विमर्श में बोले जनरल वीके सिंह, उपलब्धियों भरा रहा साल

जनरल वीके सिंह ने कहा कि कोरोना से 3 महीने से काम बंद है, इसलिए चालू प्रोजेक्ट पर असर तो पड़ा है, लेकिन बीते एक साल में फास्ट टैग, मोटर व्हीकल एक्ट और नए रोड प्रोजेक्ट पर काम हुआ है. यह उपलब्धियां रही हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 12, 2020, 06:19 PM IST
    • देश की इकोनॉमी और उम्मीदों को नये विजन की रफ्तार
    • देश के सबसे बड़े e-मंच पर विमर्श डायरेक्ट विद मिनिस्टर
    • केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री वीके सिंह से सीधी बात
विमर्श में बोले जनरल वीके सिंह, उपलब्धियों भरा रहा साल

नई दिल्लीः जी हिंदुस्तान के ई विमर्श डायरेक्ट विद मिनिस्टर कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह बातचीत की उन्होंने मोदी सरकार के पार्ट 2 के 1 साल पूरा होने पर अपने मंत्रालय के लक्ष्यों को सामने रखा, साथ ही कोरोना के कारण हुई क्षति के बीच भी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के राज्य मंत्री का दायित्व वह कैसे निभा रहे हैं, इस बारे में बात की.

सवालः आपका मंत्रालय कैसे इस 1 साल अपने लक्ष्य को पूरा कर पाया और समुची सरकार की ऐसी कौन सी उपलब्धि है जिसे आप इस 1 साल में गिनना चाहेंगे?

जवाबः रोड और परिवहन के क्षेत्र से देश की आर्थिक प्रगति को बहुत सहायता मिलती है. 2019-20 में हमने 8948 किलोमीटर अप अवार्ड किया और 10000 के करीब लंबाई की रोड इस दौरान बनी. पहले तकरीबन 10 या 11 किलोमीटर की रोड बनती थी महीने में. अब यह रफ्तार 30 से 40 के करीब चली गई है. इस एक साल में और भी बहुत कुछ हुआ है. 30 साल से मोटर व्हीकल एक्ट में कोई बदलाव नहीं हुआ था. यह पास हुआ और इसका नतीजा यह रहा कि तकरीबन 500000 एक्सीडेंट होते थे. इस मोटर व्हीकल एक्ट के कारण इस आंकड़े में बहुत कमी आई है. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है.

फास्ट टैग भी रही है एक बड़ी उपलब्धि

इस एक साल के दौरान नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन, इलेक्ट्रॉनिक संग्रह पूरी तरह लागू किया गया. हमने फास्ट टैग सभी गाड़ियों पर लगाने का प्लान किया. 557 टोल प्लाजा पर तकरीबन 1 करोड़ 66 लाख फ़ास्ट टेग जारी हुए. इसका बड़ा फायदा है. शुरू-शुरू में थोड़ी सी कन्फ्यूजन थी लेकिन अब आपका फास्ट टैग अगर काम कर रहा है तो आप सीधा निकल जाते हो आपको वक्त नहीं लगता. दूसरा इसका बड़ा फायदा यह है कि पारदर्शिता के साथ कलेक्शन हो रहा है. पहले टोल वालों के बारे में शिकायत आती थी कि वहां बदमाशी होती है वह खत्म हो गया.

कई नए रोड प्रोजेक्ट भी शुरू हुए

कई अन्य प्रोजेक्ट पर भी ध्यान दिया गया है इस बार. कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो ऐसे आर्थिक कॉरिडोर हैं, जिनसे सीधे बंदरगाह तक जाते हैं. इसी के साथ दूरी कम करने वाले भी कई प्रोजेक्ट हैं. दिल्ली से मुंबई बड़ोदरा होते हुए नया ग्रीन फील्ड एलाइनमेंट से आप 12 घंटे के अंदर गाड़ी चलाकर मुंबई पहुंच जाएंगे. इसी तरह दिल्ली, अमृतसर और अमृतसर से कटरा यानी दिल्ली से अमृतसर आप 4 घंटे में पहुंच सकते हैं तो यह बहुत बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हैं. जिस तरीके का रोड नेटवर्क प्लान करके इस साल के अंदर लागू करने की कोशिश की गई है और इस पर काम शुरू हुआ है, इससे जनता को और हमारी आर्थिक प्रगति को काफी फायदा हुआ है.

