नई दिल्ली. मोदी सरकार ने बुद्धिमानी के साथ इस बात के संकेत दिए है और कहा है कि समय आ गया है, अब भारत को आत्मनिर्भर बनना होगा. प्रधानमंत्री के इस संदेश का निहितार्थ समझना होगा. संदेश ये है कि सरकार जन-भावना को समझती है और दुश्मन चीन के साथ किसी भी तरह का मैत्रीपूर्ण संबंध नहीं रखना चाहती. किन्तु सीधी तौर पर यह ऐलान आर्थिक समझदारी नहीं होगा. इसलिए पूरी योजना और समझदारी के साथ धीरे-धीरे चीनी सामान का बहिष्कार करना होगा.
भारत की जनता को उठानी होगी जिम्मेदारी
दुश्मन चीन के खिलाफ ये सुपाड़ी भारत की जनता को लेनी होगी. यह जंग अब राष्ट्रीय सरकार के समर्थन के साथ इस देश की जनता लड़ेगी. हम भारतवासी चीन को खुले-आम भारतीय बाजारों पर कब्जा नहीं करने देंगे - इसका हमें संकल्प लेना होगा बिलकुल उस दृढ निश्चय के साथ जैसे दुश्मन की सुपाड़ी हमने उठाई हो.
समझदारी व योजनाबद्ध तरीके से अंजाम देना होगा
यह देशवासियों का राष्ट्र के प्रति कर्तव्य होगा कि देश में घुस चुके आर्थिक दुश्मन को निकाल बाहर करे. किन्तु इस महती कार्य को बहुत युक्ति के साथ अंजाम देना होगा. चीनी सामान को नहीं खरीदने का का अभियान सेलेब्रिटीज़ द्वारा और गैर सरकारी संगठनों को जनता के साथ मिल कर चलाना होगा. यदि कुल साठ-सत्तर बिलियन डॉलर का जो सामान हम चीन से लेते हैं उसमें कम से भी कम करें तो भी दस बिलियन डॉलर के सामान की खरीद को टाला नहीं जा सकता क्योंकि वह अत्यंत आवश्यक सामान की सूची है.
हर देश के साथ यही नीति अपनानी होगी
जहां तक रहा सामान्य जीवनोपयोगी उत्पादों का तो मोबाइल फोन, वस्त्र, जूते, खिलौने, मूर्तियां, एयरकंडीशनर्स, रेफ्रिजेटर्स इत्यादि उत्पाद भारत में बनाये जा सकते हैं और बनाये भी जा रहे हैं. शुरूआती दौर में चीन के ऐप्स और वेबसाइट्स का बहिष्कार तो हम कर सकते हैं, अन्य चीनी उत्पादों को भारत में मूल्य और गुणवत्ता में चीनी उत्पादों के मुकाबले बेहतर बना कर धीरे-धीरे हम किनारे लगा सकते हैं. भारत के देशप्रेमी जनता को ध्यान रखना होगा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें हर देश के सामान को धीरे धीरे छोड़ना होगा और अपने देश में निर्मित सामान को स्वीकारना होगा और यह कार्य पूर्ण योजना तथा दृढ-निश्चय से ही सफल हो सकेगा.
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