स्वर्ण नगरी जैसलमेर में हुआ मरु महोत्सव का आगाज

राजस्थान देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने लोकगीत और त्यौहारों के लिए जानी जाती है. और इसी त्यौहारों में से राजस्थान की प्रचलित उत्सवों में मरु महोत्सव का भी नाम शामिल है जिसकी शुरुआत 6 फरवरी से हो चुकी है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 7, 2020, 03:11 PM IST
    • 6-9 फरवीर तक चलेगा महोत्सव
    • देश ही नहीं विदेशो से भी बड़ी तादाद में पहुंच रहे लोग
स्वर्ण नगरी जैसलमेर में हुआ मरु महोत्सव का आगाज

जैसलमेर: अपनी संस्कृति के लिए विश्व विख्यात राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र स्वर्ण नगरी जैसलमेर में मरु महोत्सव का आगाज किया जा चुका है. यह महोत्सव 6 फरवरी से लेकर 9 फरवरी तक मनाजा जाएगा. राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) और पर्यटन विभाग (Tourism department) की ओर से हर साल स्वर्ण नगरी जैसलमेर (Jaisalmer) में मरु महोत्सव की धूम है. अंतराष्ट्रीय मरु महोत्सव 2020 का आगाज परमाणु नगरी पोकरण में हो चुका है.

पोकरण को दुल्हन की तरह सजाया गया
मरु महोत्सव के अवसर पर परमाणु नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया है. जगह-जगह पोकरण फेस्टिवल के साइन बोर्ड लगे हुए हैं. 10 वर्ष बाद राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री और पोकरण विधायक शालेह मोहम्मद के अथक प्रयासों से आयोजित होने वाले एक दिन के पोकरण फेस्टिवल 2020 को सफल बनाने के लिए प्रसासनिक अधिकारी जी जान से जुटे हुए थे. दरअसल, 11 और 13 मई 1998 में हुए परमाणु परीक्षण के बाद विश्व मानचित्र पर उभरे पोकरण में इस बार मरु महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. स्वर्ण नगरी जैसलमेर में आयोजित होने वाले डेजर्ट फेस्टिवल का इस बार शक्ति स्थल पोकरण में हो रहा है. 

देश ही नहीं विदेशों से आ रहे सैलानी
6 से 9 फरवरी तक आयोजित होने वाले मेले में हजारों की तादाद में देसी और विदेशी पर्यटक भाग ले रहे हैं. पोकरण के मरु महोत्सव में सांस्कृतिक छटाओं के कई रंग देखने को मिल रहे हैं. पोकरण में मरु मोहत्सव के चलते यहां के शहर वासियों में खूब उत्साह है. बता दें कि डेजर्ट फेस्टिवल में लोक कला संस्कृति की छटा बिखेरने के लिए कलाकारों को बुलाया गया. पर्यटकों को लुभाने के लिए कई तरह के मजेदार कार्यक्रम भी आयोजित करवाए जा रहे हैं.

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मरु महोत्सव में क्या है खास
इस महोत्सव में मूंछे की प्रतियोगिता खासा चर्चा का विषय बनी रहती है. इसमें विभिन्न क्षेत्रों से लोग आकर राजस्थानी पोशाक पहन कर इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं.

इसके अलावा घोड़े व ऊंटों को भी राजस्थानी वेशभूषा और पोशाकों से सजाया जाता है और उनके बीच भी प्रतियोगिता की जाती है. परंपरागत वाद्य यंत्रों को बजाया जाता है और लोग उसके धुनों पर थिरकते हुए दिखाई देते हैं. इस महोत्सव में राजस्थान के लोकगीत और लोकनृत्य का भी खासा महत्व है.

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