सवालः साल 2019 के बजट में कहा गया कि आने वाले 5 साल में 3 अरब की लागत से देश में सवा लाख किलोमीटर की सड़कों को अपग्रेड किया जाएगा. ऐसा कुछ हुआ है इस 1 साल में जिसकी वजह से इस पर असर पड़ा हो और अगर असर पड़ा हो तो इसकी भरपाई के लिए कोई प्लान है मंत्रालय के पास?

जवाबः असर तो पड़ा है. क्योंकि लगभग 3 महीने काम बंद रहा है. अब 11 सौ से ज्यादा पर काम शुरू हो गया है. कुछ जगह पर हमारे और विभाग भी ठप रहे हैं. जैसे की बॉर्डर रोड पर काम कर रहे लेबर चले गए थे. उनको लाने की तैयारी की जा रही है. बहुत सारे श्रमिक ऐसे हैं जो झारखंड से आते हैं. जो पहाड़ी इलाके, दुर्गन क्षेत्र हैं वहां पर काम करते हैं. इनको अब लाने की पूरी तैयारी की जा रही है, मिनिस्ट्री ऑफ होम अफ़ेयर ने सेन्क्शन कर दिया है. हमारी कोशिश यह है कि जो हमने लक्ष्य रखे थे वह लक्ष्य निर्धारित अवधि से बहुत ज्यादा दूर न जाए. अगर कोई प्रोजेक्ट जून में पूरा होना था तो वह ज्यादा से ज्यादा जुलाई तक चला जाए. हम नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. हम कोशिश कर रहे हैं कि सड़कें सस्ती बनें, क्वालिटी भी अच्छी हो. कोरोना से जो थोड़ा सा विलंब हुआ है उसकी भरपाई करने की पूरी कोशिश है.

सवालः लद्दाख के पास चीनियों की जो हरकत देखी गई उसकी स्थिति को आप कैसे देखते हैं?

जवाबः चीन को वाकई पूरे विश्व में कोसा जा रहा है. बायोलॉजी वॉर का अंदेशा लगाया जा रहा है. वुहान से वायरस अमेरिका पहुंच सकता है लेकिन वुहान से बीजिंग नहीं पहुंच सकता तो यह एक अजीबोगरीब बात है इसलिए चीन कटघरे में है. दूसरी तरफ उसके पास और भी समस्याएं हैं. हांगकांग को ले लीजिए. हांगकांग में लोग खुश नहीं है. बहुत दिनों से वहां प्रदर्शन चल रहे हैं. साउथ चाइना सी को ले लीजिए वहां भी चीन का झगड़ा है. एक देश जिसके साथ अभी तक जमीनी सीमा का निर्धारण नहीं हुआ है. बाकी सब के साथ हो गया बस भारत के साथ नहीं हुआ तो भारत के साथ उसने कुछ ऐसी चीज करने की कोशिश की है कि लोगों का ध्यान दूसरी तरफ न जाएं. मैं इसको उस तरीके से मानता हूं कि यहां पर कोशिश की जा रही है किसी तरीके से ऐसी स्थिति पैदा की जाए कि इस वक्त चीन कटघरे में खड़ा है तो लोगों का ध्यान दूसरी तरफ आकर्षित हो.

सवालः कभी नेपाल या फिर कभी सरहद पर अपनी सेना को आगे करके चीन जबरदस्ती दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में सीमावर्ती इलाकों के लिए कोई खास रणनीति है आपके मंत्रालय के पास?

जवाबः सीमावर्ती इलाकों के विकास की भारत सरकार की नीतियां बनी हैं, चाहे वह उत्तराखंड, लद्दाख, हिमाचल या चाहे वह अरुणाचल प्रदेश या सिक्किम हो. सब जगह किस तरीके से विकास सीमा तक पहुंच सके इसकी रणनीति काफी दिनों से बनी है. उदाहरण के तौर पर 2011 में एक फैसला लिया गया कि तकरीबन 72 मार्ग ऐसे हैं जिन पर काम होना चाहिए. वह काम 2012 के बाद एकदम शुरू नहीं हुआ. वह काम शुरू हुआ 14 के बाद जब सरकार में भारतीय जनता पार्टी आई, पीएम मोदी की सरकार आई उन्होंने उस पर जोर डाला और आज स्थिति यह है कि 72 जो हमारी सड़के बनीं थीं इससे तकरीबन 99% काम पूरा हो चुका है. 5-6 वर्षों में सिर्फ दो मार्ग ऐसे हैं जिसमें 27 किलोमीटर के करीब का गैप है. वह भी साल के अंत तक पूरा हो जाएगा.

