'श्रीराम' की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा तैयार करेंगे 'राम'

यह अजब संयोग है. अयोध्या में 'भगवान श्रीराम' की प्रतिमा तैयार करने का काम खुद 'राम' को ही मिला है. नोएडा के रहने वाला राम सुतार ने ही गुजरात में नर्मदा के तट पर महान नेता वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति को आकार दिया था. अब राम को अयोध्या में श्रीराम की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति तैयार करने का काम मिला है.    

Last Updated : Nov 15, 2019, 11:18 AM IST
    • अयोध्या में भगवान राम की सबसे ऊंची प्रतिमा
    • राम सुतार बनाएंगे श्रीराम की प्रतिमा
    • राम मंदिर पर फैसले के बाद तेज हुई कवायद
    • दुनिया में सबसे ऊंची होगी श्रीराम की मूर्ति
'श्रीराम' की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा तैयार करेंगे 'राम'

नई दिल्ली: अयोध्या में भगवान राम की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा तैयार करने का कार्य शुरु होने ही वाला है. इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने  447 करोड़ रुपए का बजट रखा है. 251 फुट की ये प्रतिमा अयोध्या के मीरपुर गांव की 61 हेक्टेयर जमीन पर बनेगी. इस मूर्ति को आकार देंगे नोएडा के रहने वाले राम सुतार- 

पत्थर को ईश्वर बना देते हैं राम सुतार
राम वानजी सुतार की उम्र 94 साल हो गई है. वह दिल्ली के पास नोएडा में रहते हैं. उनका जन्म 19 फरवरी, 1925 को महाराष्ट्र के धूलिया जिले में एक गरीब बढ़ई परिवार में हुआ था. वह एक ऐसे मूर्तिकार हैं, जिन्हें भगवान ने पत्थरों से इंसान गढ़ने का अनोखा हुनर बख्शा है. गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर देश के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 फुट ऊंची विशाल प्रतिमा का के प्रारूप का निर्माण राम सुतार के मार्गदर्शन में हुआ था.

दिलचस्प बात ये है कि राम वी सुतार अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने जा रहे हैं. वो अब 251 मीटर ऊंची भगवान श्रीराम की सबसे बड़ी मूर्ति को बनाएंगे.

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राम मंदिर पर फैसला आने के बाद तेज हुई कवायद
राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अयोध्या में श्रीराम की मूर्ति के निर्माण की प्रक्रिया तेज हो गई है. इस सिलसिले में राम सुतार और उनके बेटे अनिल सुतार मुख्यमंत्री योगी से भी मुलाकात कर चुके हैं.

मूर्ति के ऊपर 20 मीटर की छतरी भी बनाई जाएगी. इसके अलावा नीचे 50 मीटर का आधार होगा, जहां म्यूजियम समेत कई और भवन बनाए जाने की योजना है. 

राम सुतार के नाम हैं कई उपलब्धियां
राम सुतार को पत्थर और संगमरमर से बुत तराशने में विशेष रूप से महारत हासिल है. हालांकि कांस्य में भी उन्होंने कुछ बहुत प्रसिद्ध प्रतिमाएं गढ़ी हैं. उनके गुरू श्रीराम कृष्ण जोशी ने उनके सिर पर कला की देवी मां सरस्वती के इस आशीर्वाद को पहचाना और उन्हें बम्बई (अब मुंबई) के सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया. इस स्कूल में राम सबसे आगे रहे और उनकी कला का आकार भी बढ़ने लगा. वहां उन्हें प्रतिष्ठित मायो स्वर्ण पदक दिया गया. स्कूल के दिनों में ही उन्होंने सबसे पहले मुस्कुराते चेहरे वाले गांधी को उकेरा था. 

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पुरातत्व विभाग है राम सुतार का ऋणी

सरल व्यक्तित्व के मृदुभाषी राम सुतार ने 1950 के दशक में पुरातत्व विभाग के लिए काम किया और अजंता एवं एलोरा की गुफाओं की बहुत सी मूर्तियों को उनके मूल प्रारूप में वापिस लाने का कठिन कार्य किया. दशक के अंतिम वर्षों में वह कुछ समय सूचना और प्रसारण मंत्रालय से जुड़े और फिर स्वतंत्र रूप से मूर्तियां गढ़ने लगे. कृषि मेले के मुख्य द्वार पर दो मूर्तियों से शुरूआत करने वाले राम सुतार का आगे का सफर उपलब्धियों से भरा रहा. मूर्तियों का चेहरा और स्वरूप गढ़ने में माहिर राम सुतार ने गंगासागर बांध पर चंबल देवी की 45 फुट ऊंची सुंदर प्रतिमा तराशकर मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों को उनके दो पुत्रों के रूप में उकेरा. 

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