गया हैं.

अभी ज्यादा डेटा देश में मौजूद नहीं हैं जो भी लिमिटेड डेटा है, उसी को लेकर अध्ययन किया जा रहा है. लेकिन ये म्यूटेशन चिंताजनक हैं और इसके काफी गंभीर परिणाम दिख रहे हैं .

वायरस खुद को लंबे समय तक प्रभावी रखने के लिए लगातार अपनी जेनेटिक संरचना में बदलाव लाते रहते हैं, ताकि उन्हें खत्म न किया जा सके. दो तरह के वायरस म्यूटेशन के कारण ही यह बेहद खतरनाक माना जाता है. 

महाराष्ट्र में सबसे पहले पाया गया ये डबल म्यूटेशन

डबल म्यूटेंट वायरस की पहचान देश के कम से कम पांच राज्यों में की जा चुकी है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि ये डबल म्यूटेशन महाराष्ट्र से शुरू हुआ है.

सबसे पहले ये महाराष्ट्र में पाया गया था, यूके का दूसरा स्ट्रेन पंजाब और दिल्ली में 80 फीसदी था, लेकिन यहां डबल म्यूटेशन नही था. ये दूसरे राज्यों में महाराष्ट्र से फैला है, क्योंकि भारी संख्या में में लोग एक राज्य से दूसरे राज्य गए हैं.

रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस नए स्ट्रेन के केस अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में पाए गए हैं. 

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क्यों खतरनाक है ये डबल म्यूटेशन 

नया म्यूटेशन दो म्यूटेशंस के जेनेटिक कोड (E484Q और L452R) से है. जहां ये दोनों म्यूटेशंस ज्यादा संक्रमण दर के लिए जाने जाते हैं, वहीं यह पहली बार है कि दोनों म्यूटेशन एकसाथ मिल गए हैं जिससे कि वायरस ने कई गुना ज्यादा संक्रामक और खतरनाक रूप ले लिया है.

यानी साफ है कि इस डबल म्यूटेशन में कोरोना वायरस से जुड़े दो अलग-अलग तरह के स्पाइक प्रोटीन मार्कर मौजूद हैं.

स्पाइक प्रोटीन की मदद से वायरस इंसान के सेल्स से चिपक जाता है और उसके बाद उसके अंगों पर अटैक करता है. इस स्ट्रेन के वैरिएंट्स स्पाइक प्रोटीन के स्ट्रक्चर को बदल देता है, जिससे कि वह सेल्स के साथ अटैच होकर कई गुना तेजी से बढ़ने लगता है. इससे संक्रमण शरीर को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लेता है.

इस स्ट्रेन में ये समझने की जरूरत है कि इसकी इंफेक्टिविटी और ट्रांसमिटी रेट बहुत ज्यादा है. पहले स्ट्रेन में परिवार में किसी एक व्यक्ति को संक्रमण होता था, तो बाकियों को इतनी तेजी से हो ये जरूरी नहीं था.

लेकिन इसमें संक्रमण की दर इतनी तेज है कि अब संक्रमण एक व्यक्ति से पूरे परिवार को हो जा रहा है और ये इंफेक्टेड व्यक्ति के वाइरल लोड पर भी निर्भर करता हैं कि वो कितनों को तेजी से संक्रमित कर रहा है.

डबल म्यूटेंट वायरस ज्यादा संक्रामक है, जो कि ज्यादा तेज गति से फैलता और गंभीर बीमारियां पैदा करता है. 

देश में अभी ज्यादा डेटा नहीं हैं कि हम डबल म्यूटेशन पर रिसर्च कर पाएं, लेकिन देश के वैज्ञानिकों को, epidemologists को इसको sequencing पर और रिसर्च करने की जरूरत है, क्योंकि ये दो नहीं हैं कई म्यूटेशंस मतलब लगभग 15 म्यूटेशंस का संग्रह है.

अभी हमारे देश में कोरोना की दूसरी लहर है, अगर आगे चलकर देश में कोरोना की दूसरी या तीसरी लहर आती है तब यह अध्ययन हमारे काम आएगा. 

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