नई दिल्लीः राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार को नोएडा की चर्चित संस्था 'दादी की रसोई' की सराहना हुई. संस्था के संचालक अनूप खन्ना और उनकी पत्नी से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. दोनों ही नये साल के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में आमंत्रित थे. इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रसोई के संचालक की गरीबों को 5 रुपये में खाना खिलाने की योजना की सराहना की. इनके अलावा राष्ट्रपति ने 59 सामाजिक हस्तियों से मुलाकात की.
यह था मौका
दरअसल प्रत्येक वर्ष राष्ट्रपति नए साल के मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य कर रहे लोगों से मुलाकात करते हैं. इस दौरान समारोह में सामाजिक उन्नति व उत्थान के लिए काम करने वालों को सम्मानित भी किया जाता है. इसके अलावा कला, पर्यावरण, तकनीक व शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भी विशेष योगदान देने वाले लोगों को भी राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया जाता है. इसी दौरान शुक्रवार को 59 लोगों ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की.
President Kovind meets achievers of various fields, hails them as true nation builders
Read @ANI Story | https://t.co/0J7bm0cDb3 pic.twitter.com/OYgpaVrAYd
— ANI Digital (@ani_digital) January 3, 2020
इसलिए प्रसिद्ध है दादी की रसोई
नोएडा के सेक्टर-29 स्थित गंगा शॉपिंग कॉम्पलेक्स में समाजसेवी अनूप खन्ना दादी की रसोई के जरिये से पिछले चार सालों से 5 रुपये में गरीबों को खाना खिलाने के साथ ही 10 रुपये में कपड़े भी देते हैं. भोजन के लिए गंगा शॉपिंग कॉम्पलेक्स में दोपहर 12 से 2 बजे तक सैकड़ों लोगों की भीड़ रहती है. इस रसोई की शुरुआत अनूप खन्ना की मां की इच्छा के कारण हुई थी, इसके बाद से इसका नाम दादी की रसोई प्रचलित हो गया. शुरुआत में कुछ लोग पहुंचते थे. अब करीब 500 लोग यहां से भोजन पाते हैं. अनूप के अनुसार 5 रुपये लेने के पीछे इतना उद्देश्य है कि लोग स्वाभिमान से भोजन कर सकें.
दिल्ली में लगाया गया पहला स्मॉग फ्री टावर
और भी कई हस्तियों ने की मुलाकात
केरल के अलपूजा जिले में अपने खेत को ही 40 साल में जंगल में तब्दील करने वाली 86 साल की वयोवृद्ध देवकी अम्मा ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात की. देवकी अम्मा पिछले 40 साल में लगभग साढ़े तीन हजार से ज्यादा पौधे लगा चुकी हैं. इसमें एक हजार लुप्त प्राय और दुर्लभ प्रजाति के पौधे हैं. जबकि आरिफा ने पश्मीना की हाथ कताई को भी जीवित किया है.
कर्नाटक के बेलगाम में देवदासी प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली शोभा गास्ती 360 गांवों में अपनी मुहिम चला रही हैं.
स्वाद के साथ स्वास्थ्य भी सुधारते हैं उत्तराखंड के हर्बल पकौड़े