नई दिल्ली: शाहीन बाग पहुंची गुंजा कपूर 'राइट नैरेटिव' के नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाती हैं. वह बुर्का पहनकर छिपा हुआ कैमरा लेकर शाहीन बाग पहुंची थीं. लेकिन वहां मौजूद लोगों ने उन्हें घेर लिया और उनके साथ धक्का मुक्की करने लगे. जिसके बाद गुंजा कपूर को लगातार निशाने पर लिया जा रहा है.
Delhi Police: Questioning of political analyst Gunja Kapoor is underway; She wore a 'burqa' and went to the protest site at Shaheen Bagh. #Delhi https://t.co/votv4BbBGA
— ANI (@ANI) February 5, 2020
लेकिन सवाल है कि आखिर गुंजा का गुनाह क्या है? आईए करते हैं पड़ताल-
1. पहला आरोप- बुर्का पहनकर गई थीं गुंजा
गुंजा कपूर जब शाहीन बाग पहुंचीं, तो उन्होंने बुर्का पहन रखा था. जिसपर उन्हें घेरा जा रहा है और सवाल किया जा रहा है कि आखिर गुंजा ने बुर्का क्यों पहना? गुंजा को घेरने वाली महिलाएं उनसे ये सवाल पूछती नजर आ रही हैं.
Context: Here’s the full earlier video. #ShaheenBagh Women asking Gunja why she felt the need to wear a burkha.
courtesy: @wajihulla pic.twitter.com/LSBW716OT3
— Zeba Warsi (@Zebaism) February 5, 2020
लेकिन इसका जवाब ये है कि क्या देश का कोई भी कानून किसी महिला को बुर्का पहनने से रोकता है? आखिर गुंजा से ये सवाल क्यों पूछा जा रहा है?
दरअसल शाहीन बाग में मौजूद लोगों का सच जानने के लिए उनमें से ही एक जैसा दिखना जरुरी था. इसलिए गुंजा ने बुर्के का सहारा लिया.
वैसे भी गुंजा को क्या पहनना है और क्या नहीं पहनना है ये उनकी निजी पसंद है.
भारत में किसी महिला को क्या पहनना है और क्या नहीं पहनना है, ये कोई और नहीं बता सकता.
2. दूसरा आरोप- गुंजा ने अपना नाम बरखा बताया
गुंजा को ट्रोल करने वाले आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने अपना सही नाम छिपा कर बरखा बताया.
इस आरोप में कोई दम नहीं है. क्योंकि इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म करने वाले लोगों के लिए अपनी सही पहचान छिपाना जरुरी होता है. गुंजा कपूर एक यूट्यूबर हैं और वह शाहीन बाग का सच जानने के लिए निकली थीं. इंटरनेट पर उनका चेहरा और नाम बेहद जाना पहचाना है. ऐसे में अगर वह अपना सही नाम बतातीं तो शायद सच सामने नहीं आ पाता. इसलिए उन्होंने अपना नाम बऱखा बताया. क्या सिर्फ इसलिए वहां मौजूद भीड़ को उनके साथ धक्का मुक्की और बदसलूकी करने का अधिकार मिल जाता है.
3. तीसरा आरोप- गुंजा शाहीन बाग के प्रदर्शन को बदनाम करने की कोशिश कर रही थीं
गुंजा पर लगा ये तीसरा आरोप नितांत आधारहीन है. क्योंकि शाहीन बाग के लोगों की वजह से सरिता विहार और जसौला गांव जैसे आस पास के इलाकों के बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. मरीजों की एंबुलेन्स को जगह नहीं दी जा रही है. लोगों को भारी समस्या हो रही है.
शाहीन बाग में मौजूद लोग संसद के दोनों सदनों से पास कराए हुए कानून का विरोध कर रहे हैं. देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के लिए अभद्र गालियां निकाल रहे हैं.
ये लोग जो खुद अपनी हरकतों से पूरे देश में बदनाम हो चुके हैं, उन्हें कोई और क्या बदनाम करेगा.
बल्कि गुंजा वहां ना तो भाषण देने गई थीं और ना ही किसी तरह के प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही थीं. ऐसे में उनपर किसी को बदनाम करने का आरोप कैसे लगाया जा सकता है?
4. चौथा आरोप- गुंजा कपूर पीएम मोदी की समर्थक हैं
अगर पीएम मोदी का समर्थन करना गुंजा कपूर का गुनाह है तो फिर देश के करोड़ो लोग इस बात के गुनहगार हैं. क्योंकि वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिल से पसंद करते हैं. उन्हीं लोगों के वोट के आधार पर ही नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं.
वैसे भी गुंजा कपूर भाजपा की कार्यकर्ता नहीं हैं. बल्कि वह साल 2015 तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुखर विरोधी रही हैं. जिसका सबूत उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर दिखाई देता है.
हालांकि बाद में पीएम मोदी के देश के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता से गुंजा कपूर के विचार बदले और उन्होंने सरकार की नीतियों का समर्थन करना शुरु कर दिया.
5. पांचवा आरोप- किसकी अनुमति से गुंजा शाहीन बाग पहुंची
गुंजा के साथ धक्का मुक्की करने और उनकी लिंचिंग की कोशिश करने वाले लोग एक वीडियो में ये कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि आपको यहां आने के लिए किसने 'अलाऊ' किया.
क्या इस देश के नागरिकों को अपने ही देश में कहीं जाने जाने के लिए परमिशन की जरुरत है क्या?
गुंजा एक यूट्यूबर हैं. उन्हें कहीं आने जाने के लिए किसी की अनुमति की जरुरत नहीं है. क्या शाहीन बाग किसी की जागीर है कि गुंजा को वहां जाने के लिए अनुमति की जरुरत होगी.
कुछ यही सवाल ज़ी मीडिया के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी और न्यूज नेशन के एडिटर दीपक चौरसिया से भी पूछा गया था कि उनका वहां आना 'अलाऊ'
जिस तरह राहत इंदौरी कहते हैं कि ये हिंदुस्तान है, किसी के बाप की जागीर नहीं.
वैसे ही शाहीन बाग भी किसी के बाप की जागीर नहीं. गुंजा या उन जैसे किसी भी शख्स को शाहीन बाग सहित देश के किसी हिस्से में जाने के लिए किसी की अनुमति की जरुरत नहीं है. शाहीन बाग में जमा देश विरोधी गद्दारों की भीड़ जितनी जल्दी इस बात को समझ ले उतना ही अच्छा.....
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