इसके अलावा कई चीज हैं और हमने अभी बनाई है. जिसमें अलग-अलग प्रदेशों के अंदर आपको अच्छे रोड, एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश जाने के लिए रोड़ मिले. इसी तरीके से अरुणाचल में सिर्फ सीमावर्ती इलाके ही नहीं हैं थोड़े अंदर के इलाके भी हैं जहां पहले आवागमन के लिए एक घाटी से नीचे आना पड़ता था, फिर दूसरी घाटी पर ऊपर दोबारा जाना पड़ता था तो इन घाटियों को कैसे मिलाया जाए इस पर काम चल रहा है. इस वर्ष से इन कामों में और गति आई है. मेरा अपना मानना है कि इन अगले 4 वर्षो के अंदर आप देखेंगे कि हमारे सीमावर्ती इलाकों का चुनाव भारत के बाकी लोगों की तरह बहुत अच्छा होगा.

सवालः गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि अक्साई चीन सहित संपूर्ण जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. अक्साई चीन के इस प्रोजेक्ट को आप कैसे देखते हैं. इसको वापस पाने की दिशा में कोई कदम उठाएगी सरकार?

जवाबः संसद का एक सर्व समिति से पास किया हुआ एक संकल्प (रेसोल्यूशन) है जो कहता है कि सारी की सारी जो भारत की सीमाएं हैं उसकी अगर सीमा किसी भी देश से लगती है तो हम उसको लेकर रहेंगे. अमित शाह जी ने इसी पुराने संकल्प को लोगों को याद दिलाया. यह नहीं है कि हम कहें कि आज हमने कुछ ऐसा कह दिया कि हम चीन को छेड़ रहे हैं या पाकिस्तान को छेड़ रहे हैं, ऐसा नहीं है यह तो सर्व समिति से पास किया गया रेजोल्यूशन है और पूरे देश की इच्छा यही है कि जिन इलाकों के ऊपर नाजायज तौर पर दूसरे देशों ने कब्जा कर रखा है उसको लिया जाए.. कई जगह पर देरी लगेगी, कई जगह पर जल्दी हो सकती है लेकिन आगे आने वाला समय बताएगा कि किस तरीके से चीजें होंगी.

जहां तक चीन का सवाल है सीमा वार्ता के लिए बहुत दिनों से दोनों देशों के बीच में एक निर्णय हुआ था और इसकी बहुत सारी बातें हो चुकी हैं. इसमें एक उनका रणनीतिकार और सलाहकार आता है और एक हमारी तरफ से जाते हैं. यह दोनों मिलकर बात करते हैं क्योंकि सीमा विवाद बहुत रहा है. किसी का भी कोई इलाका किसी ने जबरन ले लिया वह कहता है कि यह मेरे पास था, दूसरे ने उसको ठीक किया वह कहता था कि यह मेरे पास था. यह कोई आसान हल नहीं है कि हम बैठ जाएं और कहें कि यह लाइन है और यह लाइन बन गइ. मैकमोहन लाइन को अगर आप देखे हैं तो वह लाइन मोटे पेन से नक्शे पर बनाई गई. मोटी लाइन को अगर आप जमीन पर उतारेंगे तो कम से कम 15 किलोमीटर की लाइन है. अब आप बताइए इसके अंदर आप कौन सी चीज को मानेंगे. लाइन के उत्तरी कोने को मान लेंगे या दक्षिण कोने को माने. तो यह सब चीजें डिसकस होती हैं. दोनो देशों का यह कार्यक्रम है जिस पर बैठ कर के बात करते हैं.

सवालः मोदी सरकार के ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट में आपने कहा कि 2021 में हरिद्वार महाकुंभ से पहले पहले इसे तैयार किया जाएगा.. तो अभी इस प्रोजेक्ट को निपटने के लिए क्या बड़ी तैयारी आपके मंत्रालय के पास है?

जवाबः चार धाम बहुत महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. इसमें रोड को चौड़ा करने का काम है. सुप्रीम कोर्ट में लोग गए कि यह क्षेत्र जो है यह पर्यावरण की दृष्टि से जरूरी है. हाई लेवल कमेटी बनी, जिसकी रिपोर्ट 2 महीने पहले आनी चाहिए थी लेकिन रिपोर्ट अभी तक आई नहीं है. हम कोशिश कर रहे हैं कि वह रिपोर्ट जल्दी आए ताकि हम इस काम पर लग सकें. इस मार्ग के ऊपर जितने भी मार्ग बन रहे हैं चाहे बद्रीनाथ को कनेक्ट करने के लिए हो, चाहे केदारनाथ को कनेक्ट करने के लिए, चाहे गंगोत्री के लिए, यमुनोत्री के लिए, चाहे हरिद्वार के विकास के लिए हो, इन सब मार्गों पर काम कर रहा है मै खुद उसे देखने के लिए गया था और संतोषजनक काम चल रहा है. लेकिन जिस जगह पर रोक लगी है पर्यावरण की दृष्टि से वहां पर काम रुका हुआ था और हम कोशिश कर रहे हैं कि कुछ हमें उसमें राहत मिले और जल्दी से हम उस काम को शुरू कर सकें ताकि हमारे कुंभ से पहले यह मार्ग सारे के सारे ठीक हो जाएं और इनके ऊपर यात्रियों को जाने में कोई दिक्कत ना हो.

