नई दिल्ली: Who Was Sapna Didi: यह उस वक्त की बात है जब दाऊद इब्राहिम ( Dawood Ibrahim) अपने अर्श पर हुआ करता था. वह दुबई में अपने 'वाइट हाउस' में रहा करता था. सारा गैंग यहीं से ऑपरेट करता था. उसे खबर लगी कि बंबई की एक लड़की उसे मारना चाहती है और वह उसके दुश्मनों से जा मिली है. बंबई के गैंग उसे 'सपना दीदी' कहकर बुलाते हैं. उस जमाने में भी जींस-टॉप पहनने और मॉडर्न बाइक चलाने वाली ये लड़की आखिरकार दाऊद को क्यों मारना चाह रही थी, बहुत कम लोगों के पास इसका जवाब था. गिने-चुने लोग ही होंगे जिन्हें ये पता होगा कि सपना दीदी का असली नाम 'सपना' है ही नहीं.
अशरफ का पति मारा गया
दाऊद का एक खास आदमी बंबई के हवाई अड्डे पर उतरा. वह जैसे ही एयरपोर्ट से बाहर आया, पुलिस की गोलियों ने उसे भून दिया. इसके बाद एक एंबुलेंस से उसकी बॉडी को अस्पताल ले जाया गया. इस शख्स का नाम महमूद था. महमूद को खोजते हुए एक महिला पास के थाने में गई. यहां उसे किसी ने कहा कि जेजे अस्पताल जाओ. वहां पहुंची तो देखा कि महमूद की लाश मोर्चरी में पड़ी है. वह फूट-फूटकर रोने लगी. यह महमूद की पत्नी अशरफ थी. दोनों ने लव मैरिज की थी.
दाऊद था जिम्मेदार
कुछ दिन बीत जाने के बाद अशरफ को पता लगा कि उसका पति दाऊद के लिए काम करता था. उसे बताया गया कि उसके पति महमूद ने दाऊद की किसी बात को मानने से इनकार कर दिया था. जब महमूद दुबई से इंडिया आ रहा था, तब दाऊद ने अपने करीबियों के जरिये पुलिस तक महमूद की वापसी की खबर पहुंचा दी और पुलिस ने एयरपोर्ट पर ही महमूद का एनकाउंटर कर दिया.
कैसे बन गई डॉन
अशरफ के दिल में बदले की आग दहकने लगी. वह किसी भी कीमत पर दाऊद की जान लेना चाहती थी. इसके लिए उसने तब के मशहूर डॉन अरुण गवली से मदद मांगी, जो दाऊद का दुश्मन हुआ करता था. लेकिन उसने अशरफ की मदद करने से इनकार कर दिया. इसके बाद वह मुहम्मद हुसैन से मिली, जो हुसैन उस्तरा के नाम से मशहूर था. दरअसल, हुसैन ने छोटी उम्र में ही एक लड़के को उस्तरे से बुरी तरह जख्मी कर दिया था. तब से ही उसका ये नाम पड़ गया. हुसैन को अशरफ के इरादे पक्के लगे, उसने दांव खेलने का रिस्क लिया. हुसैन ने अशरफ को जूडो-मार्शल आर्ट्स और हथियार चलाना सिखाया.
मजबूरी का फायदा उठाया
अशरफ धीरे-धीरे दाऊद के ठिकानों को जानने लगी और पुलिस को इसकी मुखबिरी करने लगी. बंबई में दाऊद की जड़ें हिलाने के लिए अशरफ ने हर-छोटी बड़ी कोशिश करना शुरू कर दी. दाऊद को इसकी भनक लगी तो उसने अपने लड़के अशरफ के पीछे लगा दिए. एक रात दाऊद के भेजे हुए गुंडे अशरफ का पीछा कर रहे थे. वह हुसैन के पास गई. हुसैन ने उसे बचा तो लिया, लेकिन बदले में उसकी इज्जत पर हाथ डालना चाहा. लिहाजा, अशरफ ने हुसैन से दोस्ती तोड़ दी.
अशरफ बनी सपना दीदी
इसके बाद अशरफ ने अपना नाम सपना रखा और हुसैन का साथ छोड़कर उसने फिर से शुरुआत की. वह बाइक चलाने लगी, जींस टॉप पहनने लगी. बंबई के अंडरवर्ल्ड में उसे सपना दीदी कहा जाने लगा. 90 के शुरुआती दशक में सपना को पता चला कि दाऊद भारत के करीब-करीब मैच देखता है. हर स्टेडियम में उसके लिए एक VIP सीट पहले से ही बुक रहती है. सपना ने यहीं उसे मारने का प्लान बनाया.
क्या था प्लान
सपना ने कुछ लड़कों को मैचों में भेजा, जहां से वो दाऊद की रेकी करके आए. कुछ वीडियो भी लाए, जिनमें दाऊद स्टेडियम में बैठा मैच देख रहा था. सपना ने स्टेडियम का नक्शा तैयार किया. अपने लड़कों को कहा कि दाऊद यहां बिना हथियार के आएगा. लेकिन तुम्हें अपने साथ चाकू रखना, जिसे किसी भी तरह छिपाकर स्टेडियम में ले जाना और भीड़ में मौक़ा पाकर दाऊद को वहीं ढेर कर देना. सपना को पूरा यकीन था कि यह प्लान सफल साबित होगा.
मारी गई सपना
लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. दाऊद के करीबी छोटा शकील को सपना के प्लान की भनक लगी. उसने सपना को मारने की ठान ली. एक दिन सपना घर में सोई हुई थी. इसी दौरान शकील के गुंडे आए और सपना को उठाकर ले गए. अगले दिन सपना की लाश मिली, उसे चाकुओं से गोद-गोदकर मार दिया गया था.
Disclaimer: इस स्टोरी के अधिकतर तथ्य हुसैन जैदी की किताब 'माफिया क्वींस ऑफ मुंबई' से लिए गए हैं.
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