'बुआ' को चोट पहुंचाकर बेहद खुश हो रहे हैं 'बबुआ'

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव इन दिनों एक नई मुहिम में लगे हुए हैं. वह बहुजन समाज पार्टी के नेताओं को लगातार अपनी पार्टी में शामिल कर रहे हैं. हालांकि फिलहाल मायावती ने अखिलेश की इस हरकत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन एक जमाने में 'बुआ' मायावती और 'बबुआ' अखिलेश ने मिलकर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था. लेकिन अब अखिलेश ने सपा को मायावती को चोट पहुंचाकर आए बसपा नेताओं की शरणस्थली बना दिया है.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 24, 2020, 03:51 PM IST
    • बसपा को तोड़ रहे हैं अखिलेश यादव
    • कई बसपा नेता सपा में शामिल
    • मायवती नहीं बोल रही हैं इस मामले में कुछ भी
    • यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे अखिलेश यादव
'बुआ' को चोट पहुंचाकर बेहद खुश हो रहे हैं 'बबुआ'

लखनऊ: 'बुआ' मायावती और 'बबुआ' अखिलेश यादव का साथ अब छूट चुका है. एक वक्त था जब दोनों ने सपा चुनाव चिन्ह सायकिल का 'सा' और बसपा चुनाव चिन्ह हाथी का 'थी' को मिलाकर 'साथी' गठबंधन बनाया था. लेकिन अब अखिलेश बसपा की कब्र खोदने में जुटे हुए हैं.

अखिलेश ने कई बसपा नेताओं को सपा में शामिल किया
बसपा के कई नेताओं ने हाल के समय में समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है. सपा के खेमे में जाने वाले नेताओं में ताजा नाम रामप्रसाद चौधरी का है. जो कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के जानेमाने ओबीसी नेता हैं. उन्हें दो महीने पहले बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी से बर्खास्त कर दिया था. 
सपा खेमें से जानकारी मिल रही है कि आने वाले समय में कई और बसपा नेता समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं. 

पहले भी कई बसपा नेता हो चुके हैं सपा में शामिल 
बसपा छोड़कर सपा में शामिल होने वाले 5 बार के विधायक रामप्रसाद चौधरी कोई नए नहीं है. इसके पहले भी मोहनलालगंज से बसपा प्रत्याशी रहे सीएल वर्मा, पूर्व मंत्री रघुनाथ प्रसाद शंखवार, परशुराम निषाद (गोरखपुर), सुनील गौतम, मान सिंह पाल (जालौन) और उमेश पांडेय (मऊ) सपा से जुड़ चुके हैं. 

2022 चुनाव तैयारी कर रहे हैं अखिलेश
सपा के हवाले से जानकारी आ रही है कि अखिलेश यादव साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तैयारी में जुटे हुए हैं. वह जाति के आधार पर गठबंधन तैयार कर रहे हैं. जिस विधानसभा क्षेत्र में जो जाति प्रभावशाली है. उस समुदाय के नेता को वह पार्टी में शामिल कर रहे हैं. इस बात के संकेत इससे भी मिलते हैं कि कि अखिलेश का रामकरन निर्मल को लोहिया वाहिनी और अरविंद गिरि को समाजवादी युवजन सभा का अध्यक्ष बनाया है. 
एक तरह से देखा जाए तो अखिलेश एक बार फिर से दलित ओबीसी वोटों का विनिंग कांबिनेशन तैयार करने की फिराक में दिख रहे हैं. 

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