सवालः सर एक तरफ 20 लाख करोड़ का पैकेज दूसरी तरफ आत्मनिर्भर बनने का मंत्र, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहे जाने के बाद खासतौर पर अगर आपके मंत्रालय की बात करूं तो कौन सी ऐसी चीजें हैं जिसमें आप मौके की तरह देखते हैं और जिसको आप चुनौती मानते हैं?

जवाबः आत्मनिर्भरता की बात तो जब से भारत स्वतंत्र हुआ है तब से हम कर रहे हैं. मोदी जी ने उसको और सशक्त करने का प्रयत्न किया है. जबसे उन्होंने प्रधानमंत्री की कमान संभाली है तब से वह कह रहे हैं मेक इन इंडिया. यह प्रयत्न और जरूरी है क्योंकि इसी में देश की ताकत तब बनती है जब वह अपने संसाधनों के ऊपर पूरी तरीके से आश्रित हो अगर वह दूसरों पर आश्रित . तो दिक्कत है इसके अलावा जब हम बात करते हैं 20 लाख करोड़ के पैकेज की तो दो अलग-अलग सेगमेंट में यह किया गया है. अलग-अलग इंडस्ट्री को कैसे करना है कैसे उनके बाकी सारी चीजें करें कैसे उसको बढ़ाना है. जहां तक रोड सेक्टर का सवाल है तो जरूरी है कि कैसे हम बाजार से पैसा लेकर रोड बनाने में पैसा डाल सके ताकि हमारा रोड नेटवर्क है और अच्छा बने. रोड नेटवर्क बनाने में सब अलग-अलग फैक्टर्स के ऊपर फर्क पड़ता है. उसके लिए गाड़ी का बिल चाहिए. हर तरीके से जो रोड सेक्टर है वह हमारे पूरे के पूरे सिस्टम के अंदर अलग-अलग जगहों पर फर्क डालता है. मेरा मानना है कि अगर आप इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बढ़ावा देते हैं जो कि पैकेज के अंदर देने की कोशिश की गई तो इसका फायदा डायरेक्टली आपको आपके आर्थिक प्रगति के अंदर साफ दिखाई देगा.

सवालः क्या यह माना जाए कि जब मौसम विभाग ने गिलगित बाल्टिस्तान, मुजफ्फर के मौसम का पूर्व अनुमान बता रहा था तो उसके बाद यह खबरें आना शुरू हो गई थी कि क्या हम पीओके की तरफ बढ़ रहे हैं या इस संबंध में कोई उम्मीद आपकी सरकार के कार्यकाल में लोगों को दिख रही है?

जवाबः देखिये मौसम विभाग क्या कहता है उसका सेना से कोई ताल्लुक नहीं. देश की सेनाएं हर परिस्थिति का सामना करने के लिए हर तरीके से अपनी योजनाएं बनाती है. कोई नई बात नहीं है. मौसम विभाग पहले क्यों नहीं दे रहा था वहां का हाल. इसका मौसम विभाग को जवाब देना चाहिए क्योंकि जब पूरा का पूरा जम्मू और कश्मीर भारत का है तो मौसम विभाग उसके अंदर चूक कैसे कर गया. यह मौसम विभाग को जवाब देना चाहिए जहां तक भारत की सेनाओं का सवाल है भारत के स्वर में अपने काम के लिए हमेशा तैयार हैं चाहे काम कैसा भी हो.

सवालः क्या आपको अभी भी उस ट्रेनिंग की याद आती है. यह सवाल इसलिए क्योंकि आपने अपनी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा उसी जगह पर बिताया है और देश की सुरक्षा में बताया है.

जवाबः 42 साल सैन्य सेवा और 4 साल की ट्रेनिंग आपके जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा है और यह आपके जीवन के अंदर समाया हुआ है तो अगर आप कहे की याद आती है तो मैं कहूंगा कि यह तो जीवन का हिस्सा है यह तो जीवन के अंदर इतना समा गया है कि आप इसको भूल ही नहीं सकते.

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