नई दिल्ली: भारत के अब तक के संसदीय इतिहास में सबसे प्रभावी रहे मॉनसून सत्र के बाद शीतकालीन सत्र इस बार अपने समय से कम चलेगा. 18 नवंबर को शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर को ही खत्म हो जाएगा. जाहिर है इससे शीतकालीन सत्र की उत्पादकता पर भी प्रभाव पड़ेगा. सोमवार को पार्लियामेंट्री अफेयर्स मंत्रालय ने संसद के दोनों सदन लोकसभा और राज्यसभा के सचिव से मुलाकात कर सत्र की तारीख तय की. उन्होंने बताया कि इस बार शीतकालीन सत्र 25 दिन ही चलेगा.
बेहद अहम है शीतकालीन सत्र
इससे पहले कैबिनेट कमिटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स के सदस्य पिछले हफ्ते रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मिलने उनके सरकारी आवास पहुंचे थे. उन्होंने सत्र के उचित समय के बारे में उनसे बातचीत की. शीतकालीन सत्र कई मायनों में अहम होने वाला है. इस सत्र में विपक्ष और सरकार के बीच कई अहम मसलों और पेश किए जाने वाले बिलों को लेकर तीखी बहस देखने को मिल सकती है. भारत के कई सेक्टर फिलहाल आर्थिक मंदी की चपेट में हैं. इसके अलावा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पर भी आर्थिक मसलों को लेकर कई दफा बयानबाजियां की गई हैं.
मंदी से निकलने के उपायों पर हो सकती है चर्चा
शीतकालीन सत्र में जहां सरकार कई अहम बिल और पुराने बिलों के संसोधन को लेकर कुछ रणनीतियां बना रही है वहीं विपक्ष में बैठी पार्टियां सरकार को आर्थिक मामलो और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल पर घेरने की योजना बना रही हैं. इसके अलावा इस सत्र मेंसत्र में सरकार दो अहम अध्यादेशों को बिल में बदलने की फिराक में है. मोदी सरकार देसी विनिर्माण वाली कंपनियों पर कॉरेपोरेट दर को घटाए जाने को लेकर काफी सजग दिख रही है. सरकार का मानना है कि इससे अर्थव्यवस्था में आई मंदी से ग्रसित कई कंपनियों को बाहर निकाल अर्थव्यवस्था को बेहतर स्थिति में लाया जा सकता है. वही दूसरी ओर ई-सिगरेट के बेचने और बनाने पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद सरकार इससे संबंधित कोई बिल लाने की कोशिश कर सकती है.
प्लास्टिक बैन पर लाया जा सकता है नया नियम
मोदी सरकार के पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग, उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद पुराने नियमों में संशोधन या उसकी जगह नए बिल को पेश किया जा सकता है. बता दें कि प्लास्टिक के डिस्पोजल को लेकर 2016 में पहले ही "प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016" प्रयोग में है लेकिन वह नियम सिर्फ प्लास्टिक कचरों के डिस्पोजल से संबंधित है.
ऐतिहासिक रहा था मॉनसून सत्र
आपको बता दें कि मोदी सरकार 2.0 के सत्ता में बड़े जनाधार के साथ वापसी के बाद मॉनसून सत्र सबसे प्रोडक्टिव रहा था जिसमें लोकसभा में 36 बिल पारित कराए गए थे. इसके साथ ही राज्यसभा में 32 बिल पारित हुए थे. लोकसभा रिकॉर्ड कुल 280 घंटे चली थी जिसमें सरकार ट्रिपल तालाक बिल, सूचना का अधिकार अधिनियम(संशोधन) बिल, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल और नेशनल मेडिकल कमिशन जैसे बड़े बिल पारित कराने में सफल रही थी. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मात्र 25 दिन के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार इसे प्रोडक्टिव बना पाएगी या यह तीखी बहसों से प्रभावित हो जाएगा.