दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले 40 दिनों से बुर्कानशीं महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं. इसी शाहीन बाग की तर्ज पर देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू करने की कोशिश कई विपक्षी नेता कर रहे हैं. भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद और प्रकाश अंबेडकर जैसे कथित दलित चिंतक दलितों को भी उग्र आंदोलन करने के लिये उकसा रहे हैं और अपने वोटबैंक की राजनीति तलाश रहे हैं.


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दलित वोट बैंक की चिंता


भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं को दलितों के वोटों की चिंता है. इसलिये ये लोग अब इसे धर्म और जाति का रूप देने की कोशिश कर रहे हैं और दलितों को भी भाजपा के खिलाफ खड़ा करना चाहते हैं. असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने तो ये तक कह दिया था कि हमने इस देश पर 800 साल तक शासन किया है और ये लोग हमें देश से निकालना चाहते हैं. ऐसा कहकर ये लोग दलितों और मुस्लिमों को भड़काकर अपना वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.


मायावती को भी वोट बैंक छिनने का डर



अमित शाह ने जोर देकर कहा कि इस नागरिकता संशोधन कानून से सबसे ज्यादा दलितों को लाभ होगा क्योंकि पाकिस्तान से भारत आने वाले शरणार्थियों में सबसे अधिक दलित हैं. मायावती ने बहुत बड़ा आरोप चंद्रशेखर पर लगाया था. उन्होंने कहा था कि चंद्रशेखर भाजपा को जितवाता है. बता दें कि सहारनपुर और उसके आस-पास के इलाकों में दलित समाज में चंद्रशेखर का संगठन जिस तरह से काम कर रहा है और उसे शाहीन बाग के बहाने दलितों की लड़ाई लड़ते देख मायावती का डर बढ़ गया है.


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ओवैसी का भी दलितों पर निशाना


असदुद्दीन ओवैसी जानते हैं कि भारत में मुस्लिमों की अधिकता वाले कई राज्यों में उनकी पार्टी का जनाधार शून्य है. इसलिये वे मुस्लिमों को नागरिकता कानून के बहाने साध रहे हैं और उसमें दलितों को शामिल करके अपनी राजनीतिक जमीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि भाजपा के खिलाफ दलितों को भड़काना आसान है.


प्रकाश अंबेडकर ने महाराष्ट्र बंद बुलाया


डॉ. भीमराव अंबेडकर के पोते और वंचित बहुजन अघाड़ी पार्टी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर सीएए और एनआरसी के खिलाफ आज महाराष्ट्र बंद बुलाया है, जिसका मिलाजुला असर देखने को मिल रहा है. पुणे में हालात सामान्य है, वहीं मुंबई में जगह-जगह पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है ताकि विरोध प्रदर्शन हिंसक नहीं हो पाए. प्रकाश अंबेडकर भी अपनी पार्टी को लिये दलितों को साधने की कोशिश कर रहे हैं